आज से ठीक एक बरस पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने जब
लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के नाम संबोधन दिया था तो
हर किसी ने मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा की थी | हर कोई उनकी तारीफों के कसीदे न
केवल पढ़ रहा था बल्कि उन्हें लीक से अलग हटकर चलने वाला प्रधानमंत्री भी बता रहा
था | वैसे भी इससे पूर्व जितने भी प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से बोले वह कमोवेश बिजली , पानी और शिक्षा , गरीबी
जैसे मुद्दों पर ही बात करते नजर आये |
पहली बार मोदी ने नई लीक पर चलने का साहस
ना केवल बीते बरस दिखाया बल्कि अपने भाषणों से लोगों में उत्साह और उमंग का संचार
किया | मोदी ने ना केवल जोशीले भाषण से सभी का दिल जीतने की कोशिश की बल्कि स्वच्छ
भारत , निर्मल भारत और आदर्श ग्राम योजना और सबका साथ सबका विकास सरीखे वायदों से राजनीती में आदर्श लकीर खींचने
की कोशिशें तेज की लेकिन इस बार के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पी एम
बदले बदले से नजर आये | इसका एक कारण यह हो सकता है पिछली बार वह दिल्ली के लिए नए
थे और उनकी सरकार का हनीमून पीरियड चल रहा
था लेकिन ठीक एक साल के बाद अब सिस्टम के अन्दर काम करने पर उन्हें इस बात का भान
हो चला है कथनी और करनी को अमली जामा पहनना इतना आसान नहीं है और वह भी उस देश में
जहाँ पर नौकरशाही का दौर हावी हो और हवाई घोषणाओं का पिटारा खुलता आ रहा हो शायद यही वजह रही प्रधानमंत्री के भाषण में वह
तेज गायब था जो पिछली दफा हमें देखने को मिला | ललितगेट ,व्यापम और वसुंधरा प्रकरण
ने भाजपा की कैसी किरकिरी हाल के दिनों में कराई है यह किसी से छुपी नहीं है और खुद प्रधानमंत्री मोदी भी इससे आहत दिखाई दिए जिस वजह से उन्होंने
इन प्रकरणों से अपने को अलग झलकाने की कोशिशें की और खुद की सरकार का बचाव यह कहते
हुए किया कि पंद्रह महीने की उनकी सरकार पर किसी तरह का दाग नहीं लगा है |
पिछली
बार मोदी 64 मिनट बोले थे इस बार मोदी 86 मिनट बोले | आज़ादी के दौर को याद करें तो
उस दौर में नेहरु ने 72 मिनट का भाषण दिया था | इस तरह से मोदी का स्वतंत्रता दिवस
पर दिया गया अब तक का यह सबसे लम्बा भाषण रहा | सवा सौ करोड़ देशवासियों को संबोधित करते हुए
उन्होंने 38 दफा इस बार नए शब्द टीम इंडिया
शब्द का इस्तेमाल किया | 125 करोड़ देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह
जताने से भी परहेज नहीं किया कि उनकी नीतियों में आदिवासी से लेकर गरीब और शोषित
वंचित तबके तक शामिल हैं |
गांधी और अम्बेडकर को साधकर उन्होने एक तीर से कई
निशाने खेलने की कोशिश की | उन्होंने कहा सवा
सौ करोड़ देशवासी जब एकजुट होकर खेलते हैं तो राष्ट्र का विकास बुलंदियों तक पहुच
सकता है | यह अलग बात है मोदी अपने भाषणों
में सभी को साथ लेकर चलने की बात जरुर कहते रहे हैं लेकिन यह तथ्य शायद ही किसी से
छुपा हो भाजपा में अब आगे आगे मोदी हैं तो
