Thursday, 21 August 2025

कटनी में माइनिंग कॉन्क्लेव , अब ​माइनिंग से चमकेगी मोहन के एमपी की किस्मत


देश का हृदयस्थल कहा जाने वाले मध्यप्रदेश डॉ. मोहन यादव के विजनरी नेतृत्व में हाल के वर्षों में औद्योगिक और आर्थिक विकास के क्षेत्र में एक नया गढ़ बनकर उभर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से मध्यप्रदेश में निवेश को आकर्षित करने और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। उनकी इन्वेस्टर्स फ्रैंडली नीतियों और ग्लोबल स्तर पर मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग करने की कारगर रणनीति ने राज्य को निवेश का एक प्रमुख केंद्र बना दिया है। डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने न केवल निवेश के मोर्चे पर अनेक सफलताएं हासिल की है, बल्कि आर्थिक विकास और औद्योगिक नवाचार में भी नई ऊँचाइयाँ छुई हैं।

 एमपी में  कटनी से होगी माइनिंग क्रांति 

मध्यप्रदेश का कटनी जिला अपनी समृद्ध खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। 23 अगस्त  को कटनी एक महत्वपूर्ण माइनिंग कॉन्क्लेव के आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। यह आयोजन न केवल कटनी की खनिज संपदा को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास है, बल्कि खनन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने और स्थानीय रोजगार  की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इस कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय और राज्य मंत्रियों के साथ-साथ देशभर के नामचीन उद्योगपतियों और निवेशकों की भागीदारी होगी।

मध्यप्रदेश में रॉक फॉस्फेट से लेकर गोल्ड हीरे से लेकर कोयले  तक का प्रचुर भंडार

मध्यप्रदेश अनेक  बेशकीमती खनिजों का प्रचुर भंडार है।  देश के कुल उत्पादन का 30 फीसदी मैंगनीज अकेला मध्यप्रदेश में पाया जाता है। मध्यप्रदेश कॉपर, मैंगनीज और हीरा प्रोडक्शन में पहले स्थान पर है।लाइमस्टोन के उत्पादन में मध्यप्रदेश तीसरे तो कोयला उत्पादन में  प्रदेश चौथे स्थान पर है। रॉक फॉस्फेट के भंडार मध्य प्रदेश के कई जिलों में प्रचुर मात्रा में आज मौजूद हैं। बुंदेलखंड में हीरे से लेकर सोना तो महाकौशल में आयरन से लेकर मैंगनीज तक के भंडार हैं।सतना, रीवा और सीधी में लाइमस्टोन, बॉक्साइट, ग्रेफाइट, गोल्ड और ग्रेनाइट का भंडार है। सिंगरौली में कोयला, गोल्ड और आयरन का भंडार है। पन्ना में सबसे ज्यादा हीरे की खनन होती है।  छतरपुर के बक्सवाहा जंगल में भी हीरे का बड़ा भंडार है। जहाँ शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में कोयला, कोल बेड, मिथेन और बॉक्साइट का विशाल भंडार है वहीँ  सागर, छतरपुर और पन्ना में डायमंड, रॉक फॉस्फेट, आयरन, ग्रेनाइट, लाइस्टोन, डायस्पोर और पाइरोफिलाइट का भंडार मौजूद  है। इसी तरह जबलपुर और कटनी में बॉक्साइट, डोलोमाइट, आयरन, लाइमस्टोन, मैंगनीज, गोल्ड और मार्बल का भंडार है। नीमच और धार अपने  लाइमस्टोन  के भण्डार के लिए पूरे देश में जाना जाता है।  महाराष्ट्र की सीमा से सटे बैतूल में कोयला, ग्रेफाइट, ग्रेनाइट, लीड और जिंक का भंडार है वहीँ छिंदवाड़ा में कोयला, मैंगनीज और डोलोमाइट का विशाल भंडार है। बालाघाट कॉपर, मैंगनीज, डोलोमाइट, लाइमस्टोन और बॉक्साइट की खान है। मंडला और डिंडोरी में डोलोमाइट और बॉक्साइट तो ग्वालियर और शिवपुरी में आयरन, फ्लैगस्टोन और क्वार्ट्ज की खान  है। इसी तरह  झाबुआ और अलीराजपुर में रॉक फॉस्फेट, डोलोमाइट, लाइमस्टोन, मैंगनीज और ग्रेफाइट का भंडार है। 

