Saturday, 16 August 2025

श्रीकृष्ण की नीतियों से प्रेरित 'मोहन', कृष्णमय हुआ मध्यप्रदेश



देश का हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में श्रीकृष्ण का देश और दुनिया से सीधा साक्षात्कार हो रहा है। राम वन गमन पथ की तरह अब प्रदेश सरकार श्री कृष्ण के मार्ग की खोज में जुटी हुई है और उनकी नीतियों पर चलते हुए कदमताल कर रही है।  मध्यप्रदेश में मालवा पावन भूमि में आज भी भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं जीवंत हैं। बाबा महाकाल नगरी उज्जैन में वह 12 वर्ष की आयु में शिक्षा प्राप्त करने आए जहाँ के सांदीपनि आश्रम और गुरुकुल से उनका बहुत पुराना नाता रहा है। इसी तरह जानापाव में परशुराम द्वारा उन्हें सुदर्शन चक्र दिया गया और धार के अमझेरा में रुक्मणि से भी उनका सीधा नाता रहा है। श्रीकृष्ण का जन्म भले ही मथुरा में हुआ लेकिन उनका तन और मन मध्यप्रदेश में ही रमता था। मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में उनकी इस आध्यात्मिक धरोहर को सहेजने के लिए ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ के रूप में एक अनूठा प्रयास कर रही है। यह परियोजना न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अभ्युदय का प्रतीक है, बल्कि मध्यप्रदेश को आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में सरकार का एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम है।

‘श्रीकृष्ण पाथेय’ मध्यप्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य श्रीकृष्ण से जुड़े स्थानों को तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित करना है। इस परियोजना के तहत उन सभी स्थानों को संरक्षित और विकसित किया जा रहा है जहां श्रीकृष्ण की लीलाएं हुई या जिनका उनके जीवन से कोई न कोई संबंध रहा है।मध्यप्रदेश सरकार ने बीते वर्ष “श्रीकृष्ण पाथेय” योजना की शुरुआत की है जिसके तहत श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक स्थानों जैसे उज्जैन, जानापाव और अमझेरा को बड़े तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना के लिए 750 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि दुनिया भर में फैले हुए श्रीकृष्ण के भक्तों और पर्यटकों का श्रीकृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से सीधा साक्षात्कार हो सके जिसको साकार करने के लिए मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल ने ‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ के गठन को मंजूरी दी है जिसमें 28 सदस्यों के साथ 23 पदेन और 5 विशेषज्ञ गैर-आधिकारिक न्यासी होंगे। यह न्यास श्रीकृष्ण से जुड़े मंदिरों के प्रबंधन, संदीपनी गुरुकुल की स्थापना और सांस्कृतिक-साहित्यिक संरक्षण जैसे कार्यों को संचालित करेगा। मोहन सरकार श्री कृष्ण पाथेय के लिए गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्य सरकारों की भी सलाह ले रही है जिससे इस ड्रीम प्रोजेक्ट में में प्रदेश के बाहर के श्रीकृष्ण से जुड़े स्थलों को शामिल हो सकें। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ साहित्य के अध्ययन आदि के माध्यम से पाथेय का नक्शा बनाएंगे और ऐसे सभी स्थानों को जहां श्रीकृष्ण के कदम पड़े थे उन्हें बड़े प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जाना है। नवंबर 2024 में राज्य कैबिनेट ने मध्यप्रदेश पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम 1951 के तहत 'श्रीकृष्ण पाथेय ट्रस्ट ’के गठन को मंजूरी दे चुकी है। यह ट्रस्ट भगवान कृष्ण के मंदिरों और संरचनाओं का प्रबंधन करेगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास केवल एक प्रशासनिक परियोजना नहीं, बल्कि उनकी सनातनी भावना और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गहरी आस्था का परिणाम है। उनका मानना है कि श्रीकृष्ण का जीवन और उनके दर्शन मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। श्रीकृष्ण पाथेय परियोजना का प्रभाव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों तक सीमित है बल्कि यह मध्यप्रदेश के समग्र विकास में भी योगदान देगी। यह न केवल प्रदेश की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करने के साथ ही मोहन का यह ड्रीम प्रोजेक्ट भारतीय सनातन संस्कृति और अध्यात्म को वैश्विक मंच पर ले जाने में भी सहायक होगा।

मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने श्रीकृष्ण की शिक्षाओं और उनके जीवन से जुड़े स्थानों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मोहन सरकार ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग का नाम बदलकर पशुपालन, डेयरी और गौपालन विभाग करने की घोषणा की है। यह कदम गौ-माता के प्रति सम्मान और गौपालन को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ समझौता कर दुग्ध उत्पादन और संकलन को व्यवस्थित किया जा रहा है जिसमें दुग्ध संकलन समितियों की संख्या को 9,000 से बढ़ाकर 26,000 करने का संकल्प लिया गया है। दूध से संबंधित फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की योजना है जिससे दुग्ध उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। गौ वंश को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार ने 30 स्थानों पर 5,000 से 25,000 गोवंश क्षमता वाली हाईटेक गौशालाएं स्थापित करने की योजना बनाई है। इन गौशालाओं में जैविक खाद, सीएनजी गैस, और सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।श्रीकृष्ण की गौ-प्रेम की भावना से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गौपालन और डेयरी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं भी प्रदेश में शुरू की हैं। मध्यप्रदेश में गौशालाओं के लिए प्रति गाय दैनिक खर्च को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये किया गया है। इसी तरह से दूध बेचने वालों को प्रति लीटर 5 रुपये का बोनस देने की घोषणा की गई है। इसी तरह मुख्यमंत्री वृंदावन गांव योजना भी शुरू की गई है जिसका उद्देश्य पशुधन के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि लाना है। डॉ. भीमराव अंबेडकर दुग्ध उत्पादन योजन के तहत डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए 42 लाख रुपये तक का बैंक ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। गौपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार प्राकृतिक और जैविक खेती पर भी जोर दे रही है।इसी तरह से  गाय के गोबर से बनी प्राकृतिक खाद से उत्पादित अनाज को सरकार अधिक कीमत पर खरीदेगी। इंदौर, देवास, रीवा जैसे जिलों में गौशालाओं के माध्यम से सीएनजी गैस का उत्पादन शुरू हो चुका है। प्रत्येक ब्लॉक में एक वृंदावन ग्राम की स्थापना की जा रही है जहां गौपालन, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्ष और सौर ऊर्जा जैसी अनेक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। गौवंश तस्करी को रोकने के लिए मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024 लागू किया गया है जिसमें तस्करों को 7 साल की सजा का प्रावधान है। डॉ.मोहन यादव ने श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को शिक्षा के क्षेत्र में भी शामिल करने पर जोर दिया है। उन्होंने मध्यप्रदेश के स्कूलों में श्रीकृष्ण की जीवनी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की अभिनव पहल की है। उन्होंने नई शिक्षा नीति को लागू करते हुए गौपालन और डेयरी विकास से युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता की दिशा में प्रेरित किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीकृष्ण को न केवल एक धार्मिक व्यक्तित्व के रूप में, बल्कि एक निष्काम कर्मयोगी, कुशल रणनीतिकार और समाज सुधारक के रूप में भी देखा है। उनके अनुसार श्रीकृष्ण का जीवन हर युग में प्रासंगिक है और आज हर किसी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में गीता भवन का निर्माण उनकी इस भक्ति को सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर संरक्षित करने का प्रयास दर्शाता है। गीता के माध्यम से श्रीकृष्ण का संदेश जो पूरी दुनिया को मिला आज भी वह उतना ही प्रासंगिक है और मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों के माध्यम से यह संदेश अब गीता भवनों के माध्यम से पूरे देश में नई ऊँचाइयों को छुएगा। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार 2875 करोड़ रुपए की लागत से 413 नगरीय निकायों में गीता भवन बनाने जा रही है जो अगले दो वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगा। 16 नगर निगमों में 1000 से लेकर 1500 की बैठक क्षमता वाले गीता भवन बनाए जाएंगे। इसी तरह से 99 नगर पालिकाओं में 500 बैठक क्षमता वाले गीता भवन बना जाएंगे और 298 नगर परिषदों में ढाई सौ बैठक क्षमता वाले गीता भवन बनाए जाएंगे।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर आसीन होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जन्माष्टमी के सांस्कृतिक उत्सव को एक अनूठा स्वरूप प्रदान किया जिसमें बीते वर्ष की तरह इस बार भी शहरों से लेकर गाँवों तक अनूठा उत्साह देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में  जन्माष्टमी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी और गीता भवनों की स्थापना के लिए भूमिपूजन होंगे।मंदिरों के अनुपम श्रृंगार के लिए 1.50 लाख रुपए के तीन, 1 लाख रुपए के पांच और 51 हजार रुपए के सात पुरस्कार दिए जाएंगे। श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में 16 से 18 अगस्त तक तीन दिवसीय कार्यक्रम होंगे। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव रायसेन जिले के महलपुर पाठा के दौरे पर भी जा रहे हैं जो तकरीबन 700 बरस पुराना है।  ऐसा माना  जाता है  श्रीकृष्ण महलपुर पाठा से जामगढ़ की गुफा में गए थे और मणि यहां लाए थे।   जन्माष्टमी के सांस्कृतिक उत्सव को भव्य तरीके से पूरे प्रदेश में कराने का मकसद युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जड़ों से जोड़ना और स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करना है।  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि इस वर्ष भी जन्माष्टमी के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। जन्माष्टमी पर प्रदेश के सभी  मंदिरों को जहाँ सजाया गया है वहीँ भजन संध्या, दही-हांडी उत्सव ने आम जनमानस में हमारी सनातन संस्कृति के धार्मिक, सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति रुचि जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जन्माष्टमी के उत्सव ने न केवल श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी शिक्षाओं को जीवंत किया है बल्कि मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी देश और दुनिया में प्रस्तुत किया है। श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के पावन अवसर पर मोहन सरकार ''श्रीकृष्‍ण पर्व'' एवं लीला पुरुषोत्‍तम का प्राकट्योत्‍सव का आयोजन करने जा रही है। सरकार ने इस उत्सव के लिए प्रदेश के 3 हजार से अधिक मंदिरों को चुना है जहां पर धार्मिक अनुष्ठान, श्रृंगार प्रतियोगिताएं, मटकी-फोड़, रासलीला और भजन संध्या जैसे कार्यक्रम होंगे। इन आयोजनों के साथ सम्‍पूर्ण प्रदेश श्रीकृष्‍णमय हो जायेगा और सांस्‍कृतिक रंगों में रंगा नजर आयेगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व और श्रीकृष्ण की नीतियों के माध्यम से मध्यप्रदेश लगातार कृष्णमय हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास श्रीकृष्ण की विरासत के माध्यम से मध्यप्रदेश को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का सशक्त केन्द्र बनाने का एक मजबूत संकल्प भी है। श्रीकृष्ण पाथेय प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश की गौरवशाली विरासत को सहेजने और इसे विश्व पटल पर स्थापित करने की दिशा में प्रदेश सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। ‘कृष्णमय मध्यप्रदेश’ निश्चित रूप से प्रदेश को एक नई पहचान देगा जहां आध्यात्मिकता, संस्कृति और विकास का अनूठा मनमोहनी संगम होगा।

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