रवि शास्त्री जब भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच बने तो सभी को उम्मीद थी पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में चल रहा विवाद आखिरकार थम जाएगा, लेकिन सीएसी और रवि शास्त्री के बीच विवाद कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है | असल में बीते दिनों बीसीसीआई ने रवि शास्त्री को भारतीय क्रिकेट टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया जबकि पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज जहीर खान को दो साल के लिए नया गेंदबाजी कोच और राहुल द्रविड़ को विदेशी दौरे के लिए बल्लेबाजी सलाहकार नियुक्त किया । रवि शास्त्री तीसरी बार भारतीय क्रिकेट टीम के साथ जुड़े हैं। इससे पहले वह 2004 में बांग्लादेश दौरे के दौरान क्रिकेट मैनेजर थे और इसके बाद अगस्त 2014 से जून 2016 तक उन्हें टीम निदेशक बनाया गया जिस दौरान भारत ने श्रीलंका के खिलाफ उसकी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला जीती और 2015 में विश्व कप तथा 2016 विश्व टी 20 के सेमीफाइनल में जगह बनाई।
कोच की दावेदारी में टक्कर शास्त्री और वीरेंद्र सहवाग के बीच कांटे की थी लेकिन शास्त्री के पूर्व कार्यकाल को लेकर कप्तान विराट कोहली की सिफारिश के कारण मामला पूर्व भारतीय कप्तान के पक्ष में गया। अब शास्त्री 2019 विश्व कप तक भारतीय टीम के कोच के रूप में जुड़े रहेंगे | शास्त्री ने यह जिम्मेदारी तरह सबको साथ लेकर चलने के जैसे दावे किये उससे एक बारगी ऐसा लग रहा था अब भारतीय खिलाडी पुरानी बातों को भूलकर नए सिरे से टीम भावना के साथ खेलेंगे लेकिन किसे पता था कुछ दिनों बाद शास्त्री अपने खुद किए दावों की हवा निकाल देंगे |
असल में शास्त्री अपने साथ राहुल और जहीर खान जैसे अनुभवी खिलाडियों को नहीं देखना चाहते | सचिन , सौरभ और लक्ष्मण सरीखे महान खिलाडियों से सजी सीएसी ने शास्त्री को कोच बनाकर औपचारिकता निभाई लेकिन द्रविड़ और जहीर को भी सलाहकार बनाकर शास्त्री के पर क़तर दिए जो शास्त्री नागवार गुजरा | शास्त्री भी टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ में अपने भरोसेमंद अरुण भारत को बॉलिंग कोच के रूप में लेना चाहते थे जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बनाई प्रशासकों की समिति के हेड विनोद राय ने कहा कि चीफ कोच के सपोर्ट स्टाफ पर आखिरी फैसला रवि शास्त्री के हिसाब से तय होगा जिसके बाद भरत अरुण को श्रीलंका दौरे पर टीम इंडिया के गेंदबाजी की कमान दे दी गई | इस फैसले ने एक बार फिर कोच , सपोर्टिंग स्टाफ और सीएसी की जंग को सतह पर ला दिया है |
सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की क्रिकेट एडवायजरी कमेटी ने रवि शास्त्री के साथ-साथ बतौर गेंदबाजी कोच जहीर खान और बतौर बल्लेबाजी कंसल्टेंट राहुल द्रविड़ के नाम की सिफारिश पर अपनी मुहर लगा दी थी तो सवाल है जब तीनों महान खिलाडियों ने अपना फैसला सुना दिया था तो फिर फैसले पर विनोद राय सामने ऐसी मजबूरी आन पड़ी जो वह शास्त्री मनमाकिफ़ स्टाफ चुनने की आज़ादी देने लगे और शास्त्री के भी दुबारा कोच बनने के बाद भी खिलाड़ियों को मैदान के बाहर खुली छूट देने के बयान देने की आवश्यकता क्यों पड़ीं ? असल में इस पूरे प्रकरण में बी सी सी आई की ही किरकिरी हुई है | जिस शर्मनाक ढंग से विराट और बोर्ड की मिलीभगत से कुंबले जैसे महान खिलाडी और कोच को बाहर का रास्ता दिखाया गया ऐसा बहुत कम बोर्ड में ही होता है कि शानदार प्रदर्शन कर रही टीम के कोच को बदल दिया जाए। वह भी तब जब उसके आसपास तक फटक भी न सके लेकिन दुनिया में ऐसा कोई अगर कर सकता है तो वो है बीसीसीआई जिसके पास अकूत कमाई है जो न केवल विश्व के क्रिकेट बोर्डों को खरीद सकता है बल्कि एक कोच के साथ दर्जनों भारी भरकम स्टाफ रख सकता उसे मुंहमांगी कीमत दे सकता है |
