Saturday, 25 May 2013

आई पी एल