दुनिया जानती है एन एस ए स्तर की बातचीत किस तरह पाक के अड़ियल रवैये के चलते रद्द हुई है लेकिन इन सबके बावजूद पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा | तमाम मंचों पर करारी मात खाकर अब पाक की बौखलाहट पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हो रही है बल्कि अन्तराष्ट्रीय मंचो पर भी उसकी कारिस्तानी पूरी दुनिया देख रही है | भारत के साथ सचिव स्तर की वार्ता रद्द हो जाने के बाद पाक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने डॉन में प्रकाशित अपने लेख में भारत को खूब खरी खोटी सुनाते हुए दोनों पक्षों के बीच रद्द हुई वार्ता के लिए भारत को जिम्मेदार बताया है | अजीज ने कड़े शब्दों में भारत को कहा है वह पाक को कम ना समझे क्युकि पाक भी परमाणु सम्पन्न देश है और वह अपनी हिफाजत करना खुद जानता है | अब इस तरह के संकेतों को अगर डिकोड किया जाए तो समझा जा सकता है यह कहने के पीछे अजीज की मंशा क्या रही होगी ? साफ़ है पाकिस्तान चक्रव्यूह में इस तरह उलझ गया है एक तरफ चुनी हुई सरकार है तो दूसरी तरफ सेना और आई एस आई और तीसरी तरफ अलगाववादी नेता जो अपने इशारों पर हिंदुस्तान पाकिस्तान को न केवल नचाते हैं बल्कि हर मामले में अपने को तीसरा पक्ष बनाये जाने का मर्सिया हर वक्त पढ़ते रहते हैं | अब ऐसे हालातों का सीधा प्रभाव भारत पाक संबंधो पर पड़ना लाजमी ही है | दुनिया अब पाक के चेहरे को सही से पहचान रही है | हर किसी को पता है भारत पाक की यह वार्ता पाक की जिद के चलते रद्द हुई है |
भारत शुरू से ही किसी तीसरे पक्ष को वार्ताकार बनाये जाने का विरोध कर रहा है जबकि पाकिस्तान हुर्रियत और अलगाववादी नेताओं के प्रभाव में ही हमेशा रहा है जिसका नतीजा एक बार फिर सबके सामने है | पाक के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने भी अब कश्मीर मुद्दे को शामिल किये बिना भारत के साथ बातचीत को व्यर्थ बताया है | उन्होंने कहा है कश्मीरी नेता इस मसले का महत्वपूर्ण पक्ष है | उनके भविष्य को लेकर कोई फैसला उनकी राय और उनसे बातचीत के बिना हल नहीं किया जा सकता | शरीफ ने यह बातें अजीज और डोभाल के बीच होने वाली एन एस ए स्तर की बातचीत के रद्द होने के ठीक बाद कही हैं | वैसे इस मामले में पाक को भारत से सीख लेनी चाहिए | यह वार्ता रद्द होने के बाद भारत की पहली प्रतिक्रिया न केवल संयमित थी बल्कि उसने उन्ही बातों को दोहराया जो वह शुरुवात से कहता आया है | वह पाकिस्तान से यह कहता रहा है कि पाक कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के साथ मुलाक़ात नहीं करे तो तब बातचीत ट्रैक पर आ सकती है लेकिन पाकिस्तान तो मानो अलगाववादी नेताओं की गोद में बैठकर खेल रहा है और ऐसे उलूल जुलूल बयान दे रहा है जिससे भारत पाक संबंधों में तनाव की छाया पड़ना तय माना जा सकता है |
वैसे पाकिस्तान संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत की अग्रिम सीमा चौकियों पर गोलीबारी करने से बाज नहीं आ रहा है | भारत की तरफ से सचिव स्तर की वार्ता रद्द किए जाने से पहले और बाद संघर्षविराम उल्लंघन के हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं । अपनी करतूतों से पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया है । जम्मू कश्मीर से लगी नियंत्रण रेखा पर भारी गोलाबारी कर पाकिस्तान ने नवम्बर 2003 की संघर्ष विराम वाली उल्लंघन की उस लीक पर चल निकला है जहाँ अपनी बर्बर कार्यवाही से वह फिर से कश्मीर को लेकर एक नई किस्सागोई करने में लग गया है क्युकि पाकिस्तान के अन्दर नवाज शरीफ सरकार के सामने जैसा संकट अभी खड़ा है उससे उनका बाहर निकलना मुश्किल दिख रहा है और कश्मीर को ढाल बनाकर पाकिस्तान एक बार फिर अपना बरसो पुराना वही राग अलाप रहा है जिसमे कश्मीर को केंद्र में लाकर हमेशा से नई परिस्थिति सामने लायी जाती रही है ।
