Friday, 15 August 2025

तिरंगा : भारतीयता का जीवंत प्रतीक


किसी भी देश का राष्ट्र ध्वज उसके स्वतंत्र होने का संकेत है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा केवल एक कपड़े या कागज़ का टुकड़ा नहीं है बल्कि यह भारत की आत्मा, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। इसके तीन रंग केसरिया, सफेद , हरा और  मध्य में अशोक चक्र भारतीयता के विभिन्न आयामों को दर्शाते हैं। तिरंगा न केवल स्वतंत्रता संग्राम की गाथा को बयां करता है, बल्कि यह भारत की एकता, विविधता और आकांक्षाओं का भी प्रतीक है। तिरंगे ने अपने रंगों से दुनिया में अपनी अद्वितीय छवि बनाई है। राष्ट्रीय ध्वज के लिए हथकरघा खादी (सूती या रेशमी) कपड़ा इस्तेमाल किया जाता है। तिरंगे झंडे में नीले रंग का अशोक चक्र धर्म तथा ईमानदारी के मार्ग पर चलकर देश को उन्नति की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है। 

तिरंगे का केसरिया रंग साहस, बलिदान और त्याग का प्रतीक है। यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। भारतीयता का यह पहलू हमें निस्वार्थ भाव से देश के लिए समर्पित होने की प्रेरणा देता है। इसी तरह से सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक यह रंग भारत की अहिंसावादी विचारधारा को रेखांकित करता है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसा और सत्याग्रह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि विश्व को शांति का संदेश भी दिया। यह रंग भारतीयता की उस भावना को दर्शाता है जो सहिष्णुता और सामंजस्य में विश्वास रखती है। हरा रंग समृद्धि, उर्वरता और प्रकृति के प्रति भारत की गहरी आस्था को दर्शाता है। भारत की संस्कृति में प्रकृति और पर्यावरण का विशेष स्थान रहा है। यह रंग हमें सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देता है। मध्य में नीले रंग का अशोक चक्र गतिशीलता और प्रगति का प्रतीक है। यह सम्राट अशोक के धर्म चक्र से प्रेरित है जो न्याय, धर्म और नैतिकता का प्रतीक है। यह चक्र भारतीयता के उस दर्शन को दर्शाता है जो निरंतर प्रगति और नैतिकता के मार्ग पर चलने को प्रेरित करता है। भारतीयता एक ऐसी अवधारणा है जो भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक विविधता को समेटे हुए है। तिरंगा इस भारतीयता का एक जीवंत प्रतीक है।  भारत विभिन्न धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं का देश है। तिरंगा इस विविधता को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। जैसे तिरंगे के तीन रंग एक साथ मिलकर एक पूर्ण ध्वज बनाते हैं वैसे ही भारत की विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय एक साथ मिलकर भारतीयता का निर्माण करते हैं। यह ध्वज हमें सिखाता है कि भिन्नताओं के बावजूद हम एक हैं। तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है। यह उन असंख्य बलिदानों का प्रतीक है जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाई। भारतीयता का यह पहलू हमें स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की भावना से जोड़ता है। तिरंगा हमें याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता अनमोल है और इसे बनाए रखने के लिए हमें सतत प्रयास करना होगा।

