Wednesday 27 April 2022

मध्य प्रदेश में नई ऊँचाइयों पर शिवराज का नायकत्व






हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ें रास्ता बन जाएगा

सही मायनों में अगर किसी ने मध्य प्रदेश में सुशासन  की बयार बहाई है तो बेशक वो शिवराज सिंह चौहान ही हैं ।  सूबे में सबसे ज्यादा समय तक गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का तो कीर्तिमान उन्होंने बना ही लिया है और अब मुख्यमंत्री के रूप में 15 बरस पूरे कर लेने के बाद प्रदेश में शिवराज का नायकत्व उन्हें सफल मुख्यमंत्री की कतार में लाकर खड़ा कर रहा है । विषम परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने जिस अंदाज में मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकालने में सफलता पाई है वह उनके दूरदर्शी नेतृत्व की मिसाल है। पिछले कुछ समय से  शिवराज ने भाजपा की अंदरुनी उठापठक को शांत करने के साथ-साथ विकास की नई लकीर भी खींची जिसकी परिणति चुनाव दर चुनाव  भाजपा की सत्ता में वापसी के रूप में हुई । ऐसे समय में शिवराज सिंह चौहान  ने सत्ता और संगठन के साथ बेहतर तालमेल कायम कर मध्य प्रदेश में चुनाव जीतकर भाजपा की उम्मीदों को नए पंख लगा दिए हैं । प्रदेश में पिछले कुछ समय से  भाजपा का मतलब शिवराज सिंह चौहान अगर रहा है तो इसका बड़ा कारण उनका  बेहतर संगठनकर्ता होने के साथ ही जनता के सरोकारों की राजनीति करने वाला नेता होना रहा। शिवराज सिंह चौहान  की राजनीती लोगों को आपस में जोड़ने की रही है और उनकी जीत का मूल मंत्र विकास और निर्विवाद रूप से साफ़ छवि रही  है और उनके शासन में हुए विकास कार्यों का प्रभाव  मध्य प्रदेश में धरातल में दिखलाई भी देता है।  शिवराज सिंह चौहान  ने  मध्य प्रदेश के लोगों  के बीच अगर बेहतर मुख्यमंत्री की छवि बनाई है तो इसका कारण राजनीती के प्रति उनका समर्पण और जनता के सरोकारों से खुद को जोड़ने वाला नेता रहा है ।  

शिवराज चौहान का जन्म पांच मार्च, 1951  को एक किसान परिवार में हुआ।  शिवराज ने भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। कॉलेज जीवन से ही चौहान की दिलचस्पी राजनीति में थी। वे 1975  में मॉडल सेकेंडरी स्कूल छात्रसंघ  के नेता रहे। 1975  में आपातकाल लगा जिसके विरोध में शिवराज आगे आये और 1976-77 में भोपाल जेल में बंद भी रहे। इसके बाद 1977  में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  से जुड़े। इसके बाद भाजपा के साथ इनका सफर चल पड़ा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के विभिन्न पदों पर काम किया। चौहान पहली बार 1990  में बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। 1991  से लगातार  पांच बार विदिशा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। सांसद रहते उन्होंने कई महत्वपूर्ण समितियों में काम भी किया। विरोधियों को चुप्पी के साथ दरकिनार करने और अनर्गल बयानबाजी से बचने वाले चौहान को 2005  में मध्यप्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। उस समय संगठन में भारी उथल-पुथल के साथ गुटबाजी चल रही थी। उमा भारती के जाने के बाद प्रदेश में भाजपा काफी कमजोर हो गई थी। ऐसे समय में इन्हें मुख्यमंत्री बनाया  गया।  उनके सामने सूबे के  विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणाम हासिल करने की  बड़ी चुनौती थी जिस पर शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह खरे उतरे और भाजपा को जीत दिलाई और  तब से मध्य प्रदेश में लगातार  बेहतरीन काम भी कर रहे हैं शायद यही वजह है मध्य प्रदेश भाजपा के पास शिवराज सिंह चौहान  से बेहतर कोई विकल्प अब भी नहीं है जो 2023 में भाजपा की चुनावी  वैतरणी को पार लगा सके ।  