सीमा पार अपनी बर्बर कार्यवाही से जहाँ पाक तमाम अन्तरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने से बेपरवाह नजर आता है वहीँ कश्मीर को केंद्र में रखकर वह भारत से बातचीत का राग दोहराता रहा है लेकिन बीते दिनों मोदी ने जिस तरीके से विदेश सचिवो की बातचीत को शुरू करने का फैसला किया और लाहौर और शिमला के ट्रेक पर बात बढ़ाई उसने पहली बार कश्मीर के सवालों को भी खड़ा किया है | पाक बिना तीसरे पक्ष को साधे बिना इस मामले पर आगे नहीं बढ़ना चाहता |
नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का उल्लघन जारी रखने को को गंभीर और उकसाने वाला करार देते हुए भारत ने कहा कि यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत अनुकूल नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऊफा वार्ता के दौरान भी कहा था किसी भी सार्थक द्विपक्षीय वार्ता के लिए आवश्यक रूप से एक ऐसा माहौल जरूरी है जो आतंकवाद एवं हिंसा से मुक्त हो | नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों स्तरों पर घुसपैठ संघर्षविराम उल्लंघन गंभीर है और इन घटनाओं से ऐसा माहौल पैदा हो रहा है जो दोनो देशों के बीच संबंधों के लिए बहुत सहायक नहीं रहने वाला |
पाकिस्तान द्वारा सैकड़ों बार संघर्षविराम का उल्लंघन मोदी सरकार के आने के बाद किया गया है | इस दौरान कई मासूम मारे गये और कई जवानों सहित अन्य घायल हो गये जिसकी तस्दीक हमारी सेना भी करती रही है | सीमा पार हो रही इस कार्यवाही ने हमें यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है अब पकिस्तान के साथ किस मुह से हम दोस्ती का हाथ बढ़ाये ? पाक के साथ दोस्ती का आधार क्या हो वह भी तब जब वह लगातार भारत की पीठ पर छुरा भौंकते हुए लगातार विश्वासघात ही करता जा रहा है । पाक के साथ भारत की एन एस ए स्तर की वार्ता रद्द होने की जहाँ अमरीका ने निंदा है वहीँ आम आदमी अब भारतीय नीति नियंताओ से सीधे सवाल पूछ रहा है कि अब समय आ गया है जब पाक से सारे रिश्ते तोड़ ही लिए जाएँ तो यह बेहतर ही रहेगा । यही नहीं विपक्ष भी अगर इस बार सरकार के द्वारा की जाने वाली हर बातचीत के विरोध में कदमताल कर रही हैं तो यह सही भी है क्युकि लगातार होते हमलो से हमारा धैर्य अब जवाब दे रहा है । वैसे भी नफरत की नीव में सुलग रहा पाक कभी अपने को बदल नहीं सकता | सीमा पार उल्लंघन के जरिये पाक की हर कोशिश भारत में उन्माद फैलाने की ही बन रही है ।
असल में कारगिल के दौर में भी पकिस्तान ने भारत के साथ गलत सलूक किया था । हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी रिश्तो में गर्मजोशी लाने लाहौर बस से गए लेकिन नवाज शरीफ को अँधेरे में रखकर मिया मुशर्रफ कारगिल की पटकथा तैयार करने में लगे रहे । इस काम में उनको पाक की सेना का पूरा सहयोग मिला था । इस बार की कहानी भी पिछले बार से जुदा नहीं है । पहली बार आई एस आई पाकिस्तान के आंतरिक और बाह्य मामलो में अपना सिक्का मजबूत कर रही है |यह सच शायद ही किसी से अब छुपा है कि आई एस आई के बिना पाकिस्तान में पत्ता भी नहीं खड़कता और सेना भारत के साथ रिश्तो को सुधारने के बजाए बिगाड़ना ही चाहती है । यह उनके द्वारा दिए गए हाल के बयानों में भी साफ़झलका है |
