Sunday 5 April 2009

आस्था और विश्वास का केन्द्र है उत्तराखंड के सोर स्थित माता कामाक्ष्या का दरबार .........



हिमालय की गोद में बसा सीमान्त जनपद पिथोरागढ़ प्राकृतिक सौन्दर्य से लबालब भरा पड़ा है.... अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुषमा के कारण यह जनपद "मिनी कश्मीर" नाम से भी जाना जाता है... दूर दूर तक फेलीहरी भरी पहाडिया और हिम से ढके शिखर बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेते है ... जनपद में स्थित अटूट आस्था और विश्वास के केन्द्र रहे मंदिरों की ख्याति दूर दूर तक फेली है जिस कारण भक्तजन माता के दरबार में आकर एक बार मनोती अवश्य ही मनाते है .... रमणीक वादियों और पर्वत मालाओ के बीच माता का मन्दिर स्थित है ... अटूट आस्था और भक्ति का यह केन्द्र अध्यात्मिक शान्ति के साथ प्रकृति से सीधे संवाद कायम कराता प्रतीत होता है ...इस कारण भक्त दूर दूर से माता जी के दर्शनों को यहाँ पहुचते है .... उपवासों , त्योहारों , धार्मिक पर्वो पर समीप वर्ती ग्रामीण अंचलो से बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आकर पूजा अर्चना करते है और मन्नते मांगते है ....जनपद मुख्यालय से सटे छावनी एरिया और कुसोली गाव के मध्य में स्थित माता जी का यह दरबार पिथोरागढ़ में खासी प्रसिद्दि पाये हुए है ...माता के इस दरबार तक पहुचने में भक्तो को खासी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है ....जनपद मुख्यालय से सटे कुछ किलो मीटर की दूरी पर स्थित केंट एरिया हेतु हर समय वाहनों की सेवा रहती है... वाहन से कुछ दूरी उतरकर यहाँ से थोडी चदायी चदकर भक्त आस्था के इस पवन केन्द्र तक पहुच सकते है , जहाँ माता के दर्शनों से आत्मिक सुख शान्ति मिलती है ....
स्थानीय लोग बताते है इस मन्दिर की स्थापना वर्ष १९७२ में मदन मोहन शर्मा के प्रयासों से हुई ...... तब मन्दिर का स्वरूप बहुत छोटा था... किंतु स्थानीय धर्म प्रेमी जनता के प्रयासों से अभी कुछ वर्षो में मन्दिर ने काफी विशाल स्वरूप को ग्रहण कर लिया है... मन्दिर के विस्तारीकरण में वास्तुकार डी शाह ने अहम् योगदान दिया है ... वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध वास्तुकार रहे है...
मन्दिर का प्रवेश द्वार बंगला शेली में बनाया गया है... जो बहुत खूबसूरत दिखाई देता है... यहाँ के मन्दिर की वास्तुकला यहाँ आने वाले हर भक्क्त का मन मोह लेती है... मन्दिर में माता की विशाल प्रतिमा लगायी गई है ...जिसके दर्शन भक्त दूर से कर सकते है... मन्दिर की दीवारों में की गई नक्कासी , संस्कृत में लिखे गए श्लोक , आरतिया हर भक्त के मन को खुश कर देती है... मन्दिर में भेरव देवता , बजरंग बली जी की मूर्तिया भी स्थापित की गई है...मन्दिर में भजन कीर्तन के पर्याप्त स्थान के अलावा यज्ञशाला का निर्माण भी किया गया है.... यज्ञशाला के उपर प्राकृतिक रोशनी को शीशे लगवाये गए है ...मन्दिर परिसर से हवाई पट्टी के दृश्य देखकर काफी सुकून मिलता है... साथ ही यहाँ जाकर आपको नैनी सेनी गाव का विहंगम दृश्य भी देखने को मिलता है...यहाँ पर आकर मन को शान्ति मिलती है... मंद मंद बहने वाली हवा जब चलती है तो ऐसा लगता है यही बस जाया जाए....भक्तो में माता के प्रति अगाध आस्था और विश्वास बना है.... इसका कारन यह हैमाता के दरबार की शीतलता मन को तृप्त कर देती है ... छावनी एरिया से लगे होने के कारन सेना के जवानों में माता के दर्शनों की भारी होड लगी रहती है..... जवान माता को एक अराध्य देवी के रूप में मानते है इस कारन से दूर दूर से आर्मी के जवान यहाँ आकर मन्नते मांगते है ... वैसे भी मन्दिर निर्माण में ६९ ब्रिगेड का खासा योगदान रहा है.... मन्दिर के रख रखाव में भी सेना के कुमाऊ रेजिमेंट के जवानों का खासा योगदान है...
कुछ वर्षो पहले तक यहाँ पर सावन मास , नवरातो , धार्मिक आयोजनों में ही भीड़ लगी रहती थीलेकिन हाल के कुछ समय से भक्तो की आवाजाही यहाँ दिन रात लगी रहती है...मन्दिर के प्रवेश द्वार से नीचे एक छोटा सा मन्दिर है...जहाँ पर विशाल शिव लिंग का निर्माण किया गया है... यदि राज्य सरकार मन्दिर के सौन्दर्यीकरण , विस्तारीकरण की दिशा में धयान दे तो यह स्थल अध्यात्मिक केन्द्र के रूप में पर्यटन मानचित्र में अपनी जगह बनने में सफल हो सकता है....लोगो को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री "प्रकाश पन्त " से इस दिशा में कई उम्मीद है लेकिन अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई कारगर पहल नही की है जिस कारन लोगो में निराशा है...
कुछ समय पहले जब मेरा उत्तराखंड जाना हुआ तो यहाँ कुछ दिनों तक रुकना हुआ.... इस दौरान मन्दिर में कई भक्तो से भी मुलाकात हुई....मन्दिर बाबत पूछने पर पिथोरागढ़ सुवाकोट के रहने वाले युवा "राजेंद्र "( गुड्डू) ने बताया की राज्य सरकार को पर्यटन के लिहाज से कारगर पहल करने की जरूरत है जिससे देव भूमि के कई सुंदर मंदिरों की गूंज दूर दूर तक फेलेगी......

