Tuesday 19 October 2021

' हम आगामी चुनावों में विकास के नाम पर वोट मांगेंगे ' --बिशन सिंह चुफाल

 


बिशन सिंह चुफाल की गिनती उत्तराखंड भाजपा के बड़े चेहरे के तौर पर की जाती है। कुमाऊँ की कई सीटों पर उनका अच्छा - खासा प्रभाव रहा है। चुफाल पहाड़ में बेहद सीधे –साधे ठेठ पहाड़ी अंदाज वाले नेता रहे हैं। बिशन सिंह चुफाल के राजनीतिक जीवन की शुरुवात अस्सी के दशक के जनांदोलनों से हुई। 1983 में पहली बार ग्राम प्रधान बने  चुफाल 1986 में ही डीडीहाट के ब्लाक प्रमुख भी निर्वाचित हो गए। 1984 से 1992 तक पिथौरागढ़ जिले में  वो भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे ।

1996 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में विधायक निर्वाचित हुए जिसके बाद उन्होनें कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और डीडीहाट में अजेय रहे। उनकी जीत का अजेय रथ डीडीहाट से लगातार जारी रहा। लगातार पाँच बार किसी सीट से जीतते रहना इतना आसान नहीं है। वह भी तब जब लगातार सत्ता विरोधी लहर लगातार नेताओं की परेशान करती है लेकिन जनता के बीच सरोकारों की राजनीति करने वाले और कुशल संगठनकर्ता बिशन सिंह चुफाल ने अपने कामों से जनता के बीच बीते कुछ वर्षों में खास पहचान बनाई है शायद यही वजह है जनता हर विधान सभा चुनावों में उनको अपना आशीर्वाद देती आ रही है।

तत्कालीन बी सी खंडूड़ी सरकार में भी ग्रामीण विकास, पंचायतीराज, सहकारिता, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा जैसे महकमे संभालकर कैबिनेट मंत्री के तौर अपने कामों से खास पहचान बनाई। त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया फिर भी विधायक के रूप में दिन रात जनता की सेवा करते रहे । बिशन सिंह चुफाल  उत्तराखंड  भाजपा  के उन नेताओं में से हैं , जो हमेशा सहजता के साथ जनता को  किसी भी  समय उपलब्ध रहते हैं।बिशन सिंह चुफाल एक दौर में भाजपा के पांचवे प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी संभाल चुके हैं। तीरथ सिंह रावत सरकार में भी उन्हें कैबिनेट की ज़िम्मेदारी दी गई। मौजूदा पुष्कर सिंह धामी सरकार में भी वो पेयजल, वर्षा जल संग्रहण, ग्रामीण निर्माण और जनगणना जैसे अहम विभाग संभालते हुए कैबिनेट की शोभा बढ़ा रहे हैं। चुफाल मानते हैं  उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा विकास के नाम पर जनता से वोट मांगेगी और 60 से अधिक सीटें लेकर फिर से उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनाएगी ।


 हर्षवर्धन  के साथ हुई खास बातचीत में पिछले दिनों कई मुद्दों पर उन्होनें खुलकर अपनी राय रखी । प्रस्तुत है इस बातचीत के मुख्य अंश :

 
बिशन जी 9 नवंबर 2000 को अलग राज्य का गठन हुआ। 21 बरस पूरे होने जा रहे हैं एक अनुभवी राजनेता के तौर पर इस सफर को आप कैसे देखते हैं ? 

उत्तराखंड की जनभावनाओं को देखते हुए अलग राज्य की मांग उठी थी और अलग राज्य का गठन भी हुआ। राज्य गठन के बाद बीते 21 वर्षों में विकास की गति आगे बढ़ी। विकास तेजी से ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में हुआ है। इन इलाकों में सड़कें, स्कूल , स्वास्थ्य केंद्र और पहाड़ी इलाकों में पैदल झूलापुल बने हैं। उत्तर प्रदेश में 19 विधायक हुआ करते थे। आज हमारे पास 70 विधायक  हैं। उस हिसाब से तीन से साढ़े तीन करोड़ रू की विधायक निधि मिल रही है जो धनराशि विकास कार्यों में खर्च किया जा रहा है ।

केन्द्र में मोदी जी की सरकार होने का कितना फायदा इस प्रदेश को मिला है।  डबल इंजन होने से क्या प्रदेश में विकास की गति तेज हुई है ? 

सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ केन्द्र प्रोषित जितनी भी योजनाएँ चल रही हैं, उसका इस प्रदेश को बहुत लाभ मिला है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी ने सबसे पहले ग्रामीण जनता के दुख दर्द को जाना। 250 से अधिक आबादी वाले गांवों को उन्होनें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से जोड़ा क्योंकि उस उस समय प्रदेश सरकार के पास इतना बजट नहीं होता था।  केन्द्र सरकार के बजट की वजह से अगर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना नहीं होती तो आज भी हमको गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए 15 साल और इंतजार करना पड़ता। गांवों में सड़क पहुँचाने के लिए एक तो ये बेहतर काम हुआ है। दूसरा केन्द्र पोषित जिनती भी योजनाएँ आज पी एम मोदी जी की समय में चल रही हैं चाहे वो स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो , शिक्षा के क्षेत्र में हो बहुत क्रांतिकारी विकास इस प्रदेश में हुआ है। धन केन्द्र से पर्याप्त मात्रा में आज मिल रहा है। समाज कल्याण में अभूतपूर्व काम हर क्षेत्र में हुए हैं। आल वैदर रोड का बेहतरीन काम दिख रहा है। पूर्व पीएम अटल जी ने जैसे गाँव गाँव सड़क पहुंचाई है ,वैसे ही मोदी जी घर –घर तक पानी का कनेक्शन पहुंचाने पर ज़ोर दे रहे हैं। जल जीवन मिशन केंद्र की बहुत बड़ी योजना है जिसमें 2022 तक हर परिवार के आँगन में स्वच्छ पानी मिलेगा। आज गाँव की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। डबल इंजन की सरकार ने स्वरोजगार पर ध्यान दिया है। आज गाँव का नक्शा बादल चुका है। लाकडाउन के बाद गांवों में भी चहल पहल बढ़ी है। हर कोई आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। हमारे पी एम मोदी जी का भी नारा रहा है गाँव आत्मनिर्भर बनें। उत्तराखंड के सीमांत जनपदों में पलायन हो गया था। घरों, मकानों में ताले लगे थे। आज होम स्टे के माध्यम से रोजगार लोगों को मिला है, साफ पानी मिल रहा है। गाँव की आय बढ़ रही है क्योंकि वहाँ तक पर्यटक पहुँच गया है। लोगों को रोजगार भी मिला है। 

विपक्ष ये आरोप लगाता है डबल इंजन हर मोर्चे पर फेल हुआ है। काँग्रेस के महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत का बयान मैं कुछ दिनों पहले पढ़ रहा था। वो कह रहे थे विकास की बुनियादी अवधारणा पर प्रदेश में भाजपा खरा नहीं उतर पाई है, तभी आपको तीन –तीन मुख्यमंत्री बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। ये मुद्दा क्या आगामी चुनाव में आपकी पार्टी के लिए चुनौती नहीं है ? 

कोई चुनौती नहीं है। यह भाजपा का अपना आंतरिक मामला है। किसकी कहाँ पर जरूरत है ये तय करना पार्टी का काम है। मैं भी तो पहले कैबिनेट मंत्री था। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अभी मदन कौशिक हैं हमारे प्रदेश अध्यक्ष। इसी प्रकार किसकी कब कहाँ जरूरत है ये पार्टी तय करती है। इसमें काँग्रेस को क्या परेशानी है ? हमने तो जनता के सामने 2017 में वायदा किया था जनता ने हमको जनादेश दिया था। उसी के अनुरूप हम दिन- रात काम कर रहे हैं । माननीय मुख्यमंत्री धामी जी युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। जो काम राज्य में हमारी सरकार ने शुरू किए वो धरातल पर दिखाई दे रहे हैं इसलिए वो विकास की गति को देखकर बौखला गए हैं। उनके पास कोई मुद्दा ही नहीं है। चार साल तक तो वो सोये थे। विपक्ष इस प्रदेश में था ही कहाँ ? हरीश रावत जी कहाँ थे ? इन्होनें क्यों नहीं उठाए जनता से जुड़े हुए मुद्दे? कभी उठाए क्या मुद्दे ? सड़क में कभी धरना प्रदर्शन किया क्या इन्होनें? इनकी पार्टी ने विधान सभा में कोई मुद्दा नहीं उठाया। मुद्दे तो उठाने चाहिए थे विपक्ष क। अब इनके पास जनता को गुमराह करने और अनर्गल बयानबाजी के आलवा कोई मुद्दा मुद्दा नहीं है । 

पेयजल की समस्या पहाड़ों में गंभीर बनी हुई है । इस दिशा में आप कैबिनेट की कुर्सी संभालने के बाद से मिशन माड में हैं। इस दिशा में आपने क्या एक्शन प्लान बनाया है ? साथ ही पिथौरागढ़ नगर में इस हफ्ते पानी की सप्लाई सुचारु नहीं हुई। पानी का  संकट तो अब भी  बना हुआ है । 
 
यह आपका बहुत गंभीर सवाल है। जहां तक पिथौरागढ़ नगर की बात की आपने उस संकट के समाधान के लिए मैंने रात में ही अधिकारियों से बात की। इस समय पेयजल कर्मियों की हड़ताल से यहाँ पर थोड़ी परेशानी हुई है । नगर में हर मोहल्ले में पानी आ रहा है। अब विरोधी तो कहेंगे ही पानी नहीं आ रहा है। मैंने आज सभी अधिकारियों से फिर बात की है। नगर में  पेयजल की समस्या का निदान होगा। हमारे यहाँ पानी जो है वो थोड़ा कम आ रहा होगा लेकिन वो हर जगह आ रहा है। कर्मचारी हड़ताल करते रहें लेकिन कल तक हम पूरी व्यवस्था ठीक कर लेंगे।