पाक के सियासी संकट पर नजर रख रहे अंतर्राष्ट्रीय जानकारों का मानना है इस कार्यवाही में सेना का पाक के सैनिको को पूरा समर्थन मिल रहा है । पाक में सरकार तो नाम मात्र की है वहां पर चलती सेना की ही है और बिना सेना के वहां पर पत्ता भी नहीं हिला हिलता । कट्टरपंथियों की बड़ी जमात वहां ऐसी है जो भारत के साथ सम्बन्ध सुधरते नहीं देखना चाहती है । ऐसी सूरत में अगर हम बार बार उससे दोस्ती का राग छेड़ते है तो यह हजम नहीं होता क्युकि छलावे के सिवा यह कुछ भी नहीं है । ऐसे में मोदी सरकार द्वारा हुर्रियत को द्विपक्षीय बातचीत में शमिल ना किये जाने वाले फैसले को सही ठहराया जाना जायज है और मोदी ने हुर्रियत नेताओं को भाव न देकर कश्मीर को लेकर एक नई लकीर अजित डोभाल के आसरे खींचने की कोशिश की थी जिसमे पाक को मुह की खानी पड़ी क्युकि डोभाल के मुकाबले अजीज बहुत कमजोर नजर आ रहे थे | ऐसी खबरें खुद पाक के कई बड़े चैनल चला चुके थे और वैसे भी अजित डोभाल पाक को कई डोजियर इस बातचीत में सौपने वाले थे जिसमे मुंबई हमलो के आरोपियों से लेकर दाउद के पाक में होने के सबूत शामिल थे | लेकिन डोभाल ने आतंकवाद के मसले पर पाक को चारों तरफ से ऐसे घेर लिया कि पाक को हुर्रियत का पुराना राग छेड़ने पर मजबूर होना पड़ा जिसके चलते डिनर की टेबल में आने से पहले ही पाक भाग गया |
दुखद पहलू यह है पाक जहाँ नियंत्रण रेखा पर हो रही घुसपैठ और आतंकी घटनाओं में अपना हाथ होने से हमेशा इनकार करता रहा है वहीँ भारत सरकार कह रही है वह हमारे सब्र का इम्तिहान नहीं ले तो यह पहेली किसी के गलेनहीं उतर रही । आखिर कब तक हम पाक के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते रहेगे और बातचीत से मेल मिलाप बढ़ायेंगे जबकि हर मोर्चे पर पाकिस्तान हमको धोखा ही धोखा देता आया है । इस घटना के बाद हमारे नीतिनियंताओ को यह सोचना पड़ेगा अविश्वास की खाई में दोनों मुल्को की दोस्ती में दरार पडनी तय है । अतः अब समय आ गया है जब हम पाक के साथ अपने सारे सम्बन्ध तोड़ डालें । हमें अपने उच्चायुक्त को पाक से वापस बुला लेना चाहिए ताकि पाक के चेहरे को अब पूरी दुनिया में बेनकाब किया जा सके और इस दिशा में अब हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को अपनी कूटनीति के आसरे आगे बढ़ना होगा जिसमे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंवाद के मसले पर पाक को बेनकाब किया जा सके |
मुंबई में 26/11 के हमलो में भी पाक की संलिप्तता पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हुई थी बल्कि पकडे गए आतंकी कसाब ने यह खुलासा भी किया हमलो की साजिश पाकिस्तान में रची गई जिसका मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद था । हमने मुंबई हमलो के पर्याप्त सबूत पाक को सौंपे भी लेकिन आज तक वह इनके दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया है । आतंक का सबसे बड़ा मास्टर माईंड हाफिज पाकिस्तान में खुला घूम रहा है और भारत केखिलाफ लोगो को जेहाद छेड़ने के लिए उकसा भी रहा है लेकिन आज तक हम पाक को हाफिज के मसले पर ढील ही देते रहे हैं यही कारण है वहां की सरकार उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है ।
