‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा’
कविता की ये पंक्तियां किसी शहीद के स्मारक को देख कर जेहन में आ जाती हैं। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले ऐसे ही शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से भोपाल के अरेरा हिल्स पर चिनार पार्क के नजदीक 13 एकड़ में फैले शौर्य स्मारक का निर्माण किया गया है । राजधानी भोपाल में मौजूद ऐसा ही शौर्य स्मारक वतन पर मिटने वाले हर जांबाज सैनिकों के जज्बे को सलाम कर रहा है, जहां की एक झलक देखने से वीरगति को पाने वाले देश के सपूतों के नाम पर हर देशवासी सिर का सिर श्रद्धा से झुक जाता है। 41 करोड़ रुपए से बने इस स्मारक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में राष्ट्र को समर्पित किया था।
2008 में आया आईडिया मुख्यमंत्री शिवराज ने किया साकार
10 जुलाई 2008 को राजधानी दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में कर्नल मुशरान की बरसी पर भारतीय सेना के प्रति युवाओं की अरुचि पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था। इस पर तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने कहा आम आदमी और युवाओं का आकर्षण बनाये रखे के लिए अब तक किया ही क्या गया है ? तब समारोह में मौजूद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा दिया उनकी सरकार भोपाल में एक शौर्य स्मारक बनाएगी। 2016 में मुख्यमंत्री के प्रयासों से एक शौर्य स्मारक की परिकल्पना साकार हो पाई।
वास्तुकला की दृष्टि से बेजोड़
ये स्मारक शहीदों की राष्ट्र सेवा से प्रेरित है जिसमें , शहीदों की वीरगाथा को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिशें की गई हैं। यहाँ की मिटटी में शूरवीरों की महक नजर आती है। शौर्य स्मारक वास्तुकला की दृष्टि से बेजोड़ है जहाँ की दीवारों में शहीदों के उजले पदचिह्न नजर आते हैं। शौर्य स्मारक की छटा भी देखते ही बनती है। पार्क में एक लाल रंग की मूर्तिकला भी स्थापित है । यह देश का पहला ऐसा स्मारक है जिसका निर्माण सेना के द्वारा नहीं किया गया है। पार्क में एक भूमिगत संग्रहालय भी बनाया गया है जिसमें सैनिकों की याद में समर्पित दीर्घाएँ हैं जिसमें आज़ादी के बंटवारे , भारत -पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्ध , कारगिल युद्ध के दौरान की वीरता की झलक देखने को मिलती है । शौर्य स्मारक के पार्क में महाराणा प्रताप जैसे वीर नायकों के अलावा भी अन्य शूरवीरों की वीरगाथा को भी प्रदर्शित किया गया है।
भारत माता की मूर्ति कराती राष्ट्रबोध
शौर्य स्मारक पार्क में प्रवेश करते ही भारत माता की मूर्ति सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचती है। शौर्य स्मारक की पहली वर्षगांठ के अवसर पर 14 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां भारत माता की प्रतिमा की स्थापना करने का संकल्प लिया था। 15 अगस्त 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी भोपाल में स्थित शौर्य स्मारक में भारत माता की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। भारत माता की प्रतिमा आशीर्वाद की मुद्रा में है। कमल पुष्प पर विराजमान है एवं भारत का राष्ट्र ध्वज उनके हाथ में है। भारत माता की प्रतिमा कांस्य धातु से बनाई गई है। भारत माता की प्रतिमा की कुल ऊंचाई 37 फीट है। प्रतिमा के पेडस्टल पर अशोक चक्र के साथ राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत भी उकेरा गया है।
तिरंगा झंडा लगाता है भव्यता में चार चाँद
भारत माता की मूर्ति के हाथों में देश की आन , बान और शान रखने वाला तिरंगा झंडा इसकी सुंदरता और भव्यता पर चार चाँद लगाता है। भारत माता की मूर्ति के पीछे एक संग्रहालय भी है , जहाँ भारतीय सेना के बारे में कई जानकारियां मिलती हैं। सैनिकों के कठिन जीवन से आम जनमानस को रूबरू करवाने के लिए यहां पर ठन्डे कमरे भी मौजूद हैं जिसमें प्रवेश करने पर एक अलग अनुभव प्राप्त होता है। सैनिकों की तमाम उपलब्धियां और वीरता की गौरव गाथा को यहाँ देखा जा सकता है।
मन में जगती है देशभक्ति की भावना
शौर्य स्मारक में युद्ध स्थल से जुड़ी हुई तमाम जानकारी आकर्षण का केंद्र हैं। मुंबई के एक वास्तुकार शोना जैन के द्वारा शौर्य स्मारक डिजाइन किया गया है । इस स्मारक की बनावट एक मंदिर की स्थापना शैली से मेल खाती है। इसमें कई कक्ष बनाए गए है, एक गर्भगृह हैं और एक मुख्य कक्ष है। इसी कक्ष में सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है । यहां पर एक हेलीकॉप्टर का मॉडल भी रखा हुआ है। रेगिस्तान की सीमा के निगरानी करते टैंकों की झलक भी इसमें देखी जा सकती है। हमारे वीर सैनिकों के रहन सहन को भी यहाँ देखा जा सकता है।
सैनिकों के नाम के भव्य शिलालेख
62 फुट ऊँचे स्तंभ में सैनिकों के नाम के शिलालेख हैं जहाँ शहीदों के प्रति सम्मान को प्रकट करने के लिए एक दीपक जलाया जाता है। यह स्तंभ देश के उन तमाम वीर सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया था। स्मारक में मृत्यु पर विजय प्राप्ति और आत्मा की मुक्ति के पहलुओं को भी दर्शाया गया है। इस पार्क में स्तंभ के नीचे लाल स्थान है जो कि खून को दर्शाता है और सफेद संगमरमर जीवन का प्रतीक है। स्मारक परिसर के अंदर एक अखाड़ा भी बनाया गया है जो इतिहास का बोध कराता है।
स्मारक में बने संग्रहालय में रामायण, महाभारत और कलिंग युद्ध के अलावा भी कई अन्य युद्ध के चित्र भी हैं। इसमें उन युद्धों को भी दर्शाया गया है जो जंगे-आजादी के बाद लड़े गए थे। स्मारक में उन तमाम वीर सिपाहियों के चित्रों की गैलरी भी है जिन्होंने परमवीर चक्र को प्राप्त किया है। भगवत गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए जीवन, मृत्यु और आत्मा की अनंतता के बारे में भी संदेशों की आहट को भी यहाँ महसूस किया जा सकता है। यहाँ के प्रतीकों में युद्ध क्षेत्र के मैदान भी दिखाई देते हैं । शौर्य स्मारक में प्रकाश और ध्वनि के माध्यम से युद्ध में अपने प्राण गंवाने वाले वीर सैनिकों की गौरव गाथा को बयां किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के इस मौके पर हम देश के सपूतों के संघर्ष और उनके बलिदान को करीब से महसूस कर सकते हैं ।
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