प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश
आधारभूत संरचनाओं के मामले में न केवल विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है बल्कि
सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को दुनिया के मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। उनके
कुशल नेतृत्व में हमारे देश के कई वर्षों की समृद्ध विरासत को न केवल संजोने का
प्रयास किया जा रहा है बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने का भी
बेहतर प्रयास किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर से लेकर केदारनाथ धाम, रामजन्मभूमि से लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के सौंदर्यीकरण और
सोमनाथ मंदिर जैसे देश के इन ऐतिहासिक स्थलों का अब कायाकल्प हो गया है। अब इसी
क्रम में देश के हृदय स्थल मध्य प्रदेश का महाकाल लोक
भी तैयार है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी 11 अक्टूबर को करने जा रहे हैं। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप
में देश को बड़ी सौगात भी मिली थी, लेकिन उससे कहीं अधिक भव्य महाकाल लोक
की परिकल्पना इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही है।
धार्मिक नगरी उज्जैन का प्राचीन वैभव विराट
महाराज विक्रमादित्य की प्रसिद्ध नगरी उज्जैन भारत की अत्यंत
प्राचीन नगरी है। पुरातन साहित्य में अनेक
स्थान पर इसकी महिमा बताई गई है। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से उज्जैन का बड़ा
महत्व रहा है। पौराणिक महत्त्व की दृष्टि से इसका उज्जयिनी नाम इसलिए पड़ा कि
त्रिपुरासुर को मारने के लिए देवताओं के साथ भगवान शिव ने महाकाल वन में
रक्तदन्तिका चंडिका की आराधना करके महापाशुपत अस्त्र प्राप्त किया और उससे त्रिपुरासुर का वध किया।प्रबल
शत्रु को 'उज्जित' करने के कारण ही इसका नाम उज्जयिनी पड़ा
जो आगे चलकर उज्जैन के नाम से जाना जाने लगा। इसका प्राचीन नाम अवंतिका भी कहा जाता है। यह पवित्र नगरी देवता, तीर्थ,
औषधि,
बीज
और प्राणियों का ‘अवन’ अर्थात रक्षण करती है। स्कंदपुराण में
इस नगरी को 7 प्राचीन नगरियों में
गिना जाता है। यह नगरी काशी से दस गुना पुण्यदायी बताई गई है।
वामन पुराण में भी उल्लेख किया गया है प्रह्लाद ने उज्जैन में
क्षिप्रा नदी में स्नान करके महाकाल के दर्शन किये थे। महाकाल भारत के 12
ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसकी महिमा का वर्णन महाभारत में भी मिलता है। महाकाल
के निकट कोटि तीर्थ का स्पर्श होने से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। यहीं
पर वासुदेव श्रीकृष्ण , उनके भाई बलराम और सुदामा ने उज्जैन में
ही सांदीपनि के आश्रम में विद्या प्राप्त की थी।
ज्योतिष में भी उज्जैन का बड़ा महत्व रहा है। काल गणना के लिए देशांतर की शून्य रेखा उज्जैन में होकर गई जिसका उल्लेख भास्कराचार्य
द्वारा रचित सिद्धांत शिरोमणि में मिलता है जिसमें कहा गया है लंका से उज्जैन और
कुरुक्षेत्र होते हुए जो रेखा मेरु पर्वत तक पहुँचती है, वह मध्य
रेखा मानी गई है। इसी के संकेतस्वरूप उज्जैन की वेधशाला आज भी कार्य कर रही है। प्राचीन भारतीय साम्राज्यों और सभी धर्मों और संस्कृतियों से इस नगरी
का विशेष सम्बन्ध रहा है।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल
पवित्र नगरी उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर देश के 12
ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकाल की महिमा का विभिन्न पुराणों में विस्तृत
वर्णन किया गया है। कालिदास जैसे
