मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब से प्रदेश की कमान संभाली है, तब से उनकी कार्यशैली और दूरदर्शिता ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। जल की कमी, खराब सड़कें और औद्योगिक पिछड़ापन दशकों से बुंदेलखंड की सबसे बड़ी त्रासदी रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद संभालते ही प्रदेश के हर क्षेत्र को समान रूप से विकसित करने का संकल्प लिया है। डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभालते ही बुंदेलखंड को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा। बुंदेलखंड क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलता आ रहा था, अब मोहन के नेतृत्व में एक नई उड़ान भरने को तैयार है।
बुंदेलखंड की सबसे बड़ी समस्या जल संकट रहा है। इसे प्राथमिकता देते हुए मोहन सरकार ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति दी है। एक तरफ केन-बेतवा लिंक परियोजना को अभी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है वहीँ दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह और सागर जिलों में कई सिंचाई योजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसी प्रकार नदियों और तालाबों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण भी तेज हुआ है। पिछले दो वर्षों में सरकार ने न केवल केंद्रीय योजनाओं को गति दी, बल्कि राज्य स्तर पर अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। 2024 में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना सरीखी राष्ट्रीय परियोजना को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र और राज्य स्तर पर समन्वय स्थापित कर तेजी से आगे बढ़ाया है। इस परियोजना से बुंदेलखंड के 13 जिलों में 10.62 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी। आने वाले दिनों में नर्मदा-सोनार लिंक परियोजना भी बुंदेलखंड के लिए वरदान साबित होगी जिससे यहाँ का जलसंकट हमेशा के लिए दूर हो जाएगा। सोनार नदी को नर्मदा से जोड़ने का सर्वे जल्द शुरू होगा। इससे बुंदेलखंड की सूखी नदियां कभी न सूखेंगी और क्षेत्र की धरती पहले से कहीं अधिक उपजाऊ बनेगी। इसी तरह से पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना और ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना भी बुंदेलखंड के पानी के संकट को समाप्त कर देंगी। महाराष्ट्र के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं जिससे बुंदेलखंड के समूचे अंचल में पेयजल और सिंचाई की समस्या हल हो जाएगी।
बुंदेलखंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी रही है कि यहां पहुंचना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका कायाकल्प करने की ठानी दशकों से सूखा और पिछड़ापन इस क्षेत्र की पहचान बने थे अब इस क्षेत्र में पिछले डेढ़ वर्षों में सड़क, रेल और हवाई संपर्क ने अभूतपूर्व विकास किया है। ख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुंदेलखंड को कनेक्टिविटी की नई गति दी है। सागर-दमोह-कटनी-लखनादौन को जोड़ने वाली चार लेन सड़क परियोजना को मंजूरी हो या टीकमगढ़ से सागर तक नई रेल लाइन और छतरपुर-टीकमगढ़-झांसी रेल लाइन का विस्तार कनेक्टिविटी में अब बुंदेलखंड किसी भी तरह से पीछे नहीं है। खजुराहो,दतिया सागर और ग्वालियर एयरपोर्ट के उन्नयन और नए हवाई अड्डों की कार्ययोजना ने बुंदेलखंड की हवाई कनेक्टिविटी को मजबूत किया है। डेढ़ दशक से रुके प्रोजेक्ट अब रिकॉर्ड समय में पूरे हो रहे हैं। बुंदेलखंड की कनेक्टिविटी बेहतर होने से यहाँ पर्यटन, उद्योग और रोज़गार के नए द्वार खुल रहे हैं। बेहतर कनेक्टिविटी होने से यहाँ पर अब परियोजनाएं न केवल आवागमन को आसान बनाएंगी, बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा देंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प ने बुन्देलखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में कई ऐतिहासिक पहल की हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस और पीजी मेडिकल सीटों की संख्या में वृद्धि से लेकर तकनीकी रूप से उक्त स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार तक राज्य ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। एक तरह जहाँ पन्ना, दमोह और टीकमगढ़ में नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं वहीँ सागर में कैंसर हॉस्पिटल की घोषणा के साथ ही हर जिले में उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना जैसे कदम बुंदेलखंड के युवाओं को को घर के पास ही अच्छी शिक्षा और इलाज की सुविधा देंगे।प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के मिशन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुंदेलखंड को शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए जो कार्य कर रहे हैं, वे आने वाले वर्षों में बुंदेलखंड की सूरत को बदलकर रख देंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुंदेलखंड को निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने पर जोर दे रही है। इसी कड़ी में सागर में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किया जा चुका है। प्रदेश में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करना और निवेशकों को आकर्षित करना इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य था। इस कॉन्क्लेव में लगभग 23,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए और 27,800 से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए। डिफेंस कॉरिडोर के तहत टीकमगढ़ और झांसी में कई बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य प्रगति पर है वहीँ खजुराहो, ओरछा, पन्ना टाइगर रिजर्व और चंदेरी के पर्यटन सर्किट को विश्वस्तरीय बनाने की कार्ययोजना पर राज्य सरकार काम कर रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे जैसे बड़े प्रोजेक्ट से यह क्षेत्र दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़ेगा जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन की समस्या कम होगी।
विरासत से विकास के अपने मिशन और सांस्कृतिक धरोहरों को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक 9 दिसंबर को खजुराहो में आयोजित होगी। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में विख्यात खजुराहो की प्राचीन मंदिर वास्तुकला और चंदेल राजवंश की अमर विरासत के बीच होने वाली यह बैठक न केवल प्रशासनिक समीक्षा का मंच बनेगी, बल्कि 'विरासत से विकास' के संकल्प को मजबूत करने का प्रतीकात्मक संदेश भी देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विरासत भी और विकास भी' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में यह कदम मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्व की बैठकों में बार-बार जोर दिया है कि राज्य का विकास प्राचीन गौरव को नष्ट किए बिना ही संभव है। पचमढ़ी और इंदौर जैसी पिछली कैबिनेट बैठकों की तर्ज पर खजुराहो में भी सांस्कृतिक पुनरुत्थान और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के संयोजन पर विशेष फोकस होगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और स्थानीय कारीगरों के लिए कौशल विकास योजनाओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। यह आयोजन न केवल प्रशासनिक दक्षता को परखेगा, बल्कि मध्य प्रदेश को 'विरासत से विकास' की मिसाल के रूप में स्थापित करेगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बुंदेलखंड के प्रति विशेष लगाव और संवेदनशीलता साफ दिखाई देती है। वे स्वयं अधिकारियों को समय-सीमा में इस इलाके की कई परियोजनाएं पूरी करने के निर्देश दे रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरगामी सोच और त्वरित निर्णय लेने की शैली ने यह विश्वास जगाया है कि अब बुंदेलखंड पिछड़ापन का पर्याय नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह क्षेत्र न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए विकास का नया मॉडल बनेगा।