पीछे पीछे शाह है जिनके इशारों पर न केवल पूरी भाजपा इस दौर में चल रही है बल्कि
वह नेता किनारे हैं जिनकी अतीत में निकटता कभी आडवानी और कभी डॉ जोशी वाले कैम्प
के साथ रही है |
इस दौर में मोदी सरकार के
आने के बाद भले ही भाजपा के अपने नेताओं पर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के
आरोप लगाये जाते रहे हों लेकिन प्रधान मंत्री मोदी ने अपने शुरुवाती भाषण में इस बार जातिवाद और साम्प्रदायिकता को
ही निशाने पर लिया | यह ऐसे मसले हैं जिन पर पी एम की चुप्पी देश को खलती रही है |
ओबामा के भारत दौरे के समय भी यह मसला जोर शोर से उठा था कि हमारे देश में
अल्पसंख्यक अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करते और उस दौर को याद करें तो हरामजादे
से लेकर लव जेहाद और धर्म परिवर्तन जैसे
मसले खूब चर्चा के केंद्र में रहे | यही
नहीं चर्च पर लगातार हमले होते रहे लेकिन पी एम मोदी ने मौन व्रत ही धारण किया | अगर इस बार
प्रधानमंत्री ने कहा है हमारे देश का
सद्भाव ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है इसे किसी भी तरह चोट नहीं पहुंचनी चाहिए तो इसे
यक़ीनन राजनीती के नए संकेतों के तौर पर लिया जाना चाहिए | बिहार और यू पी की पूरी चुनावी
बिसात बिछाने में शायद पी एम को इससे मदद मिले | मझे हुए राजनेता के तौर पर
मोदी आज यह कहने से भी नहीं चूके जब तक देश के पूर्वोत्तर राज्यों और नॉर्थ ईस्ट
का विकास नहीं होगा तब तक यह देश प्रगति पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता | संभवतः यह कहने
के पीछे मोदी की मंशा बिहार और यू पी के आने वाले चुनाव हैं जहाँ की पूरी राजनीति
जातीय गठजोड़ पर टिकी हुई है |
अपने भाषणों में जातिवाद को जहर बताकर और विकास के
मोदी मंत्र से गरीबी मिटाने की घोषणा कर संभवतः मोदी भाजपा का रास्ता बंगाल बिहार
और यू पी सरीखे बड़े राज्यों में साफ़ कर रहे हों | बीते बरस लोक सभा चुनावों के
दौरान मोदी सरकार पर कॉरपरेट की गोद में
बैठे रहने के आरोप लगाये जाते रहे लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए
अपने दूसरे भाषण में मोदी ने गरीबो और वंचितों के प्रतिनिधित्व की बात कही और इसे
जनभागीदारी से जोड़ने की कोशिश की | पहली बार उनके भाषण में कॉरपरेट शब्द गायब दिखा
|
मोदी ने अपने इस भाषण में अपनी सरकार की अब तक की उपलब्धियों का पिटारा ही खोला | मोदी
ने 17 करोड़ लोगों का जिक्र इस भाषण में किया जिन्होंने प्रधानमंत्री जन धन योजना
के तहत खाते खुलवाए | साथ ही उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान पर अपनी पीठ खुद थपथपाई
और इस बार 9 सेलेब्रिटियो से इतर बच्चो को ब्रांड एम्बेसडर बना दिया | मोदी ने
पिछली बार स्कूलों में शौचालय बनाने की बात की थी इस बार भी उन्होंने सवा चार लाख शौचालय
बनाने का काम पूरा होने की बात कही |
श्रमेव जयते के जिस नारे से मोदी सरकार
वाहवाही बटोरने की बात कर रही थी लाल किले की प्राचीर से मोदी ने श्रम कानूनों को
चार अध्याय में समेटने की कोशिश की | यह अलग बात है देश के हर कोने में मजदूरों को