2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हमले के बाद उसके जमात उद दावा ने कश्मीर के ट्रेंनिग कैम्पों में घुसकर युवको को जेहाद के लिए प्रेरित किया । अमेरिका द्वारा उसके संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने और उस पर करोडो डालर के इनाम रखे जाने के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने उसे कुछ दिन लाहौर की जेल में पकड़कर रखा और जमानत पर रिहा कर दिया । आज पाकिस्तान उसे पाक में होने को सिरे से नकारता रहा है जबकि असलियत यह है पुंछ में हाफिज की संलिप्तता कई बार उजागर भी हुई है । पाकिस्तान के कब्जे वाले पी ओ के में हाफिज का जबरदस्त प्रभाव है जो अभी पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के साथ भारत में घुसपैठ बढाने की कार्ययोजना को तैयार कर रहा है । भारतीय गृह मंत्रालय भी अब सीमा पार हो रही गोलाबारी को लेकर चिंतित ही नहीं चौकन्ना हो गया है | यही नहीं मुंबई के 1993 के हमलों का मास्टर माइंड दाऊद भी पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है | उसने पाक के 9 शहरों में अपने ठिकाने बनाए हुए हैं जिनमे कराची, इस्लामाबाद और लाहौर सरीखे शहर शामिल हैं लेकिन पाक सरकार और सेना दाऊद के पाक में ना होने की बात अक्सर दोहराती रहती है | अब ऐसे हालातो में पाक हमसे बेहतर सम्बन्ध कैसे बना सकता है जबकि पाक भारत सरकार को किसी मसले पर तमाम डोजियर सौपे जाने के बाद भी सहयोग नहीं करता ?
26 / 11 के हमलो के बाद भारत ने जहाँ कहा था जब तक 26 /11 के दोषियों पर पाक कार्यवाही नहीं करेगा तब तक हम उससे कोई बात नहीं करेंगे लेकिन आज तक उसके द्वारा दोषियों पर कोई कार्यवाही ना किये जाने के बाद भी हम 200 बिलियन व्यापार , वीजा नियमो में ढील , क्रिकेट और विदेश सचिवो के आसरे अगर इस दौर में निकटता बढाने की सोच रहे हैं तो यह हमारी लुंज पुंज विदेश नीति वाले रवैये को उजागर करता है । भारत तो पहले ही पाक को मुंबई हमलों के सभी सबूत पेश कर चुका है लेकिन पाक उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता ? अब तो हर घटना में अपना हाथ होने से इनकार करना पाक का शगल ही बन गया है ।
लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर युद्ध विराम तो नाम मात्र का है इसके बावजूद भी उस पूरे इलाके में सैनिको के बीच अकसर तनाव देखा जा सकता है और फायरिंग की घटनाएं आये दिन होती रहती हैं। 15 अगस्त को भी पाक सेना की तरफ से भारतीय जवानों को निशाना बनाया गया | भारतीय सेना में घुसपैठ की कार्यवाहियां अब पाक की सेना ही कर रही है क्युकि पाक का पूरा ध्यान अपने अंदरूनी झगडो और तालिबान में लगा रहा है । उसे लगता है अगर ऐसा ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में कश्मीर उसके हाथ से निकल जायेगा । अतः ऐसे हालातो में वह अब लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनो को आई एस आई एस के जरिये पी ओ के में भारत के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ने के लिए उकसा रहा है जिसमे कई कट्टरपंथी संगठन उसे मदद कर रहे हैं । यही नहीं घाटी में अब आई एस आई एस के झंडे भी कई मर्तबा लहराए जा रहे हैं जो हमारे लिए खतरे की घंटी हैं |
पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है । वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली ही रही है । नवाज सरकार तो नाम मात्र की लोकत्रांत्रिक है असल नियंत्रण तो सेना का हर जगह है । पाक इस बार यह महसूस कर रहा है अगर समय रहते उसने भारत के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो कश्मीर का मुद्दा ठंडा पड जायेगा । अतः वह भारतीय सेना को अपने निशाने पर लेकर कट्टरपंथियों की पुरानी लीक पर चल निकला है । आने वाले दिनों में भारत को चौकन्ना रहने की जरुरत है क्युकि तालिबानी लड़ाके जिन्होंने पाक में पनाह ली हुई है वह आई एस आई एस के जरिये भारत में घुसपैठ तेज कर सकते हैं । कश्मीर का राग पाक का पुराना राग है जो दोस्ती के रिश्तो में सबसे बड़ी दीवार है । ऐसे दौर में हमें पाक पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरतहै । हमारी सेना को ज्यादा से ज्यादा अधिकार सीमा से सटे इलाको में मिलने चाहिए ।
सीमा पार खराब हालातो के चलते अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए । उसे किसी तरह की ढील नहीं मिलनी चाहिए । पकिस्तान हमारे धैर्य की परीक्षा ना ले अब ऐसे बयान देकर काम नहीं चलने वाला क्युकि सीमा पार की गोलाबारी की घटनाओ ने हमारे सैनिकॊ के मनोबल को गिराने का काम किया है । पाक के साथ भारत को अब किसी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए और कूटनीति के जरिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसके खिलाफ माहौल बनाना चाहिए साथ ही अमेरिका सरीखे मुल्को से बात कर यह बताना चाहिए आतंक के असल सरगना पकिस्तान में पल रहे हैं और आतंकवाद के नाम पर दी जाने वाली हर मदद का इस्तेमाल पाक दहशतगर्दी फैलाने में कर रहा है । अगर पाक को विदेशो से मिलने वाली मदद इस दौर में बंद हो जाए तो उसका दीवाला निकल जायेगा । ऐसी सूरत में कट्टरपंथियों के हौंसले भी पस्त हो जायेंगे । तब भारत पी ओ के में चल रहे आतंकी शिविरों को अपना निशाना बना सकता है माकूल कार्यवाही के लिए यही समय बेहतर होगा । रक्षा मंत्री मनोहर परिकर को भी अब पाक मामले में कोई लकीर खीचने की जरुरत है | अब समय आ गया है जब पाक के खिलाफ भारत बातचीत के विकल्पों से इतर कोई बड़ी कार्यवाही की रणनीति अख्तियार करे क्युकि एक के बाद एक झूठ बोलकर पाक हमें धोखा दे रहा है और कश्मीर के मसले के अन्तरराष्ट्रीयकरण के पक्ष में खड़ा है ।
आज तक हमने पाक के हर हमले का जवाब बयानबाजी से ही दिया है । भारत सरकार धैर्य , संयम की दुहाई देकर हर बार लोगो के सामने सम्बन्ध सुधारने की बात दोहराती रहती है । इसी नरम रुख से पाक का दुस्साहस इस कदर बढ गया है अंतरराष्ट्रीय नियमो का उल्लंघन करता है और कश्मीर पर मध्यस्थता का पुराना राग छेड़ता रहता है । यह दौर नमो सरकार के लिए भी असली परीक्षा का है क्युकि उसी की नीतियां अब पाक के साथ भारत के भविष्य को ने केवल तय कर सकती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर यह मामला उसकी कूटनीति के आसरे दुनिया तक पहुच सकती है । मोदी अपनी विदेश नीति से सबका ध्यान खीच रहे है | वह मध्य पूर्व के कई देशो के साथ अरब देशों में भी घूमघूमकर इशारों इशारों में पाक को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं | वह पूरी दुनिया घूमकर भारत के अनुकूल नीतियों को बनाने में लगे हैं और उनकी इस विदेश नीति पर इस बार पूरी दुनिया की नजर है | वह भूटान से लेकर नेपाल और म्यामार से लेकर अमरीका , जर्मनी , चीन जापान , दुबई को अपने आसरे न केवल साध रहे हैं बल्कि पहली बार नेहरु से लेकर इंदिरा की नीतियों से इतर नई राह अपने विदेश दौरों में खोल रहे हैं | ऐसे में पाक को लेकर भी अब कोई निर्णायक फैसला लेने का वक्त उन्हें देना होगा | भारत बार बार भले ही अपनी तरफ से बातचीत के दरवाजे खोलने की कोशिश करता रहा हो लेकिन पाकिस्तान की दिलचस्पी न तो पहले बातचीत में रही है और न ही शायद भविष्य में कभी रहे | ऐसे में अब समय आ गया है हम संयम को छोड़कर अपनी कूटनीति से पाक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मात दें |
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