 जहां तक आपने ये पहाड़ों में पेयजल का संकट उठाया ये विषय गंभीर है। पहाड़ों में पेयजल की समस्या नहीं है। पहाड़ में ऊंचाई वाले स्थानों में जो गाँव हैं वहाँ स्रोत नहीं थे। जो परंपरागत स्रोत हमारे धारे , नौले हमारे यहाँ हुआ करते थे वे बिल्कुल ही सूख गए क्योंकि पहले हम ये करते थे हम जो पोखर बनाते थे बरसात का पानी इकट्ठा करते थे। जलाशय बनाते थे , वो पानी धारे –नौलों तक जाता था। नदी का पानी बढ़ जाता था। हमारे पोखर और जलाशय बंद हो गए। उस तरफ हमारी जनता ने ध्यान देना ही बंद कर दिया। जनता का ध्यान बंट गया तो उस समस्या के समाधान के लिए गाँव में जलाशय का निर्माण पुनः मनरेगा के माध्यम से हम कर रहे हैं। अन्य विभागों के माध्यम से पंचायतों में जो बजट है पंद्रहवें वित्त आयोग का जो बजट है उसे खर्च कर रहे हैं। आज गाँव में जहां जहां पानी नहीं आ रहा था वहाँ -धारे नौले में भी अब गर्मियों में भी भरपूर मात्रा में आ रहा है। आप गाँव में किसी से भी पूछ लें कहीं पानी की कोई समस्या नहीं है । जहां पर गाँव में पानी नहीं है, वहाँ पर हम पंपिंग के माध्यम से योजना ला रहे हैं। मैं भारत सरकार के पेयजल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी का आभारी हूँ जिन्होनें हमारे प्रदेश की विषम भौगोलिक  परिस्थिति को समझा। पहाड़ में बड़ी विषम परिस्थितियाँ हैं। जल जीवन मिशन के जो मानक थे तहत एक परिवार के अंतर्गत 25000 रू खर्च किए जाने थे उससे हर गाँव को पानी नहीं मिल रहा था। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री जी ने यहाँ पहाड़ों की स्थिति को देखते हुए हमारे पक्ष को सुना। इन कारणों से लागत 25000 रु से बढ़ गई । आप देख लें,  एक परिवार में एक से डेढ़ लाख तक का पंपिंग योजना में खर्च कर रहा है और आज गांवों में नल बिछाये जा रहे हैं। लोग काफी खुश हैं। पहले की योजना बनाने में सालों -साल लग जाते थे।  आज हमारे कार्यकाल में पंपिंग के टेंडर भी शुरू हो गए हैं, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि मैं मानता हूँ । 

जल जीवन मिशन केंद्र पोषित बेहतरीन योजना है लेकिन पूर्व सी एम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के दौर में हमने देखा बड़े पैमाने पर ड्राई कनेक्शन बांटे गए । लोगों की शिकायात ये थी साहब नल तो लग रहे हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा ? 

पानी कम आ रहा था। एक स्टैंड पोस्ट खड़ा किया था वो स्टैंड पोस्ट से गाँव के बाहर आदमी पानी पी रहे थे। स्टैंड पोस्ट आधे इंच का हुआ वो डेढ़ इंच लाइन घरों को पहुंचा दिया। ये कमी रही। फिर गाँव में आधे गाँव को पानी का कनेक्शन दिया।  आधे गाँव  को नहीं। तो योजना जो बनती है वो पूरे गाँव की आबादी के हिसाब से बनती है और योजना तो पहले जनसंख्या के हिसाब से बनी थी। पानी की भी अपनी मात्रा है और अब गाँव में कुछ लोगों को लगा पानी पहले अधिक आ रहा था। नीचे को कनेक्शन जोड़ दिये गए और स्टैंड पोस्ट नीचे हुआ। कुछ परिवार ऊपर थे। ऊपर थोड़ी स्टैंड पोस्ट था जो पानी ऊपर जाएगा। कुछ उसी प्रकार कुछ लोगों को पानी नीचे दे दिया गया। वहाँ कम पानी आ गया। थोड़ा सा लोगों में मन- मुटाव रहा और पानी कम आ रहा था जिसका समाधान हमने एक महीने के अंदर कर दिया। 

राज्य गठन के बाद नौकरशाही को साधना हर सरकार दल के लिए एक बड़ी चुनौती रही है । 21 बरस में ये प्रदेश अगर अस्थिरता के भँवर में झूलता रहा तो इसका एक  बहुत बड़ा कारण बेलगाम  नौकरशाही भी रही है।  विधायकों , मंत्रियों का दर्द भी एक ही है अधिकारी उनकी नहीं सुनते ? अब क्या अब सब  आल इज वेल है इस प्रदेश में ? 