चुनावो के मैदान से हमारे चुनावी सफर का आगाज आगामी "अप्रैल " सप्ताह से होने जा रहा है....इस सफर में आपके सहयोग की मुझको आशा है... रिपोर्टो पर अपनी बेबाक राय का मुझको सदा की तरह इस बार भी इंतजार रहेगा.....बस आप ब्लॉग पर नजर टिकाते रहिये...........................................

13 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी जसनकारी ... धन्‍यवाद।

Unknown said...

Hi, harsh tum bahut achcha likh rahe ho... bas isi tarah se likhte raho... yah post mujhko achchi lagi... nice.... chunavi khabaro ki apni special covarage kab se shuroo kar rahe ho april to shuroo ho gaya hai.....?

Unknown said...

sir aajkal kya aap jyada busy hai shayad tabhi kam post padne ko mil rahi hai?
yah darmik jaankari achchi lagi... ab chunavi khararo ko kab se shuroo karne ka irada haiaapka?

डॉ. मनोज मिश्र said...

vakai bhut umda .

Science Bloggers Association said...

jaankari ke liye aabhar.

hem pandey said...

उत्तराखंड के इस मन्दिर की जानकारी के लिए आभार. पंहुच मार्ग की जानकारी भी दी होती तो और अधिक उपयोगी होता. उत्तराखंड में अनेक महत्वपूर्ण मंदिर हैं. गंगोलीहाट का हाटकाली मंदिर भी उनमें एक है. उसी के निकट अद्भुत दर्शनीय स्थल पाताल भुवनेश्वर है. उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि इन दर्शनीय स्थलों तक आवागमन आदि की सुविधा उपलब्ध करा के पर्यटन को बढावा दे, जो स्थानीय रोजगार और प्रदेश के विकास में सहायक होगा.

Mumukshh Ki Rachanain said...

उत्तराखंड के इस मन्दिर की जानकारी के लिए आभार

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा... बेहतरीन जानकारी के लिये साधुवाद..

दर्पण साह said...

BHAUTE BADI POST !DAJYU MAZ AE GO!!

ASHA KARA HOON KI IS POST KO EK SERIAL KI TARAH CHAL KAR GOLU DEVTA AADI KA BHI VARNAN KAREINGE...

Unknown said...

harsh ji aapki "boltikalam " mere liye bahut khas hai... itna achcha likhte jaa rahe hai aap ki mere pass sabd hii nahi hai kuch kahne ke... lekin aap se ek gujaris hai niyamit blog par likhte rahe ... isse humko bhii laabh hoga .. hum har din aapko padne aayenge...
asha karta hoo aap dharmik lekh samay samay par apne blog ke madhyam se uplabdh karatae rahenge.....
chunavi khabaro kii ab jyada prateeksa nahi sahi jaa rahi hai.. jaldi se shuroo kariye.....

Alpana Verma said...

yah to bahut hi achchee jankari hai.is bare mein jaankari pahle nahin thi.

uttrakhand ke parytan ko aur adhik viksit kiya jana chaheeye.

uttar pradesh se alag hone ke baad shayad is kshetr ka proper vikaas ho sakega.

[aap yah word verification bhi kripya hatayeeye ]

Dev said...

Harsh bhai,
Mata ke darbar me le jane ke liye bahut bhut aabhar....

Ha bahi ek kam aap aur kar le to achchha rahega, Word Verifecation hata le..

Dhanyavad...

Harshvardhan said...

hem pandey ji aur darpan shah ji aapko comment ke liye meri taraf se dhanyavad. hem ji aap dono ke nivedan to me saharash sweekar karta hoo. aane wale samay me apne uttarkhand ki maati ke kuch anay dharmik adhayatamik sthano kii jaankari apne blog me dalunga .
alpana verma ji uttarakhand me paryatak sthano ki bharmaar hai par sarkar ke pass uske develpoment ka koi vison nahi hai jis karan kai sthal aaj bhee paryatako kii aankho se ojhal hai.
aap sabhi ko comment dene ke liye shukria.
aage chunavo par visesh series shuroo kar raha hoo . is par apni raay se aap mujhko avgat karvate rahiyega aisi asha hai.


harsh