Sunday 16 October 2022

मप्र में हिन्दी माध्यम में पढ़ाई, मुख्यमंत्री शिवराज की सराहनीय पहल




हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिन्दी का एक विशेष स्थान है। मातृभाषा के  रूप में  हिन्दी को आगे बढ़ाने की दिशा में  किसी राज्य  ने अपने कदम तेजी से बढ़ाये हैं  तो वह है देश का हृदयस्थल कहा जाने वाला  मध्य प्रदेश। इसका श्रेय  सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है जो लगातार  हिन्दी  भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम कर  रहे हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश में  हिन्दी भाषा  रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रही है।

 नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी  हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल ने हिन्दी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी।  विश्वविद्यालय ने तीन भाषाओं में जहां  इंजीनियरिंग की शुरुआत की, वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाये, हालांकि तत्कालीन  समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से इसकी अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्यप्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।  मध्य प्रदेश  में अब इंजीनियर बनने में  भाषा  राह में रुकावट नहीं बनेगी। प्रदेश में मेडिकल के साथ ही इंजीनियरिंग, नर्सिंग और पैरामेडिकल की पढ़ाई भी  हिन्दी  में कराई जाएगी।  हिन्दी  के प्रयोग से जहाँ  इंजीनियरिंग, मेडिकल  की पढ़ाई  का दायरा बढ़ेगा वहीँ समाज के हर वर्ग के प्रतिभाशाली युवा तकनीकी पढ़ाई के लिए आगे आएंगे।  इससे पठन - पाठन का  स्तर  जहाँ सुधरेगा वहीँ शोध की गुणवत्ता और स्तर में भी सुधार होगा।

 मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई भी अब हिन्दी में होगी।  प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में मौजूदा सत्र से ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री की पढ़ाई कराई जाएगी। अगले सत्र से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में भी इसे लागू किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को  राजधानी भोपाल में एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम की शुरूआत करेंगे।  भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड में  एम.बी.बी.एस. के पहले वर्ष की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन होगा।  पढ़ाई  को हिन्दी  में भी कराने के लिए पुस्तकें भी अंग्रेजी से अनुवाद कर हिन्दी में तैयार की गई हैं।  पठन सामग्री  इस तरह से तैयार की गई, जो छात्र -छात्रों  को आसानी से समझ में आ जाएं।  इस कार्यक्रम में सभी कालेजों के एमबीबीएस प्रथम वर्ष  में अध्ययनरत सभी छात्र छात्राओं   को बुलाया जा रहा है।इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी  भाषा की  कठिन शब्दावली के होने से  हिन्दी माध्यम  में पढ़ने वाले ग्रामीण छात्र छात्राओं को कठिनाई होती है। अब  इंजीनियरिंग और एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू होने से गरीब एवं मध्यम वर्ग के  हिन्दी माध्यम में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिये पढ़ाई  आसान होगी ।  मध्य प्रदेश सरकार का हिन्दी  भाषा को  बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया यह कदम  सराहनीय  है।
 
 मध्य प्रदेश  की धार्मिक नगरी उज्जैन में नवनिर्मित श्री महाकाल लोक में खूबसूरत स्थानों  को हिन्दी  के माध्यम से नई पहचान मिल रही है।  हिन्दी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यहाँ सभी नाम  हिन्दी  में रखे गए हैं।   सभी स्थानों के अंग्रेजी नाम अब हटाए जा चुके हैं। विजिटर फेसिलिटी सेंटर को मानसरोवर, मिड-वे ज़ोन को मध्यांचल, कमर्शियल प्लाजा को त्रिवेणी मंडपम, लोटस पॉन्ड, को कमल सरोवर, नाइट गार्डन को सांध्य वाटिका, गजिबो क्षेत्रों को त्रिपथ मंडपम व भैरव मंडपम, डेक-1 को अवंतिका और डेक-2 को कनकशृंगा नाम दिया गया है।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों  यहाँ के अंग्रेजी नामों पर आपत्ति जताई थी , जिसके बाद  उनके निर्देशों पर ही  हिन्दी नाम रखे गए ।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी का संकल्प है कि शिक्षा का माध्यम मातृ-भाषा बने ।  शिक्षा मंत्रालय ने  अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई  शुरू करने की जरूरत बताई  , जिसके बाद  मध्य प्रदेश सरकार ने मातृभाषा पर ज़ोर देते हुए हिन्दी  में पढ़ाई शुरू  करने की दिशा में अपने कदम तेजी से बढ़ाये हैं ।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  मानते हैं  विद्यार्थी अंग्रेजी अवश्य सीखें, पर शिक्षा अंग्रेजी में ही संभव है, इस विचार से मुक्ति  मिलनी जरूरी है। हिन्दी में पढ़ाई के लिए देश में आत्म-विश्वास पैदा करना आवश्यक है।  हिन्दी  भाषा में  मेडिकल और  इंजीनियरिंग  की पढ़ाई उसी की शुरुआत है।

अनेक मौकों पर मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने हिन्दी  को बढ़ावा देने , खुद उपयोग करने और दूसरों को भी प्रेरित  करने की जरूरत बताई। इस साल  हिन्दी दिवस के मौके पर  मुख्यमंत्री ने हिन्दी  के प्रयोग न करने और कम प्रयोग करने के  कार्य को एक तरह की मानसिक गुलामी का प्रतीक बताया था ।  तब उन्होंने इस भाव को देश से बाहर  निकालने की जरूरत भी बताई । मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की इस  पहल से प्रदेश के गरीब, ग्रामीण इलाकों के बच्चों ,  मध्यमवर्गी परिवारों को इसका  बड़ा लाभ मिलेगा। इससे  छात्र छात्राओं  को शिक्षा के लिए समान अवसर  भी  मिलेंगे और उनकी पढ़ाई में अब अंग्रेजी भाषा बाधा नहीं बनेगी । 

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