Friday, 23 November 2012

अन्तरिक्ष में सुनीता की ऊँची उड़ान........................





सपनो के आकाश में ऊँचा उड़ने का ख्वाब देखकर सुनीता ने ना केवल उसे जिया बल्कि उसे पदाई के बाद हकीकत में भी बदला | अन्तरिक्ष में उनकी यह ऊँची उड़ान  सही मायनों में सुनीता के असल कद का अहसास कराती है | भारतीय मूल की अन्तरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके दो सहयोगी फ्लाईट इंजीनियर बीते दिनों  यूरो  मालेंन्चेंको और अकी होशिंदे  के साथ चार महीने अन्तरिक्ष में बिताने के बाद सकुशल धरती पर लौट आई | बीते सोमवार को कजाकिस्तान के अर्कालिक स्टेशन पर सुबह सात बजकर तेईस मिनट पर स्पेस एयरक्राफ्ट  सोयूज जैसे ही लैंड हुआ हर किसी देशवासी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा क्युकि यही वह मिशन था जिस पर काम के द्वारा अन्तरिक्ष की असल उड़ान का रुख वैज्ञानिक तय करने जा रहे है |


 नासा के स्पेस मिशन एक्सपेडिशन ३३ की फ्लाइट इंजीनियर रही सुनीता इस साल 15 जुलाई को अन्तरिक्ष के लिए रवाना हुई थी | सुनीता की यह लम्बी उड़ान कई मायनों में यादगार रही है |यह कोई पहला मौका नहीं है जब सुनीता ने अपनी उड़ान द्वारा अन्तरिक्ष का सफ़र तय किया है | इससे पहले 2006 में वह अन्तरिक्ष के सफ़र को तय कर चुकी हैं | इस बार उन्होंने आईएसएस में १२७ दिन का लम्बा वक्त बिताने का नया कीर्तिमान स्थापित किया है | नासा के मिशन एक्सपेडिशन में जहाँ इस बार सुनीता ने अन्तरिक्ष मे दूसरी बार कदम बढाये वहीँ उनके साथी होशिदे दूसरी बार तो मालेंन्चेंको पांचवी बार अन्तरिक्ष की सैर कर चुके हैं |सुनीता के साथ उनके दो सहयोगियों के सकुशल वापस आने के बाद अब उनका अन्तरिक्ष यान सोयुज स्पेस से अलग जरुर हो गया है लेकिन वहां पर नासा की रिसर्च खत्म  नहीं हुई है | वैसे भी रिसर्च एक बहुत लम्बी प्रक्रिया  है और वैज्ञानिको को किसी नई खोज का पता लगाने के लिए लम्बे समय तक अध्ययन करना पड़ता है | जाहिर तौर पर नासा भी इसी लीक पर चल रहा है शायद तभी सुनीता के साथ मौजूद तीन और अन्तरिक्ष यात्रियों की अन्तरिक्ष से वापसी अगले साल तक धरती पर होगी | वह भी अन्तरिक्ष में नई सम्भावनाये तलाशने निकले है | उनका यह अध्ययन निश्चित रूप से वैज्ञानिको को अन्तरिक्ष की जमीनी सच्चाई से जहाँ वाकिफ कराएगा  वहीँ वहां पर जीवन के तौर तरीके की भी विस्तृत जानकारी लोगो को मिलेगी |

                      सुनीता और उनके साथियो के द्वारा किये गए अध्ययनों का लाभ निश्चित ही वैज्ञानिक उठा सकते है | इस वैज्ञानिक अध्ययन के जरिये अन्तरिक्ष के तौर तरीको को तो समझा ही जा सकेगा वहीँ कई गूढ़ रहस्यों से पर्दा हट सकता है | सुनीता की यह नई उपलब्धि पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है लेकिन  एक भारतीय के तौर पर यह हमारे लिए भी ख़ुशी का पल है क्युकि सुनीता मूल रूप से भारत से ही ताल्लुक रखती हैं | इससे ज्यादा दिल को सुकून देने वाली बात क्या हो सकती है आज भी वह अपने भारत देश से गहरा लगाव रखती हैं शायद तभी उनके मन में भारत के प्रति प्यार है जिसका इजहार वह अपनी पिछली अन्तरिक्ष यात्रा के बाद भारत की अपनी यात्रा के दौरान कर चुकी हैं | बहुत सारी प्रतिभाए हमारे देश की ऐसी हैं जो अपना मूल देश छोड़ने के बाद भारत से कटे कटे सी रहती हैं | लेकिन सुनीता आज भी अपनी परम्पराए और संस्कार नहीं भूली हैं क्युकि उनकी जडें भारत में हैं और शायद यही कारण रहा है अपनी पहली अन्तरिक्ष यात्रा के बाद वह भारतीयों से गहन आत्मीयता से मिली | इस मुलाक़ात के मायने इस रूप में खास थे क्युकि उन्होंने अपने हर प्रशंसक के जवाब बहुत शालीनता के साथ ही न केवल दिए बल्कि उन्हें निराश भी नहीं किया | 

अन्तरिक्ष में सुनीता जहाँ अपने अध्ययन के माध्यम से वहां के रहस्यों पर प्रकाश डालेंगी वहीँ इससे सुनीता को  आदर्श मानने वाली लड़कियो को अब भारत में विज्ञान को लेकर रूचि जागेगी ऐसी उम्मीद भी जग रही है | सुनीता की इस उपलब्धि से हर किसी के मन में यह जज्बा जगा है हर इंसान में कुछ न कुछ खासियत रहती है | बस अपनी प्रतिभा को पहचानने की जरुरत है | सुनीता की बचपन से विज्ञान में रूचि थी | इसी रूचि ने उनके अन्तरिक्ष के सफ़र को साकार रूप प्रदान किया |  इस घटना ने  जहाँ यह साबित किया है भविष्य में अन्तरिक्ष को लेकर होने वाले अनुसंधानों में महिलाओ की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित हो सकती है  वहीँ इससे विज्ञान जैसे विषय को भी घर घर  लोकप्रिय बनाने में मदद मिल सकती है| ऐसी उम्मीद कई विशेषज्ञों को है |अगर सब कुछ ठीक  ठाक रहा तो जल्द ही हमारे देश के वैज्ञानिक भी  अपनी मेधा का लोहा पूरी दुनिया को मनाकर अन्तरिक्ष में सफलता के झंडे गाड सकते हैं | सुनीता की यह लम्बी उड़ान उनका अन्तरिक्ष में पथ प्रदर्शित करने के लिए काफी है |                 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच में बहुत ही लम्बी उड़ान..