संस्कृत के महान कवियों ने इस
मंदिर को भावनात्मक रूप से समृद्ध किया है। उज्जैन प्राचीन काल से भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ
करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। समय के देवता,
शिव
अपने सभी वैभव में, उज्जैन में शाश्वत शासन करते हैं। महाकालेश्वर का मंदिर,
इसका
शिखर आसमान में चढ़ता है, आकाश के खिलाफ एक भव्य अग्रभाग, अपनी
भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को उजागर करता है। महाकाल शहर और उसके
लोगों के जीवन पर हावी है। भगवान
महाकाल के दर्शन से नि:सन्देह मुक्ति पद
प्राप्त होता है। यहां तक कहा गया है कि संसार में वे मनुष्य धन्य हैं, जो
निरन्तर महाकाल के दर्शन के करते
हैं। महाकाल की अद्भुत महिमा को लेकर वृतान्त भरे पड़े हैं ।
नवनिर्मित देवलोक कॉरिडोर ने बदला उज्जैन का नजारा
भगवान शिव के महाकालेश्वर धाम कॉरिडोर का नजारा बिल्कुल देवलोक
में बदल गया है। अब इस परिसर में शिव
पुराण में मौजूद भोलेनाथ के 200
रूपों की प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी। इनके अलावा अभी इस नवनिर्मित
कॉरिडोर के भीतर सप्तर्षियों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं जिनमें महर्षि
कश्यप, महर्षि भारद्वाज, अत्रि, महर्षि गौतम,
महर्षि
विश्वामित्र, जमदग्नि और महर्षि वशिष्ठ की प्रतिमाएं हैं। नवनिर्मित
महाकाल लोक भारत की सनातन संस्कृति की पौराणिकता और नूतनता का
अद्भुत संगम है। इसकी भव्यता आज उज्जैन की
सुंदरता पर चार चांद लगा रही है।
2019 में
मिली कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मंजूरी
2019 में महाकाल
कोरिडोर के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। जब इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली तब इसका
बजट महज 300 करोड़ रुपए था लेकिन मध्य प्रदेश की सत्ता में बीजेपी के आने
के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में इसका बजट दोगुने से भी अधिक
कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज
सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सिंहस्थ-2016 में
उज्जैन में विश्व स्तरीय अधो-संरचना का विकास किया गया था। अब उनके अथक
प्रयासों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से महाकाल लोक के माध्यम से
उज्जैन को देश और दुनिया में नई पहचान मिल रही है।
पहले चरण के कामों ने बदली सूरत
पहले चरण में महाकाल के आँगन में छोटे एवं बड़े रूद्र सागर,
हरसिद्धि
मन्दिर, चार धाम मन्दिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया
गया है। इसके अलावा सप्तर्षियों की प्रतिमाएं, महाकालेश्वर
वाटिका, शिवा अवतार वाटिका, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला,
शिव
तांडव स्त्रोत, और शिव विवाह प्रसंग जैसी चीजें देखने को मिलेंगी। हिंदू
मान्यताओं के अनुसार गणना में संख्या 108 का विशेष महत्व है फिर चाहे वह
मंत्रोचार हो, जप मालाएं हो या फिर या फिर कुछ और हर जगह 108
संख्या को शुभ माना जाता है। इसी तर्ज पर महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को भी
108
स्तंभों पर बनाया गया है। 910 मीटर का यह पूरा महाकाल मंदिर परिसर 108
स्तंभों पर टिका होगा। मंदिर परिसर में
शिव तांडव स्त्रोत शिव, विवाह
प्रसंग पार्किंग स्थल, धर्मशाला और कई अन्य सारी चीजें बनाई गई
हैं लेकिन महाकाल वन सबका ध्यान अनायास ही खींच रहा है जिसका निर्माण संस्कृत के महाकवि कालिदास के महाकाव्य
मेघदूत में महाकाल वन के वर्णन और चित्रण के आधार पर किया गया है। इन सबके अलावा