भारतीय इतिहास में 1905 से पहले पूरे भारत की अखंडता को दर्शाने के लिए कोई राष्ट्र ध्वज नहीं था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1905 में स्वामी विवेकानंद की शिष्य सिस्टर निवेदिता ने पहली बार पूरे भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना की थी। सिस्टर निवेदिता द्वारा बनाए गए ध्वज में कुल 108 ज्योतियाँ बनाई गई थी। यह ध्वज चौकोर आकार का था। ध्वज के दो रंग थे- लाल और पीला। लाल रंग स्वतंत्रता संग्राम और पीला रंग विजय का प्रतीक था। ध्वज पर बंगाली भाषा में वंदे-मातरम् लिखा गया था और इसके पास वज्र (एक प्रकार का हथियार) और केंद्र में एक सफेद कमल का चित्र भी था। वर्तमान में इस ध्वज को आचार्य भवन संग्रहालय, कोलकाता में संरक्षित रखा गया है। इसके बाद 7 अगस्त 1906 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) के पारसी बागान चौक में ध्वज को फहराया गया। कोलकाता ध्वज प्रथम भारतीय अनाधिकारिक ध्वज था। इसकी अभिकल्पना शचिन्द्र प्रसाद बोस ने की थी। झंडे में बराबर चौड़ाई की तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं। शीर्ष धारी नारंगी, केंद्र धारी पीली और निचली पट्टी हरे रंग की थी। शीर्ष पट्टी पर ब्रिटिश-शासित भारत के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते 8 आधे खुले कमल के फूल थे और निचली पट्टी पर बाईं तरफ सूर्य और दाईं तरफ़ एक वर्धमान चाँद की तस्वीर अंकित थी। ध्वज के केंद्र में "वन्दे-मातरम्" का नारा अंकित किया गया था। इसी तरह पहली बार विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज मैडम भीकाजी कामा द्वारा 22 अगस्त 1907 को अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस केस्टटगार्ट में फहराया गया था। इस ध्वज को 'सप्तर्षि झंडे’ के नाम से जाना जाता है। यह ध्वज काफी कुछ वर्ष 1906 के झंडे जैसा ही था लेकिन इसमें सबसे ऊपरी पट्टी का रंग केसरिया था और कमल के बजाए सात तारे सप्तऋषि के प्रतीक थे। 

भारतीय धरती पर तीसरे प्रकार का तिरंगा होम रूल लीग के दौरान फहराया गया था। “होम रूल आंदोलन” के दौरान कोलकाता में एक कांग्रेस अधिवेशन के दौरान यह ध्वज फहराया गया था। उस समय ध्वज स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई का प्रतीक था। इसमें 9 पट्टियाँ थीं, जिसमें 5 लाल रंग और 4 हरे रंग की थी। ध्वज के ऊपरी बाएँ कोने में यूनियन जैक था। शीर्ष दाएँ कोने में अर्धचंद्र और सितारा था। ध्वज के बाकी हिस्सों में सप्तर्षि के स्वरूप में सात सितारों को व्यवस्थित किया गया था।वर्ष 1921 में आंध्र प्रदेश के पिंगले वेंकय्या ने बिजावाड़ा (अब विजयवाड़ा) में गांधीजी के निर्देशों के अनुसार सफेद,हरे और लाल रंग में पहला "चरखा-झंडा" डिजाइन किया था। इस ध्वज को "स्वराज-झंडे" के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1931 ध्वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। इस वर्ष तिरंगे ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था।

ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा के बाद भारतीय नेताओं को स्वतंत्र भारत के लिए राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता का एहसास हुआ। तदनुसार ध्वज को अंतिम रूप देने के लिए एक तदर्थ ध्वज समिति का गठन किया गया। श्रीमती सुरैया बद्र-उद-दीन तैयबजी द्वारा प्रस्तुत स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन को 17 जुलाई 1947 को ध्वज समिति द्वारा अनुमोदित और स्वीकार किया गया था। समिति की सिफारिश पर 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। तिरंगे में तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं जिनमें सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है।  बीच में श्वेत पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है और नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के विकास और उर्वरता को दर्शाती है। तिरंगे के केंद्र में सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है जिसमें 24 आरे (तीलियाँ) होते हैं। यह चक्र एक दिन के 24 घंटों और हमारे देश की निरंतर प्रगति को दर्शाता है। तिरंगे को भारत की महिलाओं की ओर से 14 अगस्त, 1947 को संविधान सभा के अर्द्ध-रात्रिकालीन अधिवेशन में समर्पित किया गया था।