पैसे की रईसी तले बीसीसीआई को ऐसा हेड कोच मौजूदा दौर में चाहिए जो कप्तान की बीन पर नाचे | खिलाड़ियों को खुली छूट दे | सब कुछ ओपन इकॉनमी तले, मैदान और मैदान से बाहर पूरी तरह हो | ड्रेसिंग रूम भी मस्ती में डूबा रहे तो कोई गम नहीं | कमाई मैच दर मैच बन रही है | जब इस दौर में कप्तान ही सब कुछ है तो कोच की क्या बिसात | यह दौर ऐसा है जहाँ खिलाडी कोच को सिखाते हैं | द्रोणाचार्य वाला दौर अब मिटटी में ख़ाक हो चुका है |आज भारतीय क्रिकेट कप्तान और बोर्ड के नेक्सस नेटवर्क से चल रहा है जहाँ कप्तान सबसे बड़ा हो चला है, कोच भूमिका सीमित कर दी गई है | बात दिग्गज कुंबले की करें तो बीते एक बरस में उनका कोचिंग रिकॉर्ड शानदार रहा | पांच में से पांच टेस्ट सीरीज में जीत, 17 टेस्ट मैचों में से 12 जीत, 4 ड्रॉ और सिर्फ एक हार। कुंबले के कार्यकाल के दौरान ही टीम इंडिया ने आईसीसी रैंकिंग में नंबर-1 पायदान हासिल किया। ऐसे ही नहीं जम्बो को बेहतरीन स्पिनर और शानदार खिलाड़ी की संज्ञा दी गई । ये रिकॉर्ड खुद बताते थे कि बतौर कोच कुंबले की पारी कितनी शानदार रही लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को कुंबले का यह शानदार प्रदर्शन नहीं दिखा। दिखा तो बस अपने कप्तान के प्रति उनका अनुशासनात्मक रवैया। कुंबले के अनुभव को कोई चुनौती नहीं दे सकता |
दुनिया का हर खिलाडी कुंबले का मुरीद रहा | कुंबले का जिक्र होते ही जेहन में 2002 में भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेला गया टेस्ट याद आता है जब मर्वन ढिल्लन की बाउंसर उनके सिर और जबड़े में लगी और अनिल कुंबले को मैदान से बाहर ले जाया गया मगर सिर से लेकर जबड़े तक पट्टी बांध उन्होंने 14 ओवर गेंदबाजी की। इस दौरान जंबो ने महानतम बल्लेबाज ब्रायन लारा का भी विकेट लिया। मैच के बाद पता चला कि कुंबले के जबड़े में फ्रैक्चर था। यही नहीं टेस्ट मैच की एक पारी में 4 फ़रवरी 1999 को आरंभ हुए दिल्ली टेस्ट की चौथी पारी में अपने 26.3 ओवरों में 9 मेडन रखते हुए 74 रन देकर सभी 10 विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया। जिम लेकर के बाद विश्व के पहले ऐसे खिलाड़ी कुंबले ही रहे | भारत की ओर से टेस्ट मैचों में सर्वाधिक विकेट लेनेवाले गेंदबाज कुंबले रहे जिन्होंने 1990 से 2008 के बीच टेस्ट जीवन में खेले 132 टेस्ट मैचों में 18355 रन देकर 29.65 की औसत से 619 विकेट लिए कुंबले ने पाकिस्तान के विरूद्ध उनसे पहले इंग्लैंड के जिम लेकर ने ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 26 जुलाई 1956 को आरंभ हुए मैनचेस्टर टेस्ट की कुल तीसरी पारी में और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 51.2 ओवरों में 23 मेडन रखते हुए 53 रन देकर एक टेस्ट पारी में सभी दसों विकेट लेनेवाले पहले गेंदबाज बने थे।
आईपीएल में आरसीबी कुंबले की कप्तानी में 2009 के सीजन में फाइनल तक पहुंची, फाइनल में उसे 6 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। अगले सीजन में कुंबले टीम को सेमीफाइनल तक ले गए। उसके बाद कुंबले ने आईपीएल से संन्यास ले लिया। तब से अब तक टीम की कमान कोहली के पास है। कोहली की कप्तानी में आरसीबी केवल एक बार ही फाइनल में पहुंच पाई । कुंबले से कभी तेंदुलकर, द्रविड़, श्रीनाथ, गांगुली और लक्ष्मण जैसे खिलाड़ियों को समस्या नहीं हुई लेकिन विराट की टीम से कुंबले से अनबन क्यों हुई यह गंभीर सवाल है |
पिछले कुछ समय से टीम इंडिया और कोच लेकर से जिस तरह से विवाद हुआ उसने भद्र जन के बीच खेल की साख तार तार जरूर हुई है | शास्त्री को खिलाडियों और विराट भले ही अपने में ढाल लिया हो लेकिन शास्त्री पर कुंबले से बेहतर रिजल्ट देने का दवाब जरूर होगा | शास्त्री का दौर कुंबले से अलग इस मायने में होने जा रहा है क्युकि आने वाले बरसों में टीम इंडिया श्रीलंका , ऑस्ट्रेलिया , इंग्लैंड , अफ्रीका , न्यूजीलैंड जैसे देशों दौरे करेगी जहाँ टीम के कप्तान और कोच की जोड़ी की असली परीक्षा होगी | भारतीय टीम घर में तो शेर है लेकिन यही टीम विदेशी उछाल लेनी वाली पिचों पर ढेर जाती है |
देखना होगा कप्तान और कोच की यह नई जोड़ी कैसे टीम इंडिया आगे जाती है वह भी तब जब कुंबले टीम इंडिया नयी ऊंचाई पर ले जा रहे थे और टीम इंडिया उनकी कप्तानी में जीत गौरवगाथा लिख रही थी और सीएसी समिति कुंबले के पक्ष में डटकर खड़ी थी | आने वाले दिन विराट कोहली के लिए भी मुश्किल रहेंगे क्युकि एशिया बाहर भारत खिलाडियों ट्रेक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है और विराट भी अभी उसी खेत मूली हैं | देखना होगा विराट और उनकी टीम आने वाले दिनों में देश से बाहर कैसा व्यक्तिगत प्रदर्शन करती है ? अनुशासन , धैर्य , दृढ़ संकल्प , बड़ों प्रति सम्मान किसी खिलाडी को महान बनाते हैं | विराट शायद अभी यह नहीं समझते कि सचिन , सौरभ , लक्ष्मण , द्रविड़ , कुंबले , जहीर ऐसे नहीं बना जाता |
No comments:
Post a Comment