72 घंटे पहले उत्तराखंड की तरह हिमाचल में प्रकृति
ने अपनी जो विनाशलीला दिखाई उससे हिमाचल के सी एम वीरभद्र सिंह भी नहीं बच
पाए और कई घंटे जाम में फंसने के बाद भी उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं
दिखी । किन्नौर में फसने के बाद उनके उड़नखटोले ने जिस फुर्ती के साथ
मंडी के चुनाव प्रचार के लिए उड़ान भरी वह देखने लायक थी क्युकि उपचुनावों
में यह सुनिश्चित माना जाता रहा है जिस पार्टी की सरकार राज्य में होती है
वही सिकंदर बन जाता है लेकिन पिछले कुछ समय से देश में यह ट्रेंड ख़त्म सा
हो रहा है । हाल के दिनों में इसका नायाब नमूना उत्तराखंड के टिहरी
लोक सभा उपचुनाव में देखने को मिला जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा अपनी सीट नहीं पचा पाए और करारी हार का मुह
उन्हें देखना पड़ा । शायद इसके मजमून को हिमाचल के मुख्य मंत्री वीर भद्र
बखूबी समझ रहे थे तभी भूस्खलन और प्रकृति की तांडव लीला के बावजूद
उन्होंने मंडी में चुनाव प्रचार की तरफ अपने कदम तेजी से बढाये जहाँ
उनकी प्रतिष्ठा सीधे दाव पर लगी है ।
हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा खाली कराई गई मंडी संसदीय सीट के लिए होने जा रहा चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है | जैसे जैसे मतदान की तिथि 23 जून पास आते जा रही है वैसे वैसे पूरे संसदीय इलाके में चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है | मंडी में कांग्रेस के टिकट पर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह पहली बार राजनीती के समर में अपना भाग्य आजमाने उतरी हैं तो वही इस सीट पर भाजपा ने पूर्व पंचायत राज्यमंत्री जय राम ठाकुर पर अपना दाव लगाया है | मंडी लोक सभा उपचुनाव हिमाचल में ऐसे समय में हो रहा है जब लोक सभा के आम चुनाव होने में बमुश्किल एक साल से भी कम का समय बचा है | ऊपर से कांग्रेस जिस तरीके से आर्थिक सुधारो की अपनी लीक पर फर्राटा भर रही है और जिस तरीके से उस पर भ्रष्टाचार के आरोप हाल के दिनों में लगे हैं उसने पहली बार मंडी के वोटरों के मन में एक नई आशंका को बल प्रदान किया है | इन सबके बीच यह उपचुनाव निश्चित ही भाजपा और कांग्रेस सरीखे दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए हिमाचल में अहम हो चला है क्युकि मंडी उपचुनाव की बढ़त दोनों दलों के लिए आने वाले लोक सभा चुनावो में उनके मनोबल को सीधे प्रभावित करेगी |
वैसे भी राज्य में कांग्रेस और भाजपा इन दोनों दलों के इर्द गिर्द ही राजनीती चलती आई है और 2014 के फाईनल से ठीक पहले राज्य में अपनी ताकत का अहसास कराने का यह एक अच्छा लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है । मण्डी ससदीय सीट पर 11,24,770 वोटर प्रत्यशियो की किस्मत का फैसला करेगे जहाँ पर महिला और पुरुष वोटर बराबर तादात में हैं । वीरभद्र की पत्नी को महिला वोटरों का आसरा नजर आ रहा है शायद तभी वह अपने पति के नाम के साथ राजनीती में अपना भाग्य आजमाने इस बार उतरी हैं । हिमाचल में इस संसदीय इलाके में तक़रीबन प्रदेश का दो तिहाई इलाका शामिल हैं जिसमे कुल्लू , लाहुल स्फीति और किन्नौर समेत चंबा के कुछ इलाके शामिल हैं जहाँ पर वीरभद्र की सियासी बिसात हमेशा से मजबूत मानी जाती रही है ।
