Saturday 27 February 2010

उत्तराखंड में कुमाऊ की "खड़ी होली" १ ....

होली का त्यौहार ज्यादा दूर नहीं है.... उत्तराखंड के कुमाऊ अंचल में इसको मनाये जाने की लम्बी परंपरा रही है... इस अवसर पर महिलाये भी एक दुसरे के घर घर जाकर होली मनाते है... रंग पड़ने के दिन से हर किसी के घर में होली गई जाने लगती है... इस अवसर पर बहुत सी महिलाये दूसरा वेश भी धारण करती है जिसको "स्वांग" कहा जाता है... यह सब कर महिलाये होली को इंजॉय करती है .....
बचपन से उत्तराखंड के कुमाऊ अंचल से गहरा नाता रहा है॥ होली जब अब ज्यादा दूर नहीं है तो इस अवसर पर अपने ब्लॉग में खड़ी होली के गीत लिख रहा हूँ जो वहां के घर घर में ढोलक बजाकर गाई जाती है... आज ही अपने बचपन के साथी का मोबाइल पर फ़ोन आया... उसने मुझसे होली लिखने का अनुरोध किया है... उसका कहना है नौकरी के चक्कर में जबसे उत्तराखंड से बाहर जाना हुआ है तो तब से वहां की होली को बहुत मिस कर रहा हू... अतः मैंने अपने दोस्त के अनुरोध पर यह तय किया है इस बार ब्लॉग में अपने पहाड़ो की मनाये जानी वाली "खडी होली" को जरुर लिखूंगा...... आज से इसका शुभारम्भ कर रहा हूँ... आशा है आपका सहयोग मिलेगा.....

सिद्धि को दाताविघ्न विनासन,
होली खेले गिरजापति नन्दन
सिद्धि को दाता विघ्न विनासन
गौरी को नन्दन, मूसा की वहां,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
लाओ भवानी अक्षत चन्दन,
होली खेले गिरजा पति नन्दन
होली खेले गिरजा पति नन्दन ,
गज मोतियन से चौक पुराऊ
होली खेले गिरजा पति नंदन ,
होली खेले गिरजा पति नंदन
ताल बजावे अन्चन कंचन ,
डमरू बजावे शम्भू विभूषण
होली खेले गिरजा पति नंदन
होली खेले गिरजा पति नंदन





1 comment:

Unknown said...

good work again harsh....pahari holi humari adbhut parampra ka prateek hai..and knowing more about it thru ur post, lets commit ourself to take this cult forward and endeavour to preserve it.
God Bless