भारत ने राष्ट्रीय चिन्ह को 26 जनवरी, 1950 को अपनाया था। भारत के तिरंगे झंडे के ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 है। भारत का राज चिन्ह अशोक स्तम्भ के शीर्ष की एक प्रतिकृति है जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है।  अशोक स्तम्भ तीन शेरों की आकृति जिसके नीचे एक चौखट के बीच में एक धर्म चक्र है। इस चक्र के दाई ओर एक बैल और बाई ओर एक अश्व है। चौखट के आधार पर ‘सत्यमेव जयते’ शब्द अंकित है। भारत के राजचिन्ह में तीन प्रकारे के छ: जानवर हैं-शेर (चार), बैल (एक), अश्व (एक) भारत का यह चिन्ह भारत की एकता का घोतक है। राष्ट्रीय चिन्ह के दो भाग शीर्ष और आधार हैं। शीर्ष पर शेर साहस और शक्ति का प्रतीक है। राष्ट्रीय चिन्ह के आधार भाग में एक धर्म चक्र है। चक्र के दायीं ओर एक बैल है तथा बायीं ओर एक घोड़ा है जो स्फूर्ति का ताकत व गति का। ‘सत्यमेव जयते’ मुंडकोपनिषद से लिया गया है। ‘सत्यमेव जयते’ का अर्थ सत्य की ही विजय है। भारत के तिरंगे झंडे में चरखे की जगह “चक्र” 1947 को अस्तित्व में आया । 26 जनवरी 2002 से फ्लैग कोड बदल गया है। भारतीयों को कहीं भी किसी भी समय गर्व के साथ झंडा फहराने की आजादी दे दी गयी है। अभी कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 19 ए अनुच्छेद के तहत ध्वज फहराने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में घोषित किया था जिसके बाद  देश में भारतीय ध्वज को दिन -रात फहराने की अनुमति दे दी गई है।  

15 अगस्त 1947 आज़ाद भारत के इतिहास का ऐतिहासिक दिन था जब अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति पाकर भारत में नई  सुबह हुई थी। स्वतंत्रता मिलने के बाद पहली बार देशवासियों ने खुली हवा में साँस ली और देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ। आज़ादी के बाद से देश के कई  प्रधानमंत्रियों और सरकारों को देखा है लेकिन इस अमृतकाल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के हर-घर तिरंगा जन अभियानों के माध्यम से देश के प्रति जोश, जज्बा और प्रबल हुआ है। किसी भी देशवासी के लिए भारत और भारतीयता का भाव  पहले होना चाहिए। यह मुहिम जाति ,धर्म,संप्रदाय से परे है और देश को इस अमृत काल में एकता के सूत्र में बांध सकती है।  नागरिकों में देश प्रेम की भावना जगाने और संकीर्णता से बाहर निकालने  का यही अमृतकाल है।

आज के समय में तिरंगा केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक ही नहीं बल्कि भारत की आकांक्षाओं और सपनों का दर्पण भी है। यह हमें आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल भारत और विकसित भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देता है। "हर घर तिरंगा" जैसे अभियान भारतीयों को अपने ध्वज के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को और गहरा करने का अवसर प्रदान करते हैं।तिरंगा झंडा भारत और भारतीयता का एक ऐसा प्रतीक है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और भविष्य की ओर प्रेरित करता है। इसके रंग और चक्र हमें साहस, शांति, समृद्धि और प्रगति के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं। यह ध्वज हमें याद दिलाता है कि भारतीयता का अर्थ है विविधता में एकता, स्वाभिमान में साहस और शांति में प्रगति। तिरंगे के अक्स में हमारा भारत और हमारी भारतीयता न केवल जीवंत है बल्कि विश्व मंच पर एक प्रेरणा स्रोत के रूप में भी उभर रही है।

देश के प्रत्येक नागरिक को आज़ादी के इस अमृतकाल में इस पावन महायज्ञ में आहूति देकर पुण्य का भागीदार बनना चाहिए। तिरंगे को देखकर हर भारतीय के दिलों में राष्ट्रप्रेम की भावना उमड़ पड़ती है। राष्ट्र ध्वज देखकर उसके प्रति आदर भाव खुद ही जग जाता है। तिरंगा साहस, त्याग, बलिदान के रंगों से सरोबार है। तिरंगे को सम्मान देते हुए आज हर देशवासी का कर्तव्य है इस अमृतकाल में अपने घरों में तिरंगा लहराकर वह इस उत्सव को ऐतिहासिक बनाए। आज़ादी के रणबांकुरों ने अपने शौर्य से जिस प्रकार देश के लिए तन- मन न्यौछावर कर दिया उसी प्रकार तिरंगा झंडा लहराकर हमें भारतबोध का अहसास होगा जो शहीदों को अमृत काल में सच्ची श्रद्धांजलि होगी।  

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