मंदिर परिसर कार और मोटर बाइक पार्किंग सुविधाओं का विकास भी किया गया है जिनमें
एक समय में कई हजार गाड़ियों को पार्क किया
जा सकता है।
यहाँ पर पग
यात्रियों के लिए 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है।
इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वॉल बनाई गई
है। शिव स्तंभ, शिव की मूर्तियां
अलौकिक छटा को बिखेर रहे हैं। यहाँ पर लोटस पोंड, ओपन एयर
थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में साफ़ पानी भरा गया
है। महाकाल थीम पार्क में भगवान श्री
महाकालेश्वर की कथाओं से युक्त म्यूरल वॉल, सप्त सागर के
लिए डैक एरिया एवं उसके नीचे शॉपिंग और बैठक क्षेत्र सुविधाएँ विकसित की गई हैं।
इसी तरह त्रिवेणी संग्रहालय के समीप कार, बस और दोपहिया वाहन की मल्टीलेवल
पार्किंग बन चुकी है। इस क्षेत्र में धर्मशाला एवं अन्न क्षेत्र भी हैं। रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की अब
बेहतर कनेक्टिविटी विकसित की गई है। मिड-वे झोन में पूजन सामग्री की दुकानें,
फूड
कोर्ट, लेक व्यू रेस्टोरेंट, लेक फ्रंट डेवलपमेंट, जन-सुविधाएँ
और टॉवर सहित निगरानी एवं नियंत्रण केन्द्र की स्थापना भी की गई है जो इस परिसर के
बदलते रूप को बता रहा है।
2.2 हेक्टेयर से बढ़कर 20
हेक्टेयर से अधिक हो गया है परिसर
पहले मंदिर का परिषद
महज 2.2 हेक्टेयर था। नवनिर्मित परिसर लगभग 20 हेक्टेयर से भी अधिक का हो गया है। महाकाल लोक का यह नवनिर्मित
कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से लगभग 4
गुना बड़ा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के
नवनिर्मित परिसर का क्षेत्रफल 5 हेक्टेयर है जबकि महाकाल मंदिर के जिस
कोरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा है उसके परिसर का क्षेत्रफल 20
हेक्टेयर से भी अधिक है। अब महाकाल मंदिर का यह परिसर इतना बड़ा हो चुका है कि इस
समय 1
घंटे में लाखों श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।
धर्म नगरी उज्जैन को मिलेगी एक नई पहचान
महाकाल कॉरिडोर के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का
महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, वे
कथाएं अब धर्मनगरी उज्जैन में जीवंत हो उठेंगी साथ ही देश और दुनिया से महाकाल का दर्शन करने के
लिए लाखों की संख्या में भक्तों पहुंचेंगे जिससे उज्जैन शहर में पर्यटन नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
जनता में बढ़ा
‘फ्लाईओवर
सेल्फी’ का क्रेज
पिछले महीने मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल की महाकाल नगरी में हुई
आज़ादी के बाद की पहली बैठक के बाद ‘फ्लाईओवर
सेल्फी’ के लिए लोगों की दीवानगी बढ़ गई है। इस प्रोजेक्ट की भव्यता को लेकर स्थानीय लोग
उत्साहित हैं। हर दिन सूरज के ढलने के बाद काफी संख्या में लोग ओवरब्रिज के पास
एकत्र होकर प्राचीन रुद्रसागर झील की छटा
को निहारते हैं और और उसे अपनी ‘सेल्फी’ में कैद करने की कोशिश करते हैं। सरकार के प्रयासों के चलते अब यहाँ श्रद्धालुओं को पहुंचने और
महाकाल के दर्शन करने में आसानी होगी।
पर्यटन विकास को लगेंगे नए पंख
महाकाल लोक का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से होने के बाद प्रदेश के पर्यटन विकास को नए पंख लगेंगे। प्रधानमंत्री के आने का कार्यक्रम तय होने के बाद से उज्जैन में पिछले कई दिनों से
25 से 30
हजार श्रद्धालु और पर्यटक आने लगे हैं। लोकार्पण के पहले ही महाकाल कारिडोर
में भी भक्तों की आवाजाही बढ़ गई है। ऐसे