लेकिन नए राजनीतिक माहौल के बीच मंडी में हो रहे उपचुनाव के इस घमासान में कांग्रेस के सामने मुश्किलें इस दौर में ज्यादा हैं क्युकि राज्य की कांग्रेस सरकार का अब तक का निराशाजनक कार्यकाल कांग्रेस के लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है | राज्य के चुनावो में उठे भ्रष्टाचार की गूँज अभी उपचुनाव में भी नहीं थमती दिख रही है जहाँ विरोधी दलों के सीधे निशाने पर मुख्यमंत्री हैं , वहीँ केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी ख़त्म करने, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी यहाँ के आम वोटर को सीधे प्रभावित कर रहे हैं | मंडी का आम वोटर हिमाचल में इस समय पशोपेश में है क्युकि बीते विधान सभा चुनावो में केंद्र की तमाम नाकामयाबियो के बीच प्रेम कुमार धूमल की अगुवाई में भाजपा अपना पुराना किला सुरक्षित नहीं रख पायी और राज्य में कांग्रेस ने तमाम अन्तर्विरोध के बाद सत्ता हासिल करने में सफलता पायी थी । अब केंद्र सरकार के रंग ढंग देखते हुए यहाँ का आम वोटर विधान सभा चुनावो से इतर एक नई लकीर अगर यहाँ की राजनीती में खींचता दिखता है तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए । वर्तमान में हिमाचल के अखाड़े में उपचुनाव की ऐसी मंडी सजी है कि इस बार भाजपा से लेकर कांग्रेस दोनों मुख्य पार्टियों के चेहरों पर कोई लहर देखने को नहीं मिल रही है । इस चुनावी रस्साकशी के बीच हिमाचल की सत्ता गवाने के बाद पूर्व मुख्य मंत्री धूमल के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती किसी भी तरह कांग्रेस को हराकर मंडी में कमल खिलाने की है क्युकि मंडी सरीखी हॉट सीट पर भाजपा की एक जीत निश्चित ही भाजपा के लिए 2014 के मिशन के लिए काम आएगी और कार्यकर्ताओ के मनोबल को भी बढ़ाएगी । दूसरी तरफ मंडी का यह उपचुनाव वीरभद्र सरकार के अब तक के रिपोर्ट कार्ड का जहाँ मूल्यांकन करेगा वहीँ 2014 की सियासी बिसात में दोनों की सियासी जमीन को बैरोमीटर में नापेगा ।
मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाये जाने के बाद से कार्यकर्ताओ में काफी जोश तो जरुर दिख रहा है लेकिन वीरभद्र की मुश्किल इस समय उनके विरोधी गुट ने बढाई हुई हैं जो सी एम् के रूप में उनकी आँखों में शुरू से खटकते रहे हैं । केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा , स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, विजय सिंह मनकोटिया समेत सिचाई मंत्री विद्या स्टोक्स का एक बड़ा गुट अन्दर ही अन्दर वीरभद्र के खिलाफ बगावती तेवरों का झंडा उठाये हुए है जिनकी गुटबाजी विधान सभा चुनावो से पहले से ही सबके सामने जगजाहिर है । ऐसे में अगर उपचुनाव में यह सारे खेमे वीरभद्र के खिलाफ अगर भीतर घात में एकजुट होते हैं तो अगले लोक सभा चुनावो में अपना किला मजबूत करने की बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री के सामने पेश आ सकती है ।
अगर भाजपा इस सीट पर कोई बड़ा उलटफेर करने में सफल रहती है तो इसके झटके से वीरभद्र की कुर्सी भी शायद ही उबार पाएगी । वहीँ विधान सभा चुनावो में जो भाजपा गुटबाजी के चलते कांग्रेस के हाथ के सामने हाफती नजर आ रही थी वह इस मण्डी उपचुनाव के एकजुटता का पाठ न केवल पडा रही है बल्कि अपने दिग्गज नेताओ की दूरी भी पाट रही है । पहली बार धूमल कैम्प के सभी विरोधी उपचुनाव के जरिये अपने पुराने गिले शिकवे दूर करते दिख रहे हैं जिसमे उनके धुर विरोधी शांता कुमार शामिल हैं जिनका धूमल से छत्तीस का आकडा हिमाचल में जगजाहिर रहा है । मंडी में अनुराग ठाकुर के लगातार हो रहे दौरे भी यह बतलाने के लिए काफी हैं राज्य की जमीन खोने के बाद भाजपा काफी परेशान है और अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेती दिख रही है जहाँ उसकी कोशिश 2014 की बिसात मजबूत करने की हो चली है । शायद तभी सभी दिग्गज मंडी में वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह को पटखनी देने के लिए हर किसी को अपने अनुरूप साध रहे हैं बल्कि वोटरों को भी यह अहसास करा रहे हैं यू पी ए मौजूदा दौर में डूबता जहाज है । अब उनका यह प्रचार क्या रंग लाता है यह 27 जून को पता चलेगा लेकिन फिलहाल को प्रतिकूल मौसम में भी हिमाचल की मंडी में उपचुनाव का पारा सातवें आसमान में है ।
हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा खाली कराई गई मंडी संसदीय सीट के लिए होने जा रहा चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है | जैसे जैसे मतदान की तिथि 23 जून पास आते जा रही है वैसे वैसे पूरे संसदीय इलाके में चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है | मंडी में कांग्रेस के टिकट पर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह पहली बार राजनीती के समर में अपना भाग्य आजमाने उतरी हैं तो वही इस सीट पर भाजपा ने पूर्व पंचायत राज्यमंत्री जय राम ठाकुर पर अपना दाव लगाया है | मंडी लोक सभा उपचुनाव हिमाचल में ऐसे समय में हो रहा है जब लोक सभा के आम चुनाव होने में बमुश्किल एक साल से भी कम का समय बचा है | ऊपर से कांग्रेस जिस तरीके से आर्थिक सुधारो की अपनी लीक पर फर्राटा भर रही है और जिस तरीके से उस पर भ्रष्टाचार के आरोप हाल के दिनों में लगे हैं उसने पहली बार मंडी के वोटरों के मन में एक नई आशंका को बल प्रदान किया है | इन सबके बीच यह उपचुनाव निश्चित ही भाजपा और कांग्रेस सरीखे दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए हिमाचल में अहम हो चला है क्युकि मंडी उपचुनाव की बढ़त दोनों दलों के लिए आने वाले लोक सभा चुनावो में उनके मनोबल को सीधे प्रभावित करेगी |
वैसे भी राज्य में कांग्रेस और भाजपा इन दोनों दलों के इर्द गिर्द ही राजनीती चलती आई है और 2014 के फाईनल से ठीक पहले राज्य में अपनी ताकत का अहसास कराने का यह एक अच्छा लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है । मण्डी ससदीय सीट पर 11,24,770 वोटर प्रत्यशियो की किस्मत का फैसला करेगे जहाँ पर महिला और पुरुष वोटर बराबर तादात में हैं । वीरभद्र की पत्नी को महिला वोटरों का आसरा नजर आ रहा है शायद तभी वह अपने पति के नाम के साथ राजनीती में अपना भाग्य आजमाने इस बार उतरी हैं । हिमाचल में इस संसदीय इलाके में तक़रीबन प्रदेश का दो तिहाई इलाका शामिल हैं जिसमे कुल्लू , लाहुल स्फीति और किन्नौर समेत चंबा के कुछ इलाके शामिल हैं जहाँ पर वीरभद्र की सियासी बिसात हमेशा से मजबूत मानी जाती रही है ।
लेकिन नए राजनीतिक माहौल के बीच मंडी में हो रहे उपचुनाव के इस घमासान में कांग्रेस के सामने मुश्किलें इस दौर में ज्यादा हैं क्युकि राज्य की कांग्रेस सरकार का अब तक का निराशाजनक कार्यकाल कांग्रेस के लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है | राज्य के चुनावो में उठे भ्रष्टाचार की गूँज अभी उपचुनाव में भी नहीं थमती दिख रही है जहाँ विरोधी दलों के सीधे निशाने पर मुख्यमंत्री हैं , वहीँ केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी ख़त्म करने, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी यहाँ के आम वोटर को सीधे प्रभावित कर रहे हैं | मंडी का आम वोटर हिमाचल में इस समय पशोपेश में है क्युकि बीते विधान सभा चुनावो में केंद्र की तमाम नाकामयाबियो के बीच प्रेम कुमार धूमल की