Tuesday 22 August 2017

जिनपिंग की ब्रांडिंग की चीनी चाल




चीन अपनी बड़ी अर्थव्यवस्था के चलते दुनिया में ताकतवर बनने का सपना  कमोवेश हर  दिन देखता ही  जा रहा है और शायद यही वजह है इस दौर में  उसकी  दबंगई भी पूरी दुनिया में  बढ़ती जा रही है।  दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने की चीन की ये शातिर चालबाजियां  जगजाहिर है। चीन के अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ इस समय सीमा विवाद है | पूरी दुनिया इस समय चीन की विस्तारवादी नीति की जोर शोर से चर्चा तो है लेकिन इन सब विवादों को हवा देने के पीछे चीन की अंदरूनी राजनीति की भी जड़  है | असल  में  इसी बरस  चीन की सत्ता में  बड़ा बदलाव  तय माना जा रहा है | कहा तो यह भी जा रहा है  शी जिनपिंग  राष्ट्रवाद तले  किसी तरह अपने दूसरे कार्यकाल को बरकरार रखने की जुगत में हैं लेकिन दूसरे कार्यकाल के लिए भी उनकी कुर्सी तभी बरकरार रह पायेगी जब वह पार्टी के महासचिव चुने जायेंगे |   इसी के साथ हाल के कुछ महीनों में  पोलित ब्यूरो की स्टैंडिंग कमेटी और  सदस्यों का चुनाव भी होना है । शी पोलित ब्यूरो में अपनी स्थिति दिनों दिन  मजबूत रखना चाहते हैं।  सुन जेंगसई ने इस दौर में शी  की परेशानियों को बढ़ाया हुआ है क्युकि चीन की सत्ता के गलियारों में जिनपिंग का उत्तराधिकारी माना जाता था। चीनी सत्ता के केंद्र 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो के वह सबसे युवा सदस्य थे। इस बार उनका सात सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी में जाना तय था  लेकिन जिनपिंग ने इससे पहले ही उनकी राजनीति को झटके में  खत्म कर दिया। उन्होंने अधिवेशन से पहले ही  जेंगसई को  हटा दिया । यही नहीं उनके खिलाफ पार्टी नियमों के खिलाफ काम करने के आरोप में जांच भी बिठा दी । जिनपिंग चीन में  अब हर दिन अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं। दुनिया  के साथ विवाद के दौरान राष्ट्रवाद  तले वह अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं ।

2012 के बरस में भी  राष्ट्रपति बनने के बाद जिनपिंग ने  लोकप्रिय नेता बो जिलाई को हटा कर जेल में डलवा दिया था। उन्हें भी जिनपिंग का उत्तराधिकारी माना जा रहा था।  मौजूदा दौर में भी  भारत के साथ सीमा विवाद और दुनिया के तमाम विवादों के बीच शी  अपने अगले कार्यकाल के रास्ते की बाधा को हटाने की पूरी कोशिश करते देखे जा सकते हैं |  चीन की ओर से उसका सरकारी मीडिया दुनिया  के खिलाफ  आक्रामक माहौल बनाने में जुटा है ताकि  शी  की छवि को और अधिक उभारा जा सके | 

जिनपिंग अपनी ब्रांडिंग किस तर्ज पर कर रहे हैं यह इस बात से समझा जा सकता है चीनी  अर्थव्यवस्था की खस्ता माली हालत के बीच हाल ही में चीन ने भारत के पड़ोसियों को साथ लेकर  वन बेल्ट वन रोड की शुरुआत की जिसमें सौ से अधिक देश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया | चीन कूटनीतिक रास्ते के आसरे विस्तारवादी अपनी पुरानी नीति पर चल रहा है जिसमें वहां का मीडिया शी के साथ कदमताल कर रहा है | इससे चुनाव के मोर्चे पर खुद जिनपिंग की मजबूत स्थिति हो रही है |  डोकलाम विवाद में भी भारत ने चीन को पटखनी दी है| हमारे सैनिक वहां भूटान के साथ मिलकर चीन के सड़क निर्माण पर सवाल उठा रहे हैं  और  दुनिया चीन के हर कदम को उसकी विस्तारवादी नीति के अक्स में देख रही है | चीन की विस्तारवादी नीति के कारण दुनिया के कई देश उससे परेशान हैं |  