मैं कहता हूँ आपसे इसमें हम भी दोषी हैं। सरकार में हम भी हैं और  इस नौकरशाही ने प्रदेश को काफी पीछे किया है। आज भी मैं देखता हूँ नौकरशाही की तो आदत ही वही पुरानी बनी  हुई है। जो 20-25 साल से उसी पुरानी कार्यसंस्कृति के अंतर्गत काम कर रहा है, उसकी आदत तो एकदम तो नहीं सुधर पाएगी। अधिकारियों को अपनी मानसिकता उत्तराखंड बनने के बाद बदलनी चाहिए थी जो नहीं बदली। सरकार में रहते हुए अगर हम भी दोषी हैं तो आप भी दोषी हो सकते हैं। मीडिया को भी आवाज उठानी चाहिए थी। अधिकारियों के प्रति धीरे- धीरे ये आवाज उठी व आपने भी उठाई हमने भी और मंत्रियों ने भी कहा। धीरे- धीरे ही सही आज अधिकारी हमारी बात सुन रहे हैं। टेलीफोन उठाते हैं जो समस्याएँ आती हैं उसका समाधान करते हैं। जनप्रतिनिधियों की भी सुनते हैं। अब अंतर दिख रहा है ।  

आगामी चुनावों में भाजपा के पास क्या मुद्दे रहेंगे ? 
 
हम आने वाले चुनावों में विकास के नाम से वोट मांगेंगे। आज कोई राजस्व गाँव ऐसा नहीं है इस प्रदेश में जहां सड़क नहीं पहुंची है और कोई भी परिवार ऐसा नहीं जहां पानी नहीं पहुँच रहा है। कोई स्कूल ऐसा नहीं जहां पर ताले पड़े हैं और जहां टीचर नहीं हैं। अच्छी शिक्षा के लिए हमने अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोले हैं। हम पलायन रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं। आज हर अभिवावक की चाहत है, उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले व आज गांवों में आप देखिये अच्छे स्कूल खुले हैं। भवन निर्माण हो गया है। कंप्यूटर आ गया है। पहले ये सब चीजें नहीं थी। अपनी विधायक निधि से प्राथमिक, इंटर , उच्च शिक्षा के लिए जो धनराशि  विधायक देते हैं उससे प्रोजेक्टर, कंप्यूटर , स्मार्ट बोर्ड , फर्नीचर उपलब्ध करवाकर स्कूलों की तस्वीर ही बदल गई है और आज गाँव के इन स्कूलों में भोजन माताएँ हैं। पानी के कनेक्शन हैं और हर न्याय पंचायत में अटल स्कूल भी खुला है तो हमारे ऐसे कई मुद्दे हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसान सम्मान निधि हमने शुरू की। कोरोना की निशुल्क वैक्सीन हमने लोगों को उपलब्ध करवाई। एक साल तक लोग कोरोना के चलते परेशान हुए। रोजगार चला गया। प्रधानमंत्री मोदी और सी एम धामी जी ने 1 साल तक के लिए फ्री राशन लोगों को दे रखा है और लोगों का स्वास्थ्य कार्ड बनाया है। आज हर क्षेत्र में काम हुआ है। जनता इसे देखते हुए भाजपा को फिर से प्रदेश में कमान सौंपना चाहती है। 

डीडीहाट विधान सभा का प्रतिनिधित्व आप लंबे समय से कर रहे हैं। इस विधान सभा क्षेत्र में आपकी विशेष उपलब्धियां क्या रही हैं हम जानना चाहते हैं ? 

मेरी अपनी विधानसभा के राजस्व गांवों के तोकों तक आदमी 1 किलोमीटर भी पैदल नहीं चल रहा है वहाँ तक मैंने अपने प्रयासों से विधायक निधि के माध्यम से सड़क पहुंचा दी है जिसे मैं अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानता हूँ। सड़क के होने से आज लोग स्वरोजगार और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मैंने प्रेरित किए हैं। मेरी विधान सभा में सबसे अधिक लोग स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं और पिछले कुछ समय से जिस तरह के कार्य यहाँ किए जा रहे हैं वह उल्लेखनीय हैं। मूनाकोट के भटेडी में 150 से अधिक मुर्गीबाड़े बने हैं जहां मुर्गियाँ बाहर पीलीभीत से आती थी।  मगर अब भटेडी से ही आईटीबीपी, एसएसबी , मिलिट्री बाजार में जा रही है। उसी के पास के इलाके में मशरूम का काम ज़ोर-शोर से चल रहा है। कनालीछीना बेल्ट में बहुत सारे गाँव ऐसे हैं जहां पर मत्स्य, फल-सब्जी का काम ज़ोर शोर के साथ चल रहा है। डूंगरीगांव आदर्श गाँव है। थल बेल्ट में लोग आज फूलों की खेती कर रहे हैं वहाँ पर बेहतरीन काम हो रहा है। सब्जी का उत्पादन काश्तकार कर रहे हैं। कहीं –कहीं पर जड़ी बूटी का उत्पादन भी किया जा रहा है। लोकल को वोकल बनाने का प्रयास चरम पर है। मेरी पहाड़ की विधानसभा में एक समस्या जंगली जानवर और बंदरों की है ।

किसी दौर में आपने बंदरबाड़े लगाने की बात भी बड़े ज़ोर शोर के साथ की थी लेकिन ये बंदरबाड़े आज तक नहीं बन पाये ? 

