मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही झीलों के रख रखाव के लाख दावे करे परन्तु असलियत किसी से छिपी नही है... राजधानी भोपाल के सारे तालाब गंदगी की चपेट में है ....
नगर निगम के आला अधिकारी कभी इन तालाबो की सुध नही ले सके जिसके चलते तालाबो का पानी दूषितहोता जा रहा है...
भोपाल शहर के पुराने तालाब इन दिनों गंदगी की चपेट में होने के साथ ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे है॥ जहाँ आस पास का कचरा और सीवर का बदबूदार पानी इन तालाबो को गन्दा कर रहा है वही इस पानी में रेंगते कीड़े खतरे की घंटी को बजा रहे है परन्तु निगम के अधिकारी इससे बेखबर है..
राजधानी भोपाल राजा भोज के समय से तालाबो की नगरी के नाम से जानी जाती है... मुंशी हुसैन खान तालाब का पानी आज पूरी तरह से प्रदूषित हो चूका है..नवाब शाहजहाँ बेगम के टीचर मुंशी हुसैन खान ने भोपाल में छोटा सा डेम बनाकर यहाँ के पानी को रोका जिसे तालाब का रूप दिया गया॥ लेकिन आज इस तालाब की स्थिति बदहाल है..
तालाब का पानी इतना दूषित हो चूका है कि यहाँ पर सांस लेना भी दूभर हो गया है॥ गंदगी के कारण तालाब के आस पास के इलाके भी इससे प्रभावित हो रहे है..परन्तु नगर निगम के अधिकारी इन सब बातो से बेखबर है॥
मुंशी हुसैन खान तालाब से लगा बीच का तालाब भी आज गंदगी के प्रभाव से अछूता नही है..शाहजहाँ बेगम ने अपने शौहर सिद्दीक हसन खान की याद में नूर महल बनाया था॥ बाद में जब यहाँ सड़क का निर्माण कराया गया तो मोतिया तालाब का पानी यहाँ रुकने लगा जिसने एक तालाब का रूप ले लिया ...
आज इस तालाब की हालत बहुत खराब हो चुकी है... तालाब पूरी तरह सूख चूका है॥ तालाब के आस पास के इलाके में अतिक्रमण भी बद गया है...नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से यहाँ पर ऊँची रसूख वालो ने अपने भवन बना लिए है जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई है॥
लोगो में इसे लेकर खासा आक्रोश भी है॥ कई लोगो का कहना है कि उनका बचपन इस तालाब में गुजरा ॥ लेकिन पहले और आज की स्थिति में काफी अंतर आ गया है..अतिक्रमण के चलते आज तालाब अपना नामोनिशान खो चूका है॥
पुराने शहर का खूबसूरत तलब रहा मोतिया तालाब भी आज प्रदूषित हो चूका है..कल शाम जब पुराने शहर घूम रहा था तो लोगो ने मुझे बताया ये तालाब शाहजहाँ बेगम जिन्होंने ताजुल मस्जिद बनवाई तब उन्होंने ही नमाज पड़ने वालो के "वुजू" के लिए एक डेम बना दिया जिन्होंने अपनी माँ सिकंदर जहाँ के घरेलू नाम "मोती" बीबी के नाम पर मोतिया तालाब रख दिया..
लेकिन आज समय बीतने के साथ ही इसकी सुन्दरता पर भी ग्रहण लग गयाहै..तालाब के आस पास मौजूद अस्पतालों का कचरा इसके जल को प्रदूषित कर रहा है..सीवेज के पानी और धोबियो ने इसके पानी को कही का नही छोड़ा है... आप इसमें हाथ नही धो सकते..
लोग कहते है नगर निगम वाले यहाँ आते तो जरुर है लेकिन ऊँची रसूख वालो से उनकी मिलीभगत होने के कारण यहाँ के तालाब की तरफ उनका ध्यान नही जाता....
4 comments:
चिन्ता का विषय है.
तालाबों के कारण मध्यप्रदेश की राजधानी एक खूबसूरत नहीं, अत्यंत खूबसूरत शहर बन सकता है. लेकिन अधिकारी, नेता या कोई संगठन इस हेतु गंभीर नहीं है.
क्या भोपाल के उन तालाबों उस बड़ी झील का नाम भी शामिल है....जहां हमने कुछ वक्त बिताये थे....मेरा ख्याल है बड़ी झील भी शामिल होगा....आज काफी समय बाद तुम्हारा ब्लॉग पढ़ रहा हूं ....बीच में एक लम्बा गैप हो गया था...लेकिन अब लगातार पढ़ुंगा....आगे भी इस तरह की स्टोरी लिखते रहो...
Going good ! go ahead . :-)
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