न्यूनतम मजदूरी तो दूर शोषण बदस्तूर जारी है | इस पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोले |
भ्रष्टाचार को देश के लिए कलंक बताते हुए उन्होंने अपनी सरकार की नीतियों का चिटठा
जनता के सामने रखा और डायरेक्ट बेनिफिट और कोयला की नीलामी से पाए गए राजस्व की
चर्चा की जिससे दलालों और कालाबाजारी पर रोक लगी |
उन्होंने कोयले की नीलामी से
तीन लाख करोड़ रुपये कमाने और ऍफ़ एम की नीलामी से एक हजार करोड़ रुपये खजाने में आने
की घटना का जिक्र अपने भाषण में कर भ्रष्टाचार को रोकने की प्रतिबद्धता जताई |
मोदी ने काले धन को लाने के लिए कठोर क़ानून उनकी सरकार द्वारा लाने की भी चर्चा की | यह अलग बात है भाजपा अध्यक्ष अमित
शाह काले धन को चुनावी जुमला बता चुके हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा काले धन पर
कठोर कानून लाये जाने के बाद अब देश से बाहर धन जा पाना इतना आसान नहीं है | मोदी
ने युवाओं को टारगेट ऑडियंस बनाते हुए यह भी कहा छोटी नौकरियों के लिए इंटरव्यू
बंद किये जाने चाहिए |
वन रैंक वैन पेंशन पर सबसे ज्यादा उम्मीदें लोगों को पी एम
से थी जिस पर मोदी ने सैधान्तिक सहमति तो जताई लेकिन इसके लिए कोई डेडलाइन नहीं दी
जिससे पूर्व सैनिकों में सरकार के रुख से साफ़ नाराजगी देखी जा सकती है और यह सभी
जंतर मंतर पर अपनी मांगों को लेकर अभी भी डटे हैं लेकिन सरकार का रुख इस मसले पर
अभी भी साफ़ नहीं है | किसान मोदी से ज्यादा उम्मीदें लगाये बैठे थे लेकिन मोदी ने
किसानों को यूरिया उपलब्ध कराने से लेकर 18000 गाँवों में एक हजार दिनों में 24
घंटे बिजली पहुचाने का वादा किया | इसके
अतिरिक्त कृषि मंत्रालय अब कृषि और किसान
मंत्रालय के नाम से जाना जायेगा यह घोषणा उन्होंने की |
पी एम भूमि अधिग्रहण सरीखे
जरुरी मसले पर कुछ नहीं बोले जबकि पिछले कुछ समय से सरकार इस मामले पर बुरी तरह घिरी
हुई है | बार बार अध्यादेशों के जरिये इस पर सरकार को बेशक मुह की खानी पड़ी और
संसद में भी सरकार की सांसें इस बिल ने अटकाई हुई हैं | पी एम मोदी चाहते तो इस पर
कुछ बात जरुर कर सकते थे और किसानों को यह दिलासा दिला भी सकते थे कि उनकी जमीनें
औने पाने दामो पर नहीं ली जाएँगी और अगर ली भी जाएगी तो उचित मुआवजा मिलने के साथ
ही तयशुदा समयसीमा
के भीतर उसमे काम होगा |
मोदी अपने भाषण
में यह भरोसा नहीं जगा सके | दूसरी बार
लाल किले से दिए अपने भाषण में मोदी ने स्टार्ट अप एंड स्टैंड अप का नारा दिया
जिसके तहत बैंक दलित वंचित और आदिवासियों
को उद्योग लगाने के लिए मदद करेंगे जिससे
देश का विकास संभव हो पायेगा | मोदी के इस बार के भाषण में पडोसी पाकिस्तान भी गायब था | पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से लगातार
फायरिंग के बाद भी पाकिस्तान के खिलाफ कुछ न बोलकर मोदी सरकार ने विपक्ष को एक और
मुद्दा थमा दिया |
बीते दिनों भारतीय सीमा में एक आतंकी की गिरफ्तारी के बाद जिस
तरह पाक का कच्चा चिट्ठा खुला उसने पाक को आतंक की नर्सरी के रूप में दुनिया के