कैम्पा के तहत धनराशि आ चुकी है। मैं आपको बताना चाहता हूँ , हम ये सब शुरू कर रहे हैं। बंदरों के चलते मेरी विधान सभा में फसल को बहुत नुकसान होता है। मैं आपको बताना चाहता हूँ ये सब शुरू हो गए हैं। फिर इनकी प्रजाति में तेजी से वृद्धि होती है। इसे देखते हुए हम बंदरों का बंध्याकरण भी कर रहे हैं। 

स्वरोजगार की कई योजनाएँ तो एन डी तिवारी जी के दौर में भी चल रही थी। मौन पालन, मुर्गी पालन, मछ्ली के लिए सब्सिडी भी अच्छी ख़ासी दी जा रही थी। काँग्रेस का आरोप ये रहता है आपने उनकी योजनाएँ अपने नाम से शुरू कर ली और वाहवाही बटोर रहे हैं। स्वरोजगार के मसले पर लोन देने में बैंक आज भी आनाकानी कर रहे हैं ? 

मैं काँग्रेस से ये सवाल करना चाहता हूँ आपकी 100 रू की योजना थी 15 रू उसमें मिलते थे। भाजपा की सरकार में 100 रु में 100 रु लाभार्थी के खाते में जा रहे हैं। ये हमारी बड़ी उपलब्धि है। जो कह रहे हैं हमारी योजना थी उनको ये पता होना चाहिए आपकी योजना तो आम आदमी तक भी नहीं पहुँचती थी। बीच में बिचौलिए ही खा जाते थे। देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोगों का जन –धन का खाता खोला गैस का पैसा ,किसान निधि का पैसा , मनरेगा का पैसा सीधे उनके खातों में चला गया। हर सरकारी योजना का पैसा आज सीधे लाभार्थी के खातों में जा रहा है। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था। बिचौलिए बीच में गड़बड़ कर देते थे तभी उनके प्रधान मंत्री राजीव गांधी जी ने एक दौर में कहा भी था केंद्र से 100 रु चलता है लेकिन 15 रू ही लोगों तक पहुँच पाते हैं। काँग्रेस को तो शर्म आनी चाहिए उनकी सरकार में कभी भी लाभार्थियों को धनराशि  समय से नहीं मिल पाई।

आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी को आप कितना बड़ा खतरा मान रहे हैं प्रदेश में भाजपा के लिए ? 
आप भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है। देवभूमि की जनता बहुत समझदार है वो किसी के झांसे में नहीं आने वाली । 

लेकिन आप पार्टी तो कह रही है हम फ्री बिजली, पानी और युवाओं को रोजगार  देंगे ? 

कहाँ से ला रहे हैं वो पैसा ? उत्तराखंड का बजट कितने का है ये पता है क्या उनको? ऐसे ही विकास थोड़ी हो जाएगा? बजट के हिसाब से ही तो विकास होगा , रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड सरकार के मौजूदा बजट की बड़ी धनराशि कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में खर्च हो जाती है। 

लेकिन वो तो कह रहे हैं हम 6 माह में 1 लाख लोगों को रोजगार देंगे। बेरोजगारों को प्रतिमाह 5 हजार का भत्ता देंगे । वो तो गारंटी कार्ड दे रहे हैं यहाँ की जनता को फार्म भरवाकर 

कहाँ से देंगे आप वाले कोई संजीवनी बूटी है ? उनके पास क्या कोई ऐसा बटन है जिसे दबाने से सरकारी नौकरी युवाओं को मिल जाएगी? आप तो सिर्फ जनता को बरगला रहे हैं। जो नौकरी की बात कर रहे हैं उनको मैं बताना चाहता हूँ उत्तराखंड के मौजूदा बजट का 85 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों  के पेंशन और  वेतन में खर्च होता है। 15 फीसदी हिस्सा विकास में खर्च होता है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी पैसा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में जाता है। इतना छोटा सा प्रदेश है हमारा इसकी आर्थिक स्थिति तो देखिये पहले तब कुछ बोलिए। आपके पास कोई नेता है नहीं । नेता को तो पहाड़ की भी बुनियादी समझ होनी चाहिए । सेना से सेवानिवृत्त व्यक्ति को आपने पार्टी जॉइन करवा दी ऐसे थोड़ी विकास हो जाएगा । पहाड़ का आदमी जिसने जमीन पर काम किया है वहीं तो पहाड़ को जानेगा। ये आप पार्टी वाले पहाड़ की मासूम जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। जब आप सब कुछ फ्री कर दोगे तो आदमी तो अकर्मण्य बन जाएगा । 

बी सी खंडूड़ी  जी आपके राजनीतिक गुरु रहे हैं। उन्होनें अपने कार्यकाल में राज्य में नई लकीर खींची । उनका लोकायुक्त आज तक लटका है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ये वादा किया था 100 दिन में लोकायुक्त लाएँगे लेकिन ये आज तक अटका पड़ा है। विपक्ष इसको लेकर आपको गाहे -बगाहे कठघरे में खड़ा करता है। वो तो ये भी कहता है चुनाव के समय खंडूड़ी जी जरूरी हो जाते हैं चुनाव के बाद गैर जरूरी 

चुनाव के समय ही विपक्ष को ये मुद्दे क्यों याद आते हैं ? खंडूड़ी जी अगर जरूरी थे तो नारा उनके समय में था । जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा उसी का नारा लगेगा। अब पार्टी में जो काम करेगा उसी का नारा लगेगा। मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में युवा सीएम का नारा हमने दिया है। उनके नेतृत्व में हम चुनाव जीतेंगे तो पार्टी भी उसी पर नारा लगाएगी ।

राज्य गठन के बाद आंदोलन यहाँ की नियति ही बन चुकी है। जहां देखो वहाँ आंदोलन। उपनलकर्मी, रोडवेज कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग के संविदाकर्मी तो कभी नगर पालिका के कर्मचारी , आशा कार्यकर्ता प्रदर्शन पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं । कैसे देखते हैं इसे आप 

अब चुनाव पास है तो सभी को लगता है धरना प्रदर्शन करके अपनी मांगें सरकार के सामने उठा रहे हैं। आज से पहले इन्होनें कभी अपनी मांगे नहीं उठाई सब के सब सोये हुए थे। अब चुनाव है तो हमारे डीडीहाट जिले की भी मांग उठ रही है। अनशन हो रहे हैं । 

मैं डीडीहाट पर आना चाहता हूँ। डीडीहाट जिले का मुद्दा आगामी चुनावों में भाजपा और काँग्रेस के गले की बड़ी फांस बन सकता है । आप कैसे देख रहे हैं इसे ?
 
जिले के लिए 2011 में तत्कालीन निशंक सरकार के समय हमने अधिसूचना जारी की। उस अधिसूचना में ये स्पष्ट लिखा हुआ है 2012 में चुनी हुई सरकार 4 नए जिलों को अस्तित्व में लाएगी। तत्कालीन राजस्व सचिव पी सी शर्मा की तरफ से उस समय ये अधिसूचना जारी हुई थी जो आज भी है हमारे पास लेकिन उसके बाद हमारी सरकार ही बदल गई। काँग्रेस ने उसे पुनर्गठन आयोग बनाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिले को अस्तित्व में लाने का काम अब हमारा है। हम ही इसे बनाएँगे लेकिन हर चीज का मानक होता है उसी के हिसाब से चलना होता है। 

आपके पास जनगणना विभाग भी है । कोविड के चलते 2020 में जनगणना नहीं हो पाई। क्या 2021 में ये होगी ? साथ ही राज्य में पिछले दिनों बड़ा डेमोग्राफिक बदलाव देखने को मिला है  । इसे आप कितना चुनौतीपूर्ण मानते हैं ? 

कोविड के चलते जनगणना नहीं हो सकी। भविष्य में हालातों को देखते हुए इस पर निर्णय लिया जाएगा। उत्तराखंड में हाल के वर्षों में पलायन काफी बढ़ा है। जनसंख्या बढ़ गई है।  सीमांत जनपदों में भी बदलाव हुआ है। हरिद्वार , देहरादून , नैनीताल जैसे जिलों में आबादी का घनत्व बढ़ गया है जो चुनौतीपूर्ण है। 

आपके पास वर्षा जल संग्रह का भी मंत्रालय है। मैंने अन्ना हज़ारे के गाँव रालेगनसिद्धि को करीब से देखा है वहाँ पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर बेहतरीन काम उन्होनें किया है। क्या अपने पहाड़ में भी ऐसा संभव हो सकता है ? 

आपने सही कहा ये विभाग भी मेरे पास ही है। मैंने बीच में आपसे कहा था हम पंचायत, पंद्रहवें वित्त आयोग और अन्य विभाग जैसे कृषि, वन विभाग की मदद से इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। वन विभाग चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष लगा रहा है।  वो भी वर्षा का जल संग्रह करने की दिशा में कम कर सकते हैं। पहाड़ में भी इस दिशा में काम हो सकता है। मैं आपको कुछ उदाहरण देना चाहता हूँ। मेरी विधान सभा के इलाके मूनाकोट , मड़मानले , सुवालेख। यहाँ पर पानी का कोई स्रोत नहीं था। तत्कालीन समय में अविभाजित यूपी के सी एम स्वर्गीय कल्याण सिंह जी थे। उस समय सुवालेख में वर्षा का पानी संग्रह करने के लिए बड़े टैंक बनाए गए। उन टैंकों में हमने 3 महीने तक वर्षा का पानी एकत्रित किया। लोग साल भर उस पानी को पीते थे और उसके बाद वहाँ पर हमने दो –तीन टैंक और बनाए। उसी प्रकार की मांग अन्य इलाकों से भी आई और  बरसात का स्रोत टैंक में डाल दिया। पी एम मोदी जी ने जिस तरीके से स्वच्छता अभियान चलाया वैसे ही उस समय हमने अपनी विधान सभा में वर्षा जल संग्रहण का अभियान चलाया। इससे जमीन के अंदर पानी की मात्रा बढ़ेगी। इधर पहाड़ों में भी हम पोखरों को ठेक कर रहे हैं । धारे –नौले अब नहीं सूख रहे हैं । 

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में डीडीहाट विधान सभा में संचार सेवा जी का जंजाल  बनी हुई है । अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने के चलते यहाँ पर नेटवर्क की बड़ी समस्या बनी रहती है । इस दिशा में आपके द्वारा कोई प्रयास नहीं हुए हैं ? 

क्नेक्टिविटी की थोड़ी समस्या है। घाटी वाले इलाकों में गांवों में ये समस्या अधिक है। इस समय जियो कंपनी काम कर रही है। हमारा प्रयास है गाँव -गाँव तक वो अपने कनेक्शनों से लोगों को आपस में जोड़ रहे हैं। 

देवस्थानम बोर्ड का मसला गढ़वाल की कई सीटों पर भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर पलीता लगा सकता है। गढ़वाल में सीटें अधिक हैं। पूर्व सी एम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के दौर में उनके इस फैसले को लेकर सवाल उठते आए हैं लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हो पाया है।   तीरथ सिंह रावत ने तो मार्च में कमान सौंपते ही कहा था हम इस फैसले को पलटेंगे लेकिन  आज  तक बात आगे नहीं बढ़ पाई। अभी धामी जी के दौर में भी वही हालात हैं ? 

हम लोगों की जो पहचान है, हमारी जो संस्कृति है, परंपरागत कारोबार है , उद्योग धंधे हैं , स्वरोजगार है इसे एकदम बंद नहीं करना चाहिए । धार्मिक मसलों पर तो जल्द से जल्द विचार करना ही सही है । 

तराई में किसान आंदोलन का मुद्दा भाजपा के लिए  आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कितनी परेशानी खड़ा कर सकता है ? बाजपुर में सी एम धामी की सभा तो दूर,  दौरा तक नहीं हो पा रहा है ? 

किसान इसे नहीं समझ पा रहे हैं। ये केवल और केवल राजनीति है । किसानों को ये समझना चाहिए ये कानून किसानों के हित में बना है। कुछ लोग इसमें आंदोलन के माध्यम से राजनीतिक रोटियाँ सेक रहे हैं। धीरे –धीरे कुछ किसान समझ रहे हैं इसे लेकिन कुछ लोग राजनीतिकरण कर रहे हैं इस आंदोलन के नाम पर। जनता इसे बखूबी समझ रही है।
 
काँग्रेस से भाजपा में आए लोगों का दर्द ये है भाजपा में उन्हें वो सम्मान नहीं मिला। पिछले दिनों पिता और पुत्र यशपाल – संजीव की जोड़ी की घर वापसी हो गई। क्या उम्मीद करें अब हम चुनावी साल में भाजपा से और विधायक काँग्रेस में नहीं छिटकेंगे ? 

मुझे तो पाँच साल तक ऐसा कुछ भी नहीं लगा जैसा आप कह रहे हैं अपना –पराया। भाजपा सबको साथ लेकर चलती है। जो निर्णय लेती है वो समूहिक होते हैं। लोगों को तो मुद्दे चाहिए कुछ भी बोलने के लिए। चुनाव के समय किसी की कोई सीट खतरे में होगी तो वो बदल रहा होगा। सीट कहीं खतरे में जा रही होगी तो पाला बदल लिया होगा। 2 माह तक तो यशपाल जी भाजपा की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे। आज एकाएक कैसे काँग्रेस में घर वापसी कैसे कर ली ?

एक दौर था जब भाजपा को पार्टी विद डिफरेंस कहा जाता था। आज पार्टी का चाल , चलन और चेहरा सब कुछ बदल गया है। दूसरे दलों से नेता  आकर भाजपा रूपी गंगोत्री में समा रहे हैं जहां पर शामिल होने से उनके सभी पाप धुल जा रहे हैं और अनुशासित पार्टी में नेता कार्यकर्ता सार्वजनिक स्थानों में लड़ते नजर आ रहे हैं इससे संदेश ठीक नहीं जा रहा है जनता में । पिछले दिनों उमेश शर्मा काऊ कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के एक कार्यक्रम में जिस तरह कार्यकर्ताओं के बीच पेश आए या शमशेर सत्याल - हरक सिंह रावत के बीच आए दिन बयानों के तीर छोड़े गए उससे जनता में सही संदेश नहीं गया है ? पिछले दिनों उमेश शर्मा काऊ भी यशपाल आर्य के साथ दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने पहुंचे थे लेकिन आखिर समय में वाशरूम का बहाना बनाकर काँग्रेस मुख्यालय से बाहर निकालकर भाजपा के दीन दयाल परिसर में नजर आए । जनता ये सब देख रही है तमाशा। क्या अब हम मानें यशपाल-संजीव  के काँग्रेस में जाने के बाद भाजपा अपना कुनबा एकजुट रख पाएगी चुनाव तक ? 

