उनकी आत्मा नर्मदा में बसती है । वृक्षारोपण के अपने कार्यों के साथ ही वह पूरे प्रदेश को हरियाली से आच्छादित कर देना चाहते हैं। जनसरोकारों के विचार पथ पर चलते हुए वह प्रकृति को भी अपना अनुपम उपहार मानते हैं। अपने पर्यावरण संरक्षण के नए मिशन पर चलते हुए वो पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिए प्रतिदिन नई ऊर्जा से सरोबार रहते हुए जन -जन को इस अभियान से जोड़ने का काम कुशलता के साथ करते नजर आते हैं । पेड़ों की जिस अंदाज में आज कटाई हो रही है और वनों की संख्या में गिरावट आ रही है उसने मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है क्योंकि अगर पर्यावरण रहेगा तभी मनुष्य का अस्तित्व बचा रहेगा इसे आज भी लोग नहीं समझ पा रहे हैं । जिस तेजी से आज के दौर में पेड़ काटे जा रहे हैं उसी अनुपात में लगाए नहीं जा रहे जो बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों पर आज के दौर में किसी भी सरकार की नजर नहीं गई शायद आज हम उन परम्पराओं को भी भूल चुके हैं जिसमें नदी को प्रणाम करना सिखाया जाता है। सही मायनों में पर्यावरण को बचाने के उपाय तो इन्हीं रीति रिवाजों में छिपे हुए हैं जिसके सन्देश को भी हम अब तक समझ पाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं ।
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के जनहितैषी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की, जिनकी जनसरोकारों की साधारणता में असाधारणता छिपी हुई है। सुरक्षित और स्वच्छ पर्यावरण को अपनी प्राथमिकता बताते हुए जनता के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना हर दिन पर्यावरण को समर्पित कर पूरे देश में नई मिसाल कायम की है । उनका पेड़ -पौंधे लगाने का प्रेम दिन -ब - दिन बढ़ता ही जा रहा है। असल में विकास का सपना दिखाकर जिस तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन देश में किया जा रहा है वो किसी भी सरकार के ऐजेंडे में नहीं है लेकिन प्रदेश के जनप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपनी अभिनव पहल के माध्यम से पूरे देश में मध्य प्रदेश का नाम गर्व से ऊँचा किया है । बीते बरस में अमरकंटक में साल भर कम से कम एक पौधा प्रतिदिन रोकने के संकल्प के साथ ही शिवराज सिंह चौहान के नाम के साथ पर्यावरण प्रेमी मुख्यमंत्री का तमगा भी जुड़ गया । 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर अमरकंटक में एक साल तक प्रतिदिन वृक्षारोपण करने का संकल्प अभियान चलाया था जो आज भी अनरवत रूप से जारी है। नर्मदा जयंती के अवसर पर अमरकंटक के शंभुधारा क्षेत्र में रूदाक्ष और साल का पौधा लगाकर प्रतिदिन एक पौधा लगाने की शुरूआत मुख्यमंत्री के कर कमलों से शुरू हुई थी। उन्होंने वृक्षरोपण को उस समय पवित्र कार्य बताया था और सभी नागरिकों को पर्यावरण-संरक्षण के साथ उनकी सुरक्षा करने का आह्वान भी किया था । जनभागीदारी के माध्यम से उन्होनें आम आदमी से भी पेड़ों की सुरक्षा करने की अपील की थी।
पर्यावरण-संरक्षण के लिए समर्पित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सवा साल की लम्बी अवधि के दौरान कोई भी दिन अब तक ऐसा नहीं रहा है जब वे पेड़ लगाना भूल गए हों । अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालते हुए मुख्यमंत्री अपने इस अनूठे अभियान में तमाम पर्यावरण प्रेमी, सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवियों को भी मुहिम में साधते हैं इसी बड़ी बात क्या हो सकती है। मुख्यमंत्री चौहान की पर्यावरण को लेकर की गयी इस अभिनव पहल से प्रदेश की जनता में भी पर्यावरण को लेकर एक नई जागरूकता पैदा हुई है । खुद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का मानना है हर नागरिक प्रतिदिन नहीं तो माह में एक और अपने मांगलिक कार्यक्रमों के अवसर पर एक पौधा अवश्य लगाये जिसके माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को एक बड़ी सौगात दे सकते हैं। उनका ये भी कहना रहा है कि पिछले वर्ष कोरोना काल में हमने जो परेशानियाँ झेली हैं, उसमें ऑक्सीजन की कमी भी एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। पेड़-पौधे हमें न सिर्फ नि:शुल्क प्राकृतिक ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से भी बचाते हैं।