 शिवराज ने प्रदेश में 15  बरस मुख्यमंत्री के रूप में पूरे कर लिए हैं । मध्यप्रदेश की जनता के लिए अभिशाप ही रहा कि यहाँ पर जो भी शासन में रहा मूल समस्याओं पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और वे आपसी खींचतान में लगे रहे लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने न केवल मामा बन महिलाओं और बेटियों के दिलों में राज किया बल्कि जन -जन तक अपनी पैठ विकास कार्यों से बनाई । आज  मध्य प्रदेश में  सशक्त , यशस्वी और जननेता  मुख्यमंत्री की छवि बनाकर  शिवराज सिंह चौहान  ने  मध्य प्रदेश की राजनीति में  अपने  कद को  नई बुलंदियों  पर  पहुंचाने का काम किया है। अपने विकास कार्यों से  शिवराज सिंह ने मामा  के रूप में  हर दिन जनता का भरपूर प्यार और दुलार भी पाया है। शिवराज सिंह चौहान ने  मध्यप्रदेश को स्थायी सरकार न केवल दी बल्कि अपनी दूरगामी योजनाओं  के आसरे लोगों के दिलों  में नई आस कायम की। शिवराजसिंह चौहान खुद किसान परिवार से रहे हैं , लिहाजा  किसानों और आम आदमी के  सरोकारों  के प्रति वह काफी संवेदनशील रहे हैं। अपने अब तक के कार्यकाल में उन्होंने आम आदमी से जुडी कई योजनाओं को न केवल धरातल पर उतारने में सफलता पाई  बल्कि अन्य राज्यों को कन्याधन और लाडली लक्ष्मी सरीखी योजना लागू करवाने के लिए मजबूर किया। यही नहीं प्रदेश में कई औद्योगिक ईकाईयों की स्थापना कर यह साबित भी कर दिखाया अगर आप एक निश्चित विजन के साथ आगे बढ़े तो राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।  मुख्यमंत्री  द्वारा प्रदेश में शुरू की गई  मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन, लाड़ली लक्ष्मी , मुख्यमंत्री कन्यादान, लक्ष्मी उत्सव सरीखी  अनगिनत  योजनाओं  ने शिवराज सिंह के बारे में यह धारणा पुख्ता कर दी कि वह आम आदमी के मुख्यमंत्री है। यही नहीं विभिन्न प्रदेशो की सरकारें जहाँ महिलाओं को आरक्षण देने की हवाई बयानबाजी करने से बाज नहीं आई वहीँ  शिवराजसिंह चौहान ने प्रदेश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण  देकर अपनी कथनी और करनी को साकार किया । मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने समावेशी विकास का खाका खींचकर यह भी साबित किया कि उनकी नीतियों के केंद्र में आम आदमी है शायद यही वजह है शिवराज को आम इंसान ने खूब  दुलार दिया। आत्मनिर्भर   मध्य प्रदेश  बनाने की दिशा में सरकार ने कई कदम  इस तरफ बढ़ाये हुए हैं ।  अपने आत्मनिर्भर मधय प्रदेश के संकल्प में शिवराज सिंह चौहाँ ने बुनियादी संरचना, शिक्षा ,स्वास्थ्य  , अर्थव्यवस्था ,  सुशासन  और रोजगार  को प्राथमिकता  दी है तभी मधय प्रदेश सुशासन में मॉडल बनकर उभरा है । जनभागीदारी को मुख्यमंत्री ने अपनी पहली प्राथमिकता बताया है जिसके सार्थक परिणाम  अब सबके सामने आये हैं । आज मध्य प्रदेश देश की अर्थव्यवस्था में 4. 6 फीसदी का योगदान दे रहा है जिसमें  मुख्यमंत्री शिवराज के संकल्पों और अथक परिश्रम के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता । स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने नई अलख जगाई है । वह हर दिन न केवल  पेड़ -पौधे  लगा रहे हैं और जन -जन को भी प्रेरित कर रहे हैं ।

 शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के  ऐसे लोकप्रिय   मुख्यमंत्री हैं  जिन्होनें  जनता के बीच लोगों की समस्याओं को न केवल  सुना है  बल्कि किसानों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कोई कसर नहीं  छोड़ी है।  बीते 2  बरसों  में कोरोना की विषम परिस्थितियों  और चुनौतियों  में भी शिवराज सिंह ने धैर्य नहीं छोड़ा और लोगों के बीच जाकर हर  दुःख में सहभागी बने । पिछले कुछ  समय से  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पूरी सरकारी मशीनरी के साथ खेती की तमाम समस्याओं का निदान खोजने में लगे हैं ,वह अभूतपूर्व है। किसानों के दर्द के प्रति संवेदना जगाने का ये प्रयास मुख्यमंत्री अपने अंदाज में कर रहे हैं। खेती को लाभ का सौदा बनाने में की दिशा में वो शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के दर्द में इस प्रकार के फैसले लेना और किसानों के हिट में तमाम समस्याओं के समाधान में खुद की रूचि लेना  एक बड़ी मिसाल है। मध्यप्रदेश ने 7 बार राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कर्मण अवार्ड लेकर कृषि के क्षेत्र में अपनी शानदार उपलब्धियां हासिल कर पूरे देश में अपना मान बढ़ाया है । यह मुख्यमंत्री शिवराज की किसानों की समस्याओं के प्रति गहरी समझ और किसानों के प्रति संवेदनशीलता का ही परिचायक है कि वे दिन –रात किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की दिशा में रहकर सारे प्रयास कर रहे हैं। कोरोना काल की विषम चुनौतियों के बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह  चौहान ने किसानों के चेहरों पर  सही मायनों में  मुस्कुराहट लाने का काम किया है। किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  की कृषि को लेकर दिखाई गई विशेष दिलचस्पी के चलते आज प्रदेश का किसान जहां खुशहाल नजर आता है वहीं उसे फसलों का सही मूल्य भी मिल रहा है।

 बीते साल कोविड कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। किसानों की फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदना बहुत बड़ी चुनौती थी। कोरोना संक्रमण उस समय चरम पर था। दिन पर दिन कोरोना के  केस बढ़ते जा रहे थे, ऐसे में कोरोना से बीच बचाव करते हुए फसलें खरीद लेने और उन्हें मंडी तक लाने की विकराल चुनौती सरकार के सामने खड़ी थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ खड़ा होकर उन्हें सरकार का समर्थन दिलवाया।एक ओर किसानों के  ट्रैक्टर , फसल कटाई, , हार्वेस्टर, कृषि उपकरणों के सुधार  आदि की  पहल सरकार द्वारा  की गई वहीं हर दिन किसानों को एस.एम.एस भिजवाकर खरीदी केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाईजेशन आदि करवाकर समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य शुरू किया गया। इतनी विषम परिस्थिति में भी मध्यप्रदेश ने गेहूं का ऑलटाइम रिकार्ड उपार्जन किया। मध्यप्रदेश ने पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य को भी गेहूं खरीदी में पीछे छोड़ दिया।किसान हितैषी मुख्यमंत्री के प्रयासों से प्रदेश के किसान का डंका आज पूरे देश में बज रहा है । 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर प्रदेश का किसान आज उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश, हरित क्रांति के अगुवा राज्य पंजाब को पीछे छोड़ चुका है । आज मध्य प्रदेश का गेहूं विदेशों को निर्यात किया जा रहा है वहीँ सिंचाई का रकबा 43 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है वहीँ बिजली का उत्पादन 5 हजार मेगावाट से बढ़कर 21 हजार मेगावाट तक पहुँच गया है ।

