Sunday 31 August 2014

पाक को लेकर नए ट्रैक पर मोदी सरकार



 पाकिस्तान  संघर्षविराम का लगातार  उल्लंघन करते हुए जम्मू में नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करने से से बाज नहीं आ रहा है | भारत की तरफ से सचिव स्तर की वार्ता रद्द किए जाने के बाद संघर्षविराम  उल्लंघन के हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं   । अपनी करतूतों से पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना घिनौना  चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया है ।  जम्मू कश्मीर से लगी नियंत्रण रेखा पर  भारी गोलाबारी कर पाकिस्तान ने  नवम्बर 2003 की  संघर्ष विराम वाली उल्लंघन की उस लीक पर चल निकला है जहाँ अपनी बर्बर कार्यवाही से वह फिर से कश्मीर को लेकर एक नई किस्सागोई करने में लग गया है क्युकि पाकिस्तान के अन्दर नवाज शरीफ सरकार के सामने जैसा संकट अभी खड़ा है उससे उनका बाहर निकलना मुश्किल दिख रहा है और कश्मीर को ढाल बनाकर पाकिस्तान एक बार फिर अपना बरसो पुराना वही राग अलाप रहा है जिसमे कश्मीर को केंद्र में लाकर हमेशा से नई परिस्थिति सामने लायी जाती रही है  ।  सीमा पार पर अपनी  बर्बर कार्यवाही से जहाँ  पाक  तमाम अन्तरराष्ट्रीय  कानूनों की धज्जियाँ  उड़ाने से बेपरवाह नजर आता है वहीँ कश्मीर को केंद्र में रखकर वह भारत से बातचीत का राग दोहराता रहा है लेकिन बीते दिनों मोदी ने जिस तरीके से विदेश सचिवो की बातचीत को बंद करने का फैसला किया और लाहौर और शिमला के ट्रेक पर अपनी नमो एक्सप्रेस बढ़ाई उसने पहली बार इन सवालों को भी खड़ा किया है क्या मोदी पहली बार नेहरु की नीतियों के आगे बेबस ना होते हुए खुद अपनी बनाई नीतियों तले पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान के असल चेहरे को बेनकाब करने में जुट गए हैं ?

नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का उल्लघन जारी रखने को  को गंभीर और उकसाने वाला करार देते हुए भारत ने कहा कि यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत अनुकूल नहीं हैं। रक्षामंत्री अरुण जेटली के इस बयान से ठीक पहले  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भावी वार्ता के लिए   कहा था किसी भी सार्थक द्विपक्षीय वार्ता के लिए आवश्यक रूप से एक ऐसा माहौल जरूरी है जो आतंकवाद एवं हिंसा से मुक्त हो |   नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों स्तरों पर घुसपैठ संघर्षविराम उल्लंघन गंभीर है और इन घटनाओं से ऐसा माहौल पैदा हो रहा है जो दोनो देशों के बीच संबंधों के लिए बहुत सहायक नहीं रहने वाला | पाकिस्तान द्वारा अगस्त में 24 बार संघर्षविराम उल्लंघन किया गया। इस दौरान दो ग्रामीण मारे गये और चार बीएसएफ जवानों सहित 17 अन्य घायल हो गये जिसकी तस्दीक बी एस ऍफ़ ने   यह कहते हुई  की पाकिस्तानी बलों द्वारा पिछले 45 दिनों से की जा रही यह  गोलाबारी 1971 युद्ध के बाद से संभवत: सबसे भीषण  है । सीमा पार हो रही इस कार्यवाही ने हमें यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है अब पकिस्तान के साथ  किस मुह से हम दोस्ती का हाथ बढ़ाये ? पकिस्तान के साथ दोस्ती का आधार क्या हो वह भी तब जब वह लगातार भारत की पीठ पर छुरा भौंकते  हुए लगातार विश्वासघात ही करता जा रहा है । पाक की दुस्साहसिक कारवाई की जहाँ पूरे देश में निंदा हुई  है वहीँ आम आदमी अब भारतीय नीति नियंताओ से सीधे सवाल पूछ रहा है कि अब समय आ गया है जब पकिस्तान से सारे रिश्ते तोड़ लिए जाएँ तो यह वाजिब सवाल ही  है ।  यही नहीं विपक्ष भी अगर इस बार सरकार  के द्वारा  की  जाने वाली हर कार्यवाही के समर्थन में कदमताल कर रही हैं तो यह सही भी है क्युकि  लगातार होते हमलो  से हमारा  धैर्य अब जवाब दे रहा है । सीमा पार उल्लंघन के जरिये पाक की कोशिश  भारत में उन्माद फैलाने की ही रही है । 
असल में  कारगिल के दौर में भी पकिस्तान ने भारत के साथ गलत सलूक किया था  ।  हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी रिश्तो  में गर्मजोशी लाने लाहौर बस से गए लेकिन  नवाज  शरीफ  को अँधेरे में रखकर मिया मुशर्रफ  कारगिल की पटकथा तैयार करने में लगे रहे । इस काम में उनको पाक की सेना का पूरा सहयोग मिला था । इस बार की कहानी भी पिछले बार से जुदा नहीं है । ताहिर उल कादरी और इमरान की रेड जोन  में फैंकी गयी गुगली ने पहली बार मिया नवाज के संकट को जहाँ बढाया हुआ है वहीँ इसके चलते पहली बार आई एस आई पाकिस्तान के आंतरिक और बाह्य मामलो में अपना सिक्का मजबूत कर रही है | पाकिस्तान में यह सच शायद ही छुपा है कि आई एस आई के बिना पाकिस्तान में पत्ता भी नहीं खड़कता और सेना  भारत के साथ रिश्तो को सुधारने के बजाए बिगाड़ना ही चाहती है । यह उनके द्वारा दिए गए हाल के बयानों में भी  साफ़ झलका है । अभी कुछ दिनों पूर्व उन्होंने भारत को चेताते हुए कहा था समय आने पर भारत को माकूल जवाब दिया जायेगा । इसकी परिणति  अगस्त में 24 बार संघर्षविराम उल्लंघन के दौरान दो ग्रामीण के मारे जाने और चार बीएसएफ जवानों सहित 17  अन्य जवानो के घायल होने के रूप में  हमारे सामने है |


पाक के सियासी संकट पर नजर रख रहे अंतर्राष्ट्रीय जानकारों का मानना है इस कार्यवाही में सेना का पाक के सैनिको को  पूरा समर्थन मिल रहा है ।  पाक में सरकार तो नाम मात्र की है वहां पर चलती सेना की ही है और बिना सेना के वहां पर पत्ता भी नहीं हिला हिलता  । कट्टरपंथियों की बड़ी जमात वहां ऐसी है जो भारत के साथ सम्बन्ध सुधरते नहीं देखना चाहती है ।  ऐसी सूरत में अगर हम बार बार उससे दोस्ती का राग  छेड़ते है  तो यह हजम नहीं होता क्युकि  छलावे के सिवा यह कुछ भी नहीं है । ऐसे में मोदी सरकार द्वारा पाक से बातचीत बंद करने के फैसले को सही ठहराया जाना जायज है और मोदी ने हुर्रियत नेतो को भाव न देकर कश्मीर को लेकर एक नई लकीर अपने सौ दिनों के कार्यकाल में खींचने की कोशिश की |  दुखद पहलू यह है पाक जहाँ  नियंत्रण रेखा पर हो रही घुसपैठ और  कार्यवाही में अपना हाथ होने से  साफ़ इनकार कर रहा है वहीँ भारत सरकार  कह रही है वह हमारे सब्र का इम्तिहान नहीं ले तो यह पहेली किसी के गले नहीं उतर रही । आखिर कब तक हम पाक के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते रहेगे  और बातचीत से मेल मिलाप बढ़ायेंगे जबकि हर मोर्चे पर वह हमको धोखा ही धोखा देता आया है । इस घटना के बाद हमारे नीतिनियंताओ को यह सोचना पड़ेगा  अविश्वास की खाई  में दोनों मुल्को की दोस्ती में दरार पडनी  तय है । अतः अब समय आ गया है जब हम पाक के साथ अपने सारे सम्बन्ध तोड़ डालें । हमें अपने उच्चायुक्त को पाक से वापस बुला लेना  चाहिए ताकि पाक के चेहरे को पूरी दुनिया में बेनकाब किया जा  सके ।