माइनिंग सेक्टर में अपार संभावनाओं के लिए मोहन सरकार पिछले वर्ष  राजधानी भोपाल में  माइनिंग कॉन्क्लेव का सफल  आयोजन कर चुकी है जिसके माध्यम से  माइनिंग सेक्टर में निवेशकों को भी लुभाने की पूरी कोशिश की गई जिसमें  देश भर के माइनिंग के जुड़ी कंपनियों के दिग्गज प्रतिनिधियों , विभिन्न राज्यों के अधिकारियों ने शिरकत की औरअनेक  राउंड टेबल बैठकें की। निवेशकों को लुभाने के लिए मोहन सरकार नई माइनिंग नीति भी लाई है। सरकार की कोशिश है कि मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में जो खनिज भंडार हैं, उसके लिए निवेशक आगे आएं। इसके लिए सरकार निवेशकों को प्रोत्साहित भी कर रही है।  

अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज देगा कटनी 


कटनी में आयोजित होने वाला माइनिंग कॉन्क्लेव मोहन सरकार का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक है  जो कटनी की खनिज संपदा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।यह कॉन्क्लेव  कटनी को एमपी के खनिज के एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति और देशभर के उद्योगपतियों की भागीदारी इस आयोजन को ख़ास बनाएगी । 

कटनी में होने वाले इस कॉन्क्लेव की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।  अब तक अनेक उद्योगपतियों और निवेशकों ने इस आयोजन के लिए अपना  पंजीयन कराया है।  कटनी कॉन्क्लेव के सफल आयोजन के बाद  मोहन सरकार प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इस तरह के आयोजन करेगी जो राज्य में स्थानीय स्तर पर रोजगार के बड़े अवसर भी प्रदान करेगा। निवेश के नए अवसरों से न केवल स्थानीय उद्योगों को बल मिलेगा, बल्कि रोजगार सृजन के माध्यम से क्षेत्र के युवाओं को भी लाभ होगा।

मोहन सरकार ने बनाया माइनिंग का बड़ा रोडमैप 

मध्यप्रदेश में अलग-अलग खनिज पदार्थों के खनन और प्रोडक्शन के क्षेत्र में पार संभावनाएं हैं। माइनिंग कॉन्क्लेव के जरिए सरकार निवेशकों को अपना रोडमैप बता रही है जिससे अनेक कंपनियां भी मोहन सरकार की नीतियों  से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश में निवेश करने में अपनी रूचि दिखा रही हैं।मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि सरकार समाज के सभी वर्गो की बेहतरी के लिए कदम से कदम मिलाकर चल रही है। मध्यप्रदेश में औद्योागिक निवेश के नजरिए से सभी प्रकार की अनुकूलता है। राज्य में निवेश की अनेक संभावनाएं हैं। अपने रणनीतिक प्रयासों से मोहन युग में एमपी औद्योगिक विकास और निवेश की नई ऊंचाइयों को छूने की  दिशा में अग्रसर है। प्रदेश सरकार की औद्योगिक  नीतियों में श्रमिकों और उद्योगों दोनों के हितों का समान ध्यान रखा जा रहा है। मध्यप्रदेश में निवेश की संभावनाएं तेजी से  बढ़ रही हैं और देश-विदेश के उद्योगपति अब एमपी को एक प्रमुख निवेश गंतव्य स्थल के रूप में देख रहे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 के सफल आयोजन और मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निवेश को लेकर की गई ताबड़तोड़  यात्राओं के बाद से मध्यप्रदेश को लेकर उद्योग जगत में खासा उत्साह देखा जा रहा है। देश और दुनिया के प्रमुख उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में निवेश को लेकर अपनी विशेष रूचि दिखाई है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन मध्यप्रदेश को 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 6% योगदान देने वाला राज्य बनाना है। भारतीय उद्योग परिसंघ की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2047-48 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। डॉ. मोहन यादव का कुशल  नेतृत्व और दूरदर्शी विजन मध्यप्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में ग्लोबल पहचान दिलाने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने बेहद कम समय मे निवेश और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा है। यह न केवल मध्यप्रदेश की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है बल्कि भारत के विकास में भी एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इस निवेश ने मध्यप्रदेश को निवेशकों के लिए न केवल एक आदर्श डेस्टिनेशन बनाया है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत बनाने की दिशा में यह एक सधा हुआ कदम है।

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