उल्लेखनीय है कि पर्यावरण के प्रति मुख्यमंत्री चौहान शुरू से ही संवेदनशील रहे हैं। मध्यप्रदेश की जीवनवाहिनी नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए नमामि देवी नर्मदे यात्रा कर उन्होंने न केवल नर्मदा जल को स्वच्छ बनाए रखने में अपना बड़ा योगदान दिया है बल्कि नर्मदा मैया के दोनों तटों पर वृक्षारोपण कर प्रकृति के लिए व्यापक जन-भागीदारी भी जुटाई। उनकी नर्मदा यात्रा से विकास के साथ जलवायु परिवर्तन में समाज को सरकार के साथ खड़ा करने में सफलता मिली है। साथ ही कई जिलों में जन-भागीदारी से पौध-रोपण कर हरियाली को बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री की पहल पर पर्यावरण के क्षेत्र में जन-भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेशव्यापी "अंकुर अभियान" का शुभारम्भ भी किया गया है जिसके माध्यम से 4 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन पंजीयन कराकर 67 हजार पौधे रोपे हैं। कार्यक्रम में 10 लाख 19 हजार पौध-रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह अभियान जन-भागीदारी के साथ आज भी सतत रूप के साथ जारी है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी हरियाली को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने पौध-रोपण की योजना बनाई है जिसकी मिसाल अब तक देखने को नहीं मिली है । नगरीय निकाय द्वारा नये घरों के निर्माण की अनुमति देते समय आवास परिसर में वृक्षारोपण की शर्त रखी गई है। इसी प्रकार ग्रामीणों को भी हर दिन वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते प्रदेश आज एक एक खास मुकाम पर पहुँच गया है। 2017 में एक दिन में करोड़ों पौधे रोकने का विश्व रिकॉर्ड भी शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज है। शिवराज सिंह चौहान के प्रतिदिन अपने वृक्षारोपण कार्यक्रम में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऐसे वृक्ष लगाए जाए जिन्हें अधिक पानी व देखरेख की आवश्यकता हो। मध्य प्रदेश की सरकार हर दिन आम लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित कर रही है। पंचायत और स्कूल भवनों में वृक्षारोपण सहित अपने पूर्वजों की स्मृति में वृक्ष लगाने का अभियान भी शिवराज सिंह चौहान की देन ही है। इस वृक्षारोपण अभियान से प्रदेश के हर नागरिक में भी प्रकृति को लेकर प्रेम करने का भाव मन में जगा है। मध्य प्रदेश के मुखिया की प्रदेश की जनता से वृक्षारोपण के लिए की गयी ये अपील आमजन को इस अभियान से जुड़ने के लिए हर दिन प्रेरित कर रही है जिसके प्रदेश में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं । चिलचिलाती धूप और हीट वेव की तमाम आशंकाओं के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माथे पर किसी तरह की कोई शिकन नहीं दिखती। वह एक तरफ जहाँ लोगों से दो पेड़ लगाने की बात कहते हैं वहीँ खुद भी पेड़ लगाने से पीछे नहीं रहते हैं। मुख्यमंत्री के पर्यावरण के प्रति जज्बे को इस बात से समझ सकते हैं बीते सवा साल में 445 पेड़ वह खुद लगा चुके हैं। उनकी ऐसी जिजीविषा को देखकर हर किसी को उन पर रश्क ही हो जाये। मुख्यमंत्री शिवराज आज प्रदेश के अन्य नेताओं के बीच भी एक रोल मॉडल के रूप में लोकप्रिय हुए हैं जिनकी पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन की चेतना आम जान में नई स्फूर्ति का संचार कर रही है।