में जब महाकाल कारिडोर का भव्य लोकार्पण हो जाएगा तो भक्तों और पर्यटकों की
संख्या में भारी इजाफा होना तय माना जा रहा है। इससे जहाँ पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा वहीँ दुनिया के धार्मिक पर्यटन का मुख्य केन्द्र भविष्य में
उज्जैन बन जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये इस पूरे इलाके में विशेष प्रयास किये जा
रहे है। उज्जैन में धार्मिक पर्यटन की असीम और अपार संभावनाएं हैं। महाकाल लोक की परिकल्पना जिस तरह से साकार हुई
है उसे देखते हुए कहा जा सकता
है शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना एक बड़ा काम है।
उज्जैन में कम से कम दो दिन
उज्जैन जिला प्रशासन ने महाकाल लोक को एक नई टैग लाइन दी है, जिसमें लिखा
है ‘उज्जैन
में कम से कम दो दिन’ यानि अब आप उज्जैन आएंगे तो यहां महाकाल लोक एवं दर्शन के
साथ-साथ पूरे शहर में घूमने के लिए आपको दो दिन का वक्त निकालना होगा। इसे यहाँ
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिशों
के तौर पर देखा जा रहा है।
दूसरा चरण
महाकाल लोक क्षेत्र
विकास योजना के दूसरे चरण ‘’मृदा प्रोजेक्ट-2’’ में
महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा। इस चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में
पूर्ण होंगे। इसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग,
पुराने
अवशेषों का समावेश कर भवन का आंशिक उपयोग कुंभ संग्रहालय के रूप में करते हुए इस
परिसर का महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा। महाराजवाड़ा परिसर का भी विकास किया जायेगा
जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ
संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश एवं इस परिसर का महाकाल मन्दिर
परिसर से एकीकरण होगा। स्थानीय कला एवं
संस्कृति को दर्शाते हुए सांस्कृतिक हाट का भी यहाँ निर्माण होगा। रामघाट फसाड ट्रीटमेंट के घटक
में रामघाट की ओर जाने वाले पैदल मार्ग का कायाकल्प, फेरी एवं
ठेला व्यवसाइयों के लिये अलग व्यवस्था, वास्तुकलात्मक तत्वों के प्रयोग
द्वारा गलियों का सौन्दर्यीकरण , रामघाट
पर सिंहस्थ थीम आधारित डायनेमिक लाइट शो किया जायेगा। पार्किंग, धर्मशाला,
प्रवचन
हॉल एवं अन्न क्षेत्र का भी निर्माण किया जा रहा है।
छोटा रूद्र सागर लेक
फ्रंट विकास योजना में लैंडस्केपिंग सहित मनोरंजन केन्द्र, वैदिक वाटिका
एवं योग केन्द्र, मंत्रध्वनि स्थल एवं पार्किंग का विकास भी सरकार की प्राथमिकताओं में है। रूद्र
सागर को शिप्रा नदी से जोड़ा जायेगा। हरि फाटक ओवर ब्रिज की चारों भुजाओं को चौड़ा
किया जायेगा और जयसिंहपुरा के समीप रेलवे अण्डरपास बनाया जायेगा। महाकालेश्वर थाने
के पास स्थित महाकाल द्वार का संरक्षण किया जायेगा और यहाँ हेरिटेज कॉरिडोर विकसित
होगा। इसी तरह बेगमबाग क्षेत्र का विकास एवं सौन्दर्यीकरण भी होगा। रूद्र सागर पर 210
मीटर लम्बा पैदल पुल बनाया जायेगा, जो पीएचई की पानी की टंकी से महाकाल थीम
पार्क को जोड़ेगा। इस चरण में श्री महाकाल मन्दिर परिसर के आगे के भाग का लगभग 70 मीटर
तक विस्तार किया जायेगा। इस क्षेत्र में
बैठने का स्थान, लैंडस्केपिंग एवं पैदल मार्ग भी प्रस्तावित हैं।
इस प्रकार महाकाल लोक की निराली महिमा यहाँ के कण- कण में समायी हुई है। उज्जयिनी, अवंतिका,
अमरावती, पद्मावती, कुशस्थली, भोगवती, हिरण्यवती, कनकशृंगा, कुमुद्धवती, प्रतिकल्पा, विशाल
और अवन्ति आदि नामों से पूजनीय महाकाल की नगरी का स्मरण अक्षय फल प्रदान करने वाला है।
No comments:
Post a Comment