 मुंबई  में 26/11 के हमलो में भी पाक की संलिप्तता पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हुई थी बल्कि पकडे गए आतंकी कसाब ने  यह खुलासा  भी किया हमलो की साजिश पाकिस्तान में रची गई जिसका मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद  सईद  था । हमने मुंबई हमलो के पर्याप्त सबूत पाक को सौंपे भी लेकिन आज तक वह इनके दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया है । आतंक का सबसे बड़ा मास्टर माईंड हाफिज पाकिस्तान में खुला घूम रहा है और  भारत  के खिलाफ लोगो को जेहाद छेड़ने के लए उकसा भी रहा है लेकिन आज तक हम पाक को हाफिज के मसले पर ढील ही देते रहे हैं  यही कारण  है वहां की सरकार  उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है ।  2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हमले के बाद उसके जमात उद  दावा ने  कश्मीर के ट्रेंनिग कैम्पों में घुसकर युवको को  जेहाद के लिए प्रेरित किया । अमेरिका द्वारा उसके संगठन  को प्रतिबंधित  घोषित  करने  और उस पर करोडो डालर के इनाम रखे जाने के बाद भी पाकिस्तान  सरकार  ने उसे कुछ दिन लाहौर की जेल में पकड़कर रखा और जमानत पर रिहा कर दिया । आज  पाकिस्तान  उसे   पाक में होने को सिरे से नकारता रहा है जबकि असलियत यह है पुंछ  में हाफिज की संलिप्तता कई बार  उजागर भी  हुई है । पाकिस्तान के कब्जे वाले पी ओ  के में हाफिज का जबरदस्त प्रभाव है जो अभी  पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के साथ भारत में घुसपैठ बढाने की कार्ययोजना को तैयार कर रहा है ।  भारतीय गृह मंत्रालय भी अब सीमा पार हो रही गोलाबारी को लेकर चिंतित ही नहीं चौकन्ना हो गया है शायद यही वजह है शिंजो और मोदी की डिनर डिप्लोमेसी से ठीक पहले जापान के पत्रकारों से बात में मोदी ने अपनी विदेश नीति को लेकर पहली बार नई लकीर यह कहते हुए खींची कि घुसपैठ और गोलाबारी के बीच दोनों देशो के बीच बातचीत नहीं हो सकती साथ ही उन्होंने किसी तीसरे पक्ष के साथ मध्यस्थता से भी साफ़ इनकार कर दिया जिसको मोदी की बड़ी कूटनीति माना जा सकता है | । अब ऐसे हालातो में पाक हमसे  बेहतर सम्बन्ध कैसे बना सकता है  ? 