आंचलिकता और क्षेत्रीयता की महक मध्य प्रदेश की माटी में महसूस की जा सकती है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं मध्यप्रदेश को शिवराज सिंह चौहान ने एकता के सूत्र में पिरोने का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है । उन्होंने यहां के नागरिकों में एक ऐसा भाव पैदा किया जिसके चलते न उनमें अपनी माटी के प्रति प्रेम पैदा हुआ बल्कि उनमें इस जमीन पर वृक्षारोपण करने की अनूठी ललक भी जगी है। इस मामले में शिवराज एक आशावादी विकासवादी और पर्यावरणप्रेमी राजनेता के रूप में सामने आते हैं। पर्यावरण को लेकर मुख्यमंत्री चौहान के संकल्पों से प्रदेश में एक नई चेतना और स्फूर्ति का संचार हुआ है । आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अपने नव संकल्पों के साथ अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश को हरियाली से भर देना चाहते हैं। शिवराज की नर्मदा नदी की सेवा यात्रा की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। इस यात्रा के माध्यम से जहाँ नदियों के संरक्षण की दिशा में कदम बढे हैं वहीँ आम आदमी की भागीदारी से यह जनांदोलन का रूप ले सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज जनता के बीच रहने वाले और जनता की भावनाओं से खुद को सीधे कनेक्ट करने वाले जननेता हैं। सूबे का मुखिया अगर संवेदनशील है और जनता के बीच कार्य करने की ललक उसमें हर पल है तो वह जनता के हर दर्द में सहभागी हो सकता है। वह इस बात को बखूबी समझते हैं कोई भी बड़ा अभियान जनता के सहयोग से सफल नहीं हो सकता। उनका यह भी कहना रहा है कि पिछले वर्ष कोरोना काल में हमने जो परेशानियाँ झेली हैं, उसमें ऑक्सीजन की कमी भी एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। पेड़-पौधे हमें न सिर्फ नि:शुल्क प्राकृतिक ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से भी बचाते हैं।
भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों की पूजा की परंपरा सदियों पुरानी रही है। हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी वृक्षों की महिमा का वर्णन मिलता है। वृक्षों की पूजा और प्रार्थना के नियम बनाए गए है। औषधय: शांति वनस्पतय: शांति: जैसे वैदिक मंत्रों से वृक्षों और वनस्पतियों की पूजा की जाती है। प्राचीन आयुर्वेद विज्ञान प्रकृति की इसी देन पर आधारित है। हमारे ऋषियों द्वारा वन में रहते हुए धर्मग्रंथों की रचना करने का यही कारण है कि वहां का शांत और सुरम्य वातावरण उनके अनुकूल था, जो उनके मन को एकाग्र रखने में सहायक होता था। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है और यूँ ही इस संस्कृति में पेड़ पौधों को विशेष महत्व देते हुए देवों का दर्जा दिया गया है। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है और इस संस्कृति में पेड़ पौधों को विशेष महत्व देते हुए उसे देवों का दर्जा दिया गया है। इसीलिये पेड़ पौधों की पूजा भी भारतीयों द्वारा की जाती है। पौधों को जीवन रक्षक समझा जाता है क्योंकि ये ऑक्सीजन प्रदान करते हैं व कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को सोखते हैं ।
नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन के अवसर पर सीहोर में बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा नर्मदा के डूब क्षेत्र में जहाँ यूकिलिप्टस के पेड़ लगे होंगे उन्हें हटाना होगा क्योंकि ये पानी को लगातार अवशोषित कर उसे बंजर बना देते हैं । मुख्यमंत्री चौहान ने कहा साल के पेड़ अधिक से अधिक इस क्षेत्र में लगाए जायेंगे क्योंकि ये अपनी जड़ों से पानी छोड़ते हैं जो छोटी धाराओं के रूप में नर्मदा में मिलता है जो इसकी धार को अविरल बनाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मानते हैं कोई भी सरकार अकेले पर्यावरण और नदियों का संरक्षण नहीं कर सकती। इसके लिए समाज को आगे आना होगा। नर्मदा के संरक्षण के लिए उन्होनें मैकाल पर्वत पर नए निर्माण पर रोक लगाने की बात कहते हुए एक नई लकीर खींचने की कोशिश की है जिसके आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। आज़ादी के अमृत महोत्सव के खास मौके पर शिवराज सरकार ने नर्मदा के किनारे अधिकाधिक जल सरोवर बनाने का फैसला किया है जिससे नदी के भू जल स्तर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक खूबी ये भी है वे न सिर्फ वृक्षारोपण कर रहे हैं, बल्कि पेड़ -पौंधों की देख-रेख भी करते हैं। सूबे के मुखिया का इस प्रकार प्रतिदिन पौधा रोपने का संकल्प प्रदेशवासियों के लिए पर्यावरण-सरंक्षण की दिशा में नवाचार का एक संदेश है । ऐसे दृश्य भारतीय राजनीति में कम से कम दुर्लभ हैं।
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