भारत चीन के बीच डोकलाम सीमा पर पिछले कई महीने से चल रहा विवाद थमने के कगार पर पहुँच रहा है लेकिन चीनी मीडिया लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है लेकिन हाल के दिनों में अब  चीन के वाटर बम को लेकर कयासों का बाजार गरम है |  चीन की विस्तारवादी नीति के अक्स में अगर झांकें तो यह आशंकाएं निर्मूल हैं  |  असल में  मीडिया में ऐसी खबरें सरकारी मीडिया को साधकर प्लांट की जा रही हैं कि चीन भारत से निपटने के लिए अब  'वॉटर बम' जैसी साजिश रच रहा है, जिससे भारत के बड़े इलाके को तबाह किया जा सके|  अपने सरकारी मीडिया को साधकर चीन एस माहौल बना रहा है जैसे  चीन के  ऊंचाई पर बने हुए बड़े-बड़े बांध भारत के लिए कभी भी  तबाही का मंजर खड़ा कर सकते हैं | 

 तिब्बत से निकलकर  कई नदियां भारत में बहती हैं|  इन नदियों पर चीन ने बड़े-बड़े बांध बना रखे हैं इसलिए  चीन डोकलाम से ध्यान हटाने के लिए अब मीडिया को साधकर वाटर बम का नया दाव खेलने में लगा हुआ है |  अब तक इस बाते के कोई संकेत या सबूत तो नहीं मिले हैं जिससे ऐसा लगा हो  चीन अपने बांधों के दरवाजे खोलकर भारत में जल प्रलय लाने की साजिश रच रहा है, लेकिन  चीन सीधे युद्ध के बजाय मीडिया में शी के राष्ट्रवाद को ढालने में लगा हुआ है | इसके अक्स में देखें तो यहाँ भी उसकी विस्तारवादी नीति में राष्ट्रवाद का तड़का है और इससे सीधे युद्ध की आहट भले ही ना हो लेकिन चुनावी बरस में जिनपिंग अपनी खुद की स्थिति चीन  के सामने मजबूत कर लेंगे जिससे चुनावी बरस में वह अपनी छवि चीन के एक मजबूत नेता के तौर पर बना लेंगे |

कुछ महीने पहले चीन  की सेना अपना 90वां स्थापना दिवस मनाया जिसमें   चीन में पहली आर्मी डे परेड का आयोजन किया गया |  चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी फौज है जिसने  अगस्त 2017 को  90 बरस पूरे कर लिए | इस मौके पर सैन्य दस्तों को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने कहा, आज चीन को एक आधुनिक सेना की ज़रूरत पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा है. उन्होंने सेना से अपनी युद्धक क्षमता और बढ़ाने तथा राष्ट्रीय रक्षा व्यवस्था आधुनिक बनाने को कहा | यही नही जिनपिंग ने कहा पीएलए चीनी सीमा में घुसने वाली किसी भी सेना को हराने और चीन की संप्रभुता, सुरक्षा व राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सक्षम है| ऐसे संकेतों को भी अगर हम डिकोड करें तो साफ़ है शी राष्ट्रवाद के आईने में खुद को मजबूत नेता के तौर पर फिट करना चाहते हैं जिससे अगले बरस वह एक और कार्यकाल के लिए अपना रास्ता साफ़ कर सकें | चीनी राष्ट्रपति अक्सर राष्ट्रवाद की बात दोहराते हैं |  

चीन के साथ  अभी पूर्वी और दक्षिणी चाइना सी में भी काफ़ी विवाद है लेकिन  चीन ने साफ़ संकेत दिया है कि वह अहम क्षेत्रीय हितों को लेकर अपना क़दम पीछे नहीं खींचेगा | चीन अभी दुनिया के किसी देश के खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठाना चाहता  | चीन अगर कुछ गलत  करता है तो दुनिया में उसकी आलोचना होगी और महाशक्ति बनने के उसके सपनों को पंख नहीं लग पाएंगे इसलिए फिजा में राष्ट्रवाद की महक है और चीन का सरकारी मीडिया युद्ध के माहौल के बीच जिनपिंग की नए सिरे से ब्रांडिंग करने में लगा हुआ है | नजरें 2018 की तरफ लगी हैं |  यह तो वही बात है कहीं पे तीर कही पे निशाना | 

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