 26 / 11 के हमलो के बाद भारत ने  जहाँ कहा था जब तक 26 /11 के दोषियों पर पाक  कार्यवाही नहीं करेगा तब तक हम उससे कोई बात  नहीं  करेंगे लेकिन आज तक उसके द्वारा दोषियों पर कोई कार्यवाही ना किये जाने के बाद भी हम 200 बिलियन व्यापार , वीजा  नियमो में ढील , क्रिकेट और विदेश सचिवो  के आसरे अगर इस दौर में निकटता बढाने कि सोच  रहे हैं तो यह हमारी लुंज पुंज विदेश नीति वाले रवैये को उजागर करता है । बीते बरस  भारत दौरे पर आये रहमान मालिक से जब 26 /11 के बारे में हमने पूछा तो उन्होंने कहा इवाइडेंस और आरोपों में भेद होता है । अगर भारत सबूत पेश करता है तो पाक 26/11 के दोषियों को सजा देगा । लेकिन यह कैसा सफ़ेद झूठ  है । भारत तो पहले  ही पाक को सभी सबूत पेश कर  चुका  है लेकिन पाक उस पर कोई कार्यवाही  क्यों नहीं करता ?  अब तो  हर घटना में अपना  हाथ होने से इनकार करना पाक का शगल ही बन गया है । लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर युद्ध विराम तो नाम मात्र का है इसके बावजूद भी उस पूरे इलाके में सैनिको के बीच अकसर तनाव देखा जा सकता है और फायरिंग की घटनाएं आये  दिन होती रहती हैं । भारतीय सेना में घुसपैठ की कार्यवाहियां अब पाक की सेना  ही कर  रही है  क्युकि  पाक  का पूरा ध्यान अपने अंदरूनी झगडो  और तालिबान में लगा रहा है । उसे लगता है अगर ऐसा ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में कश्मीर उसके हाथ से निकल जायेगा । अतः ऐसे हालातो में वह अब लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनो को पी ओ  के  में भारत के खिलाफ एक  बड़ी जंग लड़ने के लिए उकसा रहा  है जिसमे कई कट्टरपंथी संगठन उसे मदद कर रहे हैं । पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है । वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली ही  रही है । नवाज  सरकार तो नाम मात्र की लोकत्रांत्रिक है  असल नियंत्रण तो सेना का हर जगह है ।  पाक इस बार यह महसूस कर रहा है अगर समय रहते उसने भारत के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो कश्मीर का मुद्दा ठंडा पड  जायेगा । अतः वह भारतीय सेना को अपने निशाने पर लेकर कट्टरपंथियों की पुरानी  लीक पर चल निकला है । आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से अमरीकी सेनाओ की वापसी  तय मानी जा रही है ।  ऐसे में भारत को चौकन्ना रहने की जरुरत है  क्युकि  अमेरिकी  सैनिको की वापसी के बाद पाक में कई कट्टरपंथी सेना के जरिये भारत में घुसपैठ तेज कर सकते हैं । कश्मीर का राग पाक का पुराना राग है जो दोस्ती के रिश्तो में सबसे बड़ी दीवार है । ऐसे दौर में हमें पाक पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है । 