 पिछले साल सत्ता में आते ही उन्होंने जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले  प्रदेश  के हित में लिए हैं उसने यह साबित किया कि वे मुश्किल समय में अपना धैर्य नहीं खोते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  की यही पहचान अन्य नेताओं से उनको अलग करती है।  यूँ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान हितैषी सी एम के तौर पर पूरे देश में नहीं जाने जाते हैं। राज्य को कृषि क्षेत्र में  नित ऊंचाईयों पर ले जाने का श्रेय निश्चित ही उन्हें जाता है। पिछले दिनों देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश के आगे बढ़ने की बात को स्वीकारते हुए जिस तरीके से उनके तारीफों के पुल बांधें हैं उसने शिवराज को सफल मुख्यमंत्री की श्रेणी में लाकर खड़ा किया है।  शिवराज सिंह चौहान  के दूरदर्शी नेतृत्व में  प्रदेश न केवल बीमारू राज्यों की श्रेणी  से बाहर  निकला है बल्कि घर- घर बिजली और पानी पहुंचाने का काम भी हुआ है । आदिवासियों  के हितों के संरक्षण हेतु  जो कदम शिवराज सरकार के इस कार्यकाल में उठाये गए हैं वह अप्रत्याशित हैं । देश में एकमात्र शिवराज सरकार है जो आदिवासियों को जंगल का मालिक बना रही है । पिछले दिनों जंगलों से होने वाली कमाई का 20  फीसदी हिस्सा वन समितियों के हाथ सौंपकर सरकार ने आदिवासियों का दिल जीतने का काम किया है । बीते दस बरसों में सकल घरेलू उत्पाद पर प्रदेश ने 200  फीसदी की वृद्धि दर्ज की है । यही नहीं शिवराज सरकार  ने अपनी योजनाओं के माध्यम  से युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की बेहतर पहल की है जिसके तहत सरकार उद्यमी युवाओं को ऋण की सुविधा प्रदान कर रही है।   युवाओं के स्वरोजगार हेतु  सरकार  ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना शुरू की है जिसके तहत प्रदेश के 1815 युवाओं को 112 करोड़ के ऋण स्वीकृत किये गए हैं ।  पानी के संचय के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर 5534  अमृत सरोवरों के निर्माण का कार्य सरकार  द्वारा युद्ध स्तर  पर किया जा रहा है । प्रदेश 2021 -22 में 19. 7 फीसदी की विकास दर हासिल करने में सफल रहा है ।  

राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर अब 1 लाख 24  हजार रुपये प्रतिवर्ष हो गयी है । 2020 -21 में पूंजीगत व्यय बढ़कर 31 हजार 586 करोड़ रुपये और वर्ष 2021 -22 में पूंजीगत व्यय 40 हजार 415 करोड़ रुपये तक पहुँच गया जो राज्य के इतिहास में अब तक सर्वाधिक है । 2007 से 2020 तक बीते 14 बरसों में मध्य प्रदेश का कुल निर्यात 2. 9 बिलियन डालर से बढ़कर 6. 4 बिलियन डालर हो गया है । यही नहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में स्वसहायता समूहों का योगदान भी बढ़कर 20 हजार करोड़ तक जा पहुंचा है । इतना ही नहीं प्रदेश में अब तक 1900 स्टार्ट अप स्थापित किये जा चुके हैं जो नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने का काम कर रहे हैं । मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था को सर्कार ने चुस्त दुरुस्त किया है । भूमाफियाओं , चिटफंड माफियाओं , रेत  माफियाओं , मिलावट माफियाओं , राशन माफियाओं और शराब माफियाओं पर शिंकजा कसा गया है और इन सबके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की गयी है। इस बार मामा के राज में बुलडोज़र ने सभी माफियाओं के होश फाख्ता किये हुए हैं । मध्य प्रदेश में बुलडोजर तो पहले भी चल रहे थे  लेकिन  चर्चा इस बार की पारी में हो रही है।  खुद मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह कहते हैं उन्होनें ये संकल्प लिया था कि मध्यप्रदेश की धरती पर या तो डाकू रहेंगे या शिवराज सिंह चौहान। सारे डकैत समाप्त कर दिए गए, मार दिए गए या मध्य प्रदेश के बाहर चले गए।  ऐसे लोगों को कानून तो सजा देगा ही लेकिन बुलडोजर भी चलेंगे। मध्य प्रदेश में भू माफिया, गुंडों और अवैध कब्जाधारियों के विरुद्ध एक्शन के चलते 1  जनवरी से 31  मार्च तक 1   हजार 791 मामले  दर्ज किये गए हैं और अब तक 3  हजार 814  अवैध  अतिक्रमण तोड़कर 2  हजार 244  एकड़ जमीन मुक्त कराई है जिसकी लागत 671  करोड़ रुपये है । सीहोर में सबसे अधिक 309 और ग्वालियर में 281 एकड़ जमीन मुक्त कराई है ।  प्रदेश में खनन माफिया के खिलाफ भी  कार्रवाई की जा रही है । प्रदेश सरकार ने अवैध राइट परिवहन और उत्खनन के 3 हजार 531  मामलों  में कार्यवाही  करते हुए 857 आरोपियों को गिरफ्तार किया है । प्रदेश में 1 लाख 25 हजार गहन मीटर रेट और 3490  चार पहिया वाहन जब्त किये गए हैं । इसी तरह से अवैध शराब के  खिलाफ जनवरी 2022  से मार्च 2022  तक 63665 मामले दर्ज  किये गए हैं । इस दौरान 5 ,64469 लीटर अवैध शराब भी जब्त हुई है। 5 आरोपियों के खिलाफ रासुका और 134  के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई  की गयी है । अपहरण और डकैती के मामलों में भी सरकार द्वारा  कोई न कोई  कठोर एक्शन लिया जा रहा है।  इसी दौरान  मिलावटखोरों पर शिंकजा कसते  हुए नकली खाद्य पदार्थ बेचते हुए कई लोगों पर  कार्यवाही भी हुई है।  इसी बरस  जनवरी से मार्च 2022 के बीच 81 केस मिलावटखोरों पर  दर्ज किये गए हैं । मिलावट के जहर से मुक्ति के लिए नकली मावा , दूध और मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालों पर हर दिन ताबड़तोड़  कार्रवाई  की जा रही है ।