हमारी पार्टी बहुत बड़ी पार्टी है। जहां पर बड़ा परिवार होता है वहाँ पर बर्तन तो टकराते हैं लेकिन यह भी सच है हम आपस में बैठकर समाधान निकाल लेते हैं। हमारे यहाँ जो भी निर्णय लेता है वो सामूहिक ही होता है। मनमुटाव तो चलता रहता है । मनभेद होते हैं लेकिन मतभेद नहीं होते हैं । 

डीडीहाट से लगातार 5 बार आप जीत का परचम लहराते आए हैं । आपने आज तक अपनी सीट भी नहीं बदली । इस जीत का राज क्या है हम जानना चाहते हैं ? 

इसका जवाब तो आपको जनता ही बेहतर तरीके से दे पाएगी। जनता का आशीर्वाद मुझे हर हमेशा मिलता रहा है लेकिन फिर भी ये सब तो आपको जनता ही बता पाएगी। 

आपको आगामी चुनावों में भाजपा के कितनी सीट जीतने की उम्मीद दिखाई दे रही है 

भाजपा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी और 60 से अधिक सीटों के साथ फिर से उत्तराखंड राज्य की सत्ता में अपनी वापसी करेगी। 

डीडीहाट में आपकी विधान सभा में अब कितने काम बाकी हैं ? 

देखिये मेरी विधान सभा में समस्याएँ अनंत हैं। मैं अपने पूरे क्षेत्र में भ्रमण करता रहता हूँ। एक समस्या पूरी होने के बाद दूसरी आ जाती है। सड़क बनी , सड़क बनने के बाद डामर चाहिए । डामर के बाद गड्ढे ठीक करने पड़ते हैं। आपदा आई तो मलबा हटाना पड़ता है । ऐसी समस्याएँ तो आती ही रहती हैं। मैं उसका समाधान करने की हर संभव कोशिश करता रहता हूँ लेकिन हमने अपनी विधानसभा में जनता की मूलभूत समस्याओं का समाधान किया है। मेरा मुख्य प्रयास लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना रहा है। मैंने स्वरोजगार से ही राजनीति  के मैदान में अपना कदम रखा । जिन दिनों मैंने राजनीति शुरू की उन दिनों सरकारी नौकरी एमए बी एड वालों को आसानी से मिल जाती थी। मुझे भी मिल जाती लेकिन मैंने किलमोड़ा की जड़ों  , दालचीनी बेच कर रोजगार प्राप्त किया। आज मैं उसी को आगे बढ़ाकर काम कर रहा हूँ । मेरा एक मित्र है जिसका बंजर खेत भी है। बंजर खेत में दालचीनी  उगाकर उसने उसने 4 से 5 लाख का एक साल का मुनाफा कमाया। काम करने वालों के लिए तो काम ही काम पड़ा हुआ है । आज बैंक कर्ज बिना ब्याज का दे रहे है। बकरी पालन , मछ्ली पालन , मुर्गा पालन जैसे कई स्वरोजगार के काम पहाड़ में स्वरोजगार के नाम पर किए जा सकते हैं । बस मन में एक इच्छा शक्ति होनी चाहिए। मैं तो अपनी विधान सभा के गांवों के लोगों से कहता रहता हूँ जड़ी- बूटी  ,हल्दी लगाओ इसे मैं ख़रीदूँगा। अपने घर के आगे मैंने मसाला उद्योग लगाया हुआ है। लोग कृषक मैत्री वाले मसालों को आज खूब पसंद कर रहे हैं और उनको मांगते भी हैं। कहते हैं उसमें किसी भी तरह की मिलावट नहीं है। मैं खुद अब  इस दिशा में लोगों को प्रेरित नहीं करूंगा। 

आपके विधान सभा क्षेत्र की जनता आपको सीएम के रूप में देखना  चाहती है । इस बार भी आप चूक गए ये मुराद कब तक पूरी होगी ? आपकी एक खूबी ये भी रही है आप बिना लाग  –लपेट के बात नहीं करते हैं। सीधा और सपाट बोलते हैं। लोगों की ये मुराद कब तक पूरी हो पाएगी ?
 
ये निर्णय करना मेरा काम नहीं है। पार्टी निर्णय करती है ये तो पार्टी का काम है मेरा काम नहीं है। पार्टी ने मुझे चार साल मंत्री नहीं बनाया तो क्या मैं चार साल तक काम नहीं कर रहा था ? चार साल बाद मंत्री बनाया तो बन गया। सीएम तो एक ही बनेगा जिसको पार्टी तय करेगी वही मुखिया बनता है और उसी के नेतृत्व में हमको  काम करना होता है।वही अभी हम सब कर रहे हैं। 
 

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