अगुवाई में भाजपा अपना पुराना किला सुरक्षित नहीं रख पायी और राज्य में कांग्रेस ने तमाम अन्तर्विरोध के बाद सत्ता हासिल करने में सफलता पायी थी । अब केंद्र सरकार के रंग ढंग देखते हुए यहाँ का आम वोटर विधान सभा चुनावो से इतर एक नई लकीर अगर यहाँ की राजनीती में खींचता दिखता है तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए । वर्तमान में हिमाचल के अखाड़े में उपचुनाव की ऐसी मंडी सजी है कि इस बार भाजपा से लेकर कांग्रेस दोनों मुख्य पार्टियों के चेहरों पर कोई लहर देखने को नहीं मिल रही है । इस चुनावी रस्साकशी के बीच हिमाचल की सत्ता गवाने के बाद पूर्व मुख्य मंत्री धूमल के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती किसी भी तरह कांग्रेस को हराकर मंडी में कमल खिलाने की है क्युकि मंडी सरीखी हॉट सीट पर भाजपा की एक जीत निश्चित ही भाजपा के लिए 2014 के मिशन के लिए काम आएगी और कार्यकर्ताओ के मनोबल को भी बढ़ाएगी । दूसरी तरफ मंडी का यह उपचुनाव वीरभद्र सरकार के अब तक के रिपोर्ट कार्ड का जहाँ मूल्यांकन करेगा वहीँ 2014 की सियासी बिसात में दोनों की सियासी जमीन को बैरोमीटर में नापेगा ।
मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाये जाने के बाद से कार्यकर्ताओ में काफी जोश तो जरुर दिख रहा है लेकिन वीरभद्र की मुश्किल इस समय उनके विरोधी गुट ने बढाई हुई हैं जो सी एम् के रूप में उनकी आँखों में शुरू से खटकते रहे हैं । केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा , स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, विजय सिंह मनकोटिया समेत सिचाई मंत्री विद्या स्टोक्स का एक बड़ा गुट अन्दर ही अन्दर वीरभद्र के खिलाफ बगावती तेवरों का झंडा उठाये हुए है जिनकी गुटबाजी विधान सभा चुनावो से पहले से ही सबके सामने जगजाहिर है । ऐसे में अगर उपचुनाव में यह सारे खेमे वीरभद्र के खिलाफ अगर भीतर घात में एकजुट होते हैं तो अगले लोक सभा चुनावो में अपना किला मजबूत करने की बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री के सामने पेश आ सकती है ।
अगर भाजपा इस सीट पर कोई बड़ा उलटफेर करने में सफल रहती है तो इसके झटके से वीरभद्र की कुर्सी भी शायद ही उबार पाएगी । वहीँ विधान सभा चुनावो में जो भाजपा गुटबाजी के चलते कांग्रेस के हाथ के सामने हाफती नजर आ रही थी वह इस मण्डी उपचुनाव के एकजुटता का पाठ न केवल पडा रही है बल्कि अपने दिग्गज नेताओ की दूरी भी पाट रही है । पहली बार धूमल कैम्प के सभी विरोधी उपचुनाव के जरिये अपने पुराने गिले शिकवे दूर करते दिख रहे हैं जिसमे उनके धुर विरोधी शांता कुमार शामिल हैं जिनका धूमल से छत्तीस का आकडा हिमाचल में जगजाहिर रहा है । मंडी में अनुराग ठाकुर के लगातार हो रहे दौरे भी यह बतलाने के लिए काफी हैं राज्य की जमीन खोने के बाद भाजपा काफी परेशान है और अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेती दिख रही है जहाँ उसकी कोशिश 2014 की बिसात मजबूत करने की हो चली है । शायद तभी सभी दिग्गज मंडी में वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह को पटखनी देने के लिए हर किसी को अपने अनुरूप साध रहे हैं बल्कि वोटरों को भी यह अहसास करा रहे हैं यू पी ए मौजूदा दौर में डूबता जहाज है । अब उनका यह प्रचार क्या रंग लाता है यह 27 जून को पता चलेगा लेकिन फिलहाल को प्रतिकूल मौसम में भी हिमाचल की मंडी में उपचुनाव का पारा सातवें आसमान में है ।
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