सामने लाकर खड़ा कर दिया | मोदी चाहते तो अपने भाषण में पाक का जिक्र कर उसे आतंक
का मार्ग छोड़ने की नसीहत और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में रखकर उसे मात दे
सकते थे लेकिन मोदी पाक के मसले पर कुछ नहीं बोले | यही नहीं प्रधानमंत्री के आज
के भाषण में विदेश नीति भी गायब रही | जबकि मोदी को ऐसा प्रधानमंत्री होने का गौरव
प्राप्त है जिसने विदेश नीति की नई लीक पर देश को आगे ले जाने का काम किया है
जिससे दुनिया में भारत का मस्तक ऊँचा हुआ है | खुद पी एम मोदी अब तक के अपने पहले
साल के कार्यकाल में ही कई ताकतवर मुल्कों की यात्रा कर अब मध्य पूर्व में अपने
कदम मजबूती के साथ बढ़ा रहे हैं |
पी एम मोदी अगर चाहते तो आज के भाषण में वैदेशिक
संबंधो पर खुलकर बात कर सकते थे लेकिन इस विषय को आज उन्होंने नहीं छुआ | इसी तरह
योग सरीखे मसले पर प्रधानमंत्री का लाल किले से कुछ न कहना देशवासियों के दिल को
तोड़ गया | पी एम मोदी ने यू एन ओ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जिस तरह से सैकड़ों देशों को राजी किया और पहली बार देश में योग को
लेकर एक नई सुबह का आगाज हुआ उससे मोदी
सरकार कि बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है | भारत की इस योग की ताकत का लोहा पूरी दुनिया बीते 21 जून को मना
चुकी है जिसे मोदी सरकार के खाते में जोड़ा जाना उचित होगा लेकिन अपने भाषण में
मोदी इन मुद्दों को नहीं छू सके शायद इसका बड़ा कारण सुषमा ललित गेट , मौत का
व्यापम और वसुंधरा का प्रकरण रहा जिसने ऐसे प्रधानमंत्री को पिछले कुछ दिनों से
अन्दर से ऐसा हिला दिया जिसके चलते वह कई महीनों से इस पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ सके
|
आज भी चुप्पी तो नहीं टूटी लेकिन भ्रष्टाचार पर गोल मोल बातों से पी एम मोदी ने खुद अपनी छवि को
बचाने की भरपूर कोशिश तो कि इससे आप और हम इनकार तो नहीं कर सकते | वैसे
प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत ईमानदारी और प्रशासनिक योग्यताओ और बेहतर कप्तान
की योग्यताओं पर शायद ही किसी को संदेह हो
क्युकि मोदी एक मंझे हुए राजनेता हैं और
जनता के मूड को बखूबी पढने वाले राजनेता भी जो ऑडियंस देखकर भाषण देते हैं लेकिन
आज का पूरा भाषण उन्होने न केवल बीच बीच में पर्ची देखकर पढ़ा बल्कि बीच बीच में वह रुमाल पोछकर और पानी
पीकर धाराप्रवाह बोलते रहे शायद इसकी बड़ी वजह कुछ समय से भाजपा शासित राज्यों में
चल रही नूराकुश्ती है जिसने पी एम को अन्दर से इस कदर हिलाकर रख दिया है कि अब मनोचिकित्सकों को भी उनकी
बदली हुई बाडी लैंग्वेज आसानी से नजर आने लगी है |
कुलमिलाकर स्वतंत्रता दिवस के
अपने दूसरे भाषण में पी एम मोदी का पिछले बरस वाला जोश गायब दिखा | गुजराती दहाड़
भाषण से गायब ही रही शायद पी एम अपनी कैबिनेट इंडिया की फिरकी में उलझकर रह गए जिस
कारण कई अहं मसलों पर न कुछ उगलते बन रहा था और ना ही कुछ निगलते |
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