मारी सेना को ज्यादा से ज्यादा अधिकार सीमा से सटे इलाको में मिलने चाहिए | सीमा पार खराब हालातो के चलते  अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए । उसे किसी तरह की ढील नहीं मिलनी चाहिए । पकिस्तान हमारे धैर्य  की परीक्षा ना ले अब ऐसे बयान देकर काम नहीं चलने वाला क्युकि  सीमा पार की गोलाबारी की घटनाओ ने  हमारे  सैनिकॊ  के मनोबल को   गिराने का काम किया है । पाक के साथ भारत को अब किसी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए और कूटनीति के जरिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर  पर उसके खिलाफ माहौल बनाना  चाहिए  साथ ही अमेरिका सरीखे मुल्को से बात कर यह बताना  चाहिए  आतंक के असल सरगना पकिस्तान में  पल रहे हैं और आतंकवाद के नाम पर दी जाने वाली हर मदद का इस्तेमाल पाक दहशतगर्दी फैलाने में कर रहा है । इस समय पाक को  तकरीबन 3 अरब से ज्यादा की सालाना  इमदाद अमेरिका के आसरे मिल रही है जिससे पाक की माली हालत कुछ सुधरी है अन्यथा वहां की अर्थव्यवस्था तो पटरी से उतर चुकी है । आर्थिक विकास  दर  जहाँ लगातार घट रही है वहीँ आतंक के माहौल के चलते कोई नया निवेश नहीं हो पा रहा है । घरेलू गैस से लेकर तेल की बड़ी कीमतों ने संकट बढाया  है तो वहीँ ताहिर उल कादरी और इमरान ने नवाज के नाक में दम कर रखा है | नवाज इस्तीफ़ा देंगे या नहीं यह दूर की गोटी है लेकिन फिलहाल पाक कि सेना ने मोर्चा संभाल लिया है | नवाज और सेना में इस बात को लेकर चर्चा हुई है प्रधानमंत्री नवाज इस्तीफ़ा ना दें और सारे अधिकार सेना को दे दिए जाएँ |   अगर पाक को विदेशो से मिलने वाली मदद इस दौर में बंद हो जाए तो उसका दीवाला निकल जायेगा । ऐसी सूरत में कट्टरपंथियों के हौंसले भी पस्त हो जायेंगे । तब भारत  पी ओ के में चल रहे आतंकी शिविरों को अपना निशाना बना सकता है ।  माकूल कार्यवाही के लिए यही समय बेहतर होगा ।  अब समय आ गया है जब पाक के खिलाफ भारत बातचीत के विकल्पों से इतर कोई बड़ी कार्यवाही की रणनीति  अख्तियार करे क्युकि एक के बाद एक झूठ  बोलकर पाक हमें धोखा दे रहा है और कश्मीर के मसले के अन्तरराष्ट्रीयकरण  के पक्ष में खड़ा है । 


आज तक हमने पाक के हर हमले का जवाब बयानबाजी से ही दिया है । भारत सरकार धैर्य , संयम  की दुहाई देकर हर बार लोगो के सामने सम्बन्ध सुधारने की बात दोहराती रहती है ।  इसी नरम रुख से पाक का दुस्साहस इस कदर बढ  गया है  वह हमारे जवानो के शव धड से अलग कर अंतरराष्ट्रीय नियमो का उल्लंघन करता है और कश्मीर पर मध्यस्थता का पुराना राग छेड़ता  रहता है ।यह दौर नमो सरकार के लिए भी  असली परीक्षा का है  क्युकि  उसी की नीतियां अब पाक के साथ भारत के भविष्य को ने केवल तय कर सकती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय  मोर्चे पर यह मामला उसकी कूटनीति के आसरे दुनिया तक पहुच सकती  है । | प्रचंड जनादेश हासिल कर मोदी इस बार गदगद हैं | वह पूरी दुनिया घूमकर भारत के अनुकूल नीतियों को बनाने में लगे हैं | उनकी विदेश नीति  पर इस बार पूरी दुनिया की नजर  है | वह भूटान से लेकर नेपाल और म्यामार से लेकर जापान को अपने आसरे न केवल साध रहे हैं बल्कि पहली बार नेहरु से लेकर इंदिरा की नीतियों से इतर नई राह अपने  विदेश दौरों  में डिनर   डिप्लोमसी से खोल रहे हैं | ऐसे में पाकिस्तान को लेकर उनके इस नए  कदम सीमा पार गोलाबारी और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकती, का पूरी दुनिया में स्वागत हो रहा है|  | अब देखना होगा भारत  सरकार कश्मीर  को लेकर अपना क्या रुख आने वाले दिनों में अपनाएगी ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे ?  मोदी एक्सप्रेस के इस नए ट्रेक का इन्तजार सबको है |

1 comment:

hem pandey(शकुनाखर) said...

फाकिस्तान ही नहीं,चीन भी एक बड़ी समस्या है।देखना है इन चुनौतियों से मोदी जी कैसे निबटते हैं।वैसे पाकिस्तान के साथ होने वाली विदेश सचिवों की बैठक को निरस्त कर मोदी ने बता दिया है कि वे कड़ा रुख अपनाने की क्षमता रखते हैं।