मध्य प्रदेश की पुलिस ने तमाम नक्सल विरोधी अभियानों में भी अनेक सफलताएं हासिल की हैं । केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही तमाम योजनाओं में भी मध्य प्रदेश की सफलता का सक्सेज रेट बेहतरीन है । आवास योजना से लेकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और स्वामित्त्व योजना में मध्य प्रदेश अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है । ख़ास बात यह रही  कार्यकाल में चुनाव दर चुनाव में विजय पताका फहराने वाले शिवराजसिंह चौहान ने सत्ता में कभी अपनी ठसक हावी नहीं होने दी। हंसी ठिठोली के साथ वह सत्ता और संगठन में अपनी कदमताल करते रहे और  विनम्र बनकर जनता जनार्दन को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताते रहे । सत्ता को सेवा का माध्यम और खुद को पार्टी का अदना सा सेवक मानने वाले शिवराज सिंह चौहान  ने  मध्य प्रदेश को भगवा रंग में रंग डाला है। अब उनकी नजरें जन- जन तक अपनी विकास यात्रा को पहुंचाने की तरफ लगी हुई हैं क्युकि लोकतंत्र में जनता से बढ़कर कुछ नहीं है ।  खुद शिव का दर्शन भी यह कहता है लोकतंत्र में हार-जीत होती रहती है। महत्वपूर्ण यह है कि हार से सबक लेकर हमें यह देखना चाहिए कि जनता में यदि कोई विपरीत भाव पैदा हुआ है तो उसे कैसे दूर किया जाए?    

 आने वाले समय में अगर एंटी इनकम्बेंसी के बीच उन्हें भाजपा का विजयरथ जारी रखना है तो अपने इस मध्य प्रदेश के  विकास मॉडल को गाँव के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना पड़ेगा । देश का मिजाज बदल रहा है और राज्यों के चुनाव और केंद्र के चुनाव में अब विकास सबसे बड़ी प्राथमिकता है। लिहाजा शिवराज सिंह चौहान  को भी समझना होगा वह विकास का मूल मंत्र आम लोगों तक कैसे पहुंचाएं इसकी चिंता जरूर सीएम को होनी चाहिए। भाजपा का विशाल  संगठन इसमें प्रभावी भूमिका निभा सकता है  जिससे  आने वाले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा अपना विजयरथ जारी रख सकेगी। समाज के अंतिम  छोर पर खड़े  व्यक्ति के जीवन  में विकास को प्राथमिकता में रख कर यदि उन्होंने अंतिम व्यक्ति के लिए फैसला किया तो मध्य प्रदेश में भाजपा के सामने भविष्य में कोई मुश्किल नहीं होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आलाकमान की नज़रों में भी भाजपा शासित राज्यों के सफल मुख्यमंत्री बन गए हैं और  उनके कार्यकाल में मध्य प्रदेश में शिवराज  का परचम हर दिन  नई बुलंदियों को छू रहा है।  शिवराज सिंह चौहान  निष्कंटक होकर फिलहाल अपनी सारी उर्जा मध्य प्रदेश के विकास को नई गति देने में लगाना चाहते है इससे अच्छी बात प्रदेश के लिए कुछ नहीं हो सकती ।

No comments: