चुनौतियां और संकट सरकार की अग्निपरीक्षा लेते हैं। कई बार सरकारों के हिस्से तमाम दैवी आपदाएं, प्राकृतिक झंझावात और संकट होते हैं जिनसे पार पाना आसान नहीं होता। आज़ादी के अमृत महोत्सव की तैयारियों में जब देश हर घर तिरंगा अभियान में जुटा हुआ था, इसी दौर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के धार ज़िले में कारम नदी पर नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध के ऐसे ही भीषण संकट से दो-चार हो रहे थे। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले इस संकट ने मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के सामने हर मोर्चे पर चुनौतियों का अंबार ला खड़ा किया लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अनुभव, समझ और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अध्ययन और प्रशासन की मदद से इस बड़े संकट से जैसी निजात दिलाई है उसकी मिसाल देखने को कम ही मिलती है ।
Monday 15 August 2022
मध्य प्रदेश के संवेदनशील मुखिया शिवराज !
कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव बनी बड़ी चुनौती
नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव का संकट एक ऐसी चुनौती बनी जिससे उबरना आसान नहीं था। लगातार तेज गिरते पानी और बाँध में लहरों के तेज बहाव ने मुख्यमंत्री के माथे पर शिकन को बढ़ाया और उन्होनें खुद को इस चुनौतियों के बीच झोंककर जैसी दक्षता दिखाई वह आज के राजनेताओं के लिए सीखने की चीज है। मुख्यमंत्री शिवराज की सबसे बड़ी खूबी यह है उनकी कथनी और करनी में अन्तर नजर नहीं आता है। उनकी वाणी और कर्म में जो साम्य है, वह उन्हें देश के राजनेताओं में एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाता है। उनकी खूबी यह भी है कि वे जनता की नब्ज टटोलना जानते हैं। सिर्फ समस्याओं को देखते ही नहीं हैं, वरन खुद को उस अभियान में पूरी तरह से झोंक देते हैं। ऐसे माहौल के बीच जनता, शासन-प्रशासन और सामाजिक संगठन भी उनके साथ कंधे से कंधे मिलाते हुए नजर आते हैं। कोठिदा-भारुडपूरा बाँध की विकराल चुनौतियों का जिन परिस्थितियों में उन्होनें समाना किया वह उनके दूरदर्शी नेतृत्व की मिसाल है।
शिवराज जिलाधिकारी को बोले ये परीक्षा की घड़ी है पंकज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में बल्लभ भवन में स्थित मंत्रालय के नियंत्रण कक्ष में बैठक लेकर धार ज़िले की धर्मपुरी तहसील में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माणाधीन बांध से जनता की सुरक्षा के निर्देश सबसे पहले दिए और धार के जिलाधिकारी को कहा ये परीक्षा की घड़ी है। धार में रिसाव वाले बांध स्थल पर सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें पहुंचीं और रात भर युद्धस्तर पर काम चला जिसकी मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री ने की। चौबीस घंटे कंट्रोल रूम में तैनात रहकर मुख्यमंत्री ने इस कठिन वक्त पर जिस संवेदनशीलता से जिम्मेदारी निभाई है उसे धार के निवासी कभी न भूल पाएंगे। उन्होंने घटनास्थल पर मौजूद टीम के लोगों में सबसे पहले जोश भरा फिर लोगों को आश्वस्त किया नियंत्रित तरीक़े से पानी निकालने की कोशिशें करें।
संवेदनशील मुखिया का ऐसा भरोसा जनता में भी नई आशा को जगाता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सहज स्वभाव ऐसा है कि वो जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहते हैं। इस मुश्किल वक्त में हर जिंदगी को बचाना उनकी पहली प्राथमिकता थी इसलिए परिस्थिति पर काबू पाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार की गई। सबसे पहले कारम बांध में एक किनारे से सुरक्षित तरीके से पानी की निकासी शुरू की ताकि बांध की दीवारों पर पानी का दबाव कम किया जा सके जिससे बांध के निचले हिस्से के गांवों को सुरक्षित तरीके से खाली कराया जा सके।
मुख्यमंत्री इन पूरी गतिविधियों पर पल-पल नजर रखने के लिए स्वयं भोपाल से घटना स्थल का मुआयना कर रहे थे लेकिन अपनी सरकार के मंत्रियों को ग्राउंड जीरों पर उतार दिया था। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और उद्योग संवर्धन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, मंत्री प्रभुराम चौधरी, कमिश्नर, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को मौके पर तैनात रहे।
जनता की सुरक्षा बनी मुख्यमंत्री की पहली प्राथमिकता
धार जिले के धर्मपुरी तहसील के ग्राम कोठीदा और भारुडपुरा के बीच कारम नदी पर लगभग 305 करोड़ रुपये की लागत से बने कारम बांध में गुरुवार को अधिक बरिश के चलते रिसाव शुरू हो गया था। कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के बांध के दाएं हिस्से में मिट्टी फिसलने से बांध को खतरा पैदा हुआ था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय स्थित नियंत्रण कक्ष में विशेष बैठक लेकर धार जिले की धर्मपुरी तहसील में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माणाधीन बांध से जनता की सुरक्षा के निर्देश सबसे पहले दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खतरे में आए गांव के लोगों को जनप्रतिनिधियों के सहयोग से अन्य जगह ले जाएं। तेज रिसाव की खबर मिलते ही इंदौर के आईजी और कमिश्नर तथा धार व खरगोन के एसपी घटनास्थल पर पहुंचे। आगरा-मुंबई नेशनल राजमार्ग को डायवर्ट कर दिया गया। भोपाल और इंदौर के विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुँच गई तो वहीँ और आईआईटी रुड़की की टीमें मुख्यमंत्री के सीधे संपर्क में थी। एनडीआरएफ की सूरत, वडोदरा, दिल्ली और भोपाल से एक-एक टीम भी रवाना हो गई ।
घटनास्थल की पल-पल की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को उपलब्ध करवाई जा रही थी। बांध का पानी खाली कर बांध की दीवार में राहत-बचाव का कार्य तेजी से शुरू करवाया गया। मुख्यमंत्री ने धार के जिलाधिकारी से कहा कि पंकज जीवन में कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं, जब हमें सारी कठिनाइयों से खुद लड़ना होता है। धार के जिलाधिकारी की भी इस पूरे मसले पर संवेदनशीलता देखते ही बनती थी, जिन्होनें प्रशासन को 11 अगस्त को ही बांध के रिसने की जानकारी मिलने के बाद मुस्तैद किया । इसके बाद संबंधित विभागों और मुख्यमंत्री कार्यालय को भरोसे में लेकर निर्माणधीन बांध से पानी रिसने के बाद चलाए जा रहे बचाव कार्यों की जानकारी मंत्रालय में बनाये गए कंट्रोल रूम को उपलब्ध करवाई। शनिवार तड़के चार बजे तक बांध के निचले इलाकों में स्थित 18 गांवों को खाली करा लिया जिसके बाद हालात पूरी तरह से काबू में आ गए। मुख्यमंत्री ने रविवार सुबह 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया जिसके बाद ही वह मंत्रालय की अपनी सीट से उठे।
हर मुश्किल में जनता के साथ खड़े रहते हैं शिवराज
जनता के लिए हर मुश्किल में अपने अनुराग के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जाने ही जाते हैं। जनता को किसी भी तरह का कष्ट न हो इसके लिए उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है। इसके साथ ही उनकी संवेदना इसमें जुड़ जाती है। वे लोगों को कष्ट को बखूब समझते हैं ,साथ ही सामाजिक सहभागिता के अवसर भी उसमें जुटाते हैं। बाँध से हुए नुकसान को छोड़कर वह ग्रामीणों और मवेशियों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी पूरी टीम के साथ सक्रियता से मैदान में डटे रहे और शनिवार की पूरी रात नहीं सोये । मुख्यमंत्री शिवराज की खूबी है कि वे अपनी संवाद कला से जितनी सहजता के साथ जनता के के दिलों में जगह बनाते हैं वहीं मुश्किलों में भी वे अपना धैर्य नहीं खोते। असली राजनेता की यही सबसे बड़ी यूएसपी है और मुख्यमंत्री शिवराज की यही सबसे बड़ी ताकत है।
इस तरह के प्रयासों में सरकारों के साथ स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों एवं जागरूक व्यक्तियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस समारोह से ठीक एक दिन पहले कठिन परिस्थितियों में नवनिर्मित कोठिदा-भारुडपूरा बाँध में रिसाव संकट को जिस तरीके से हल किया है वह उनकी संवेदनशीलता को दिखाता है और जनता में भी एक आत्मविश्वास पैदा करता है, एक भरोसा जगाता है कि कठिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार हमारा सहारा बनेगी और हम फिर से उठ खड़े होंगे। सुगमता से किसी बड़ी चुनौती का सामना अगर किया जाए तो संकट टाला जा सकता है,जहाँ पर मुखिया का अनुभव भी काम आता है। इस प्रकार का भरोसा शिवराज जैसे सफल और जननायक मुखिया के रहते ही प्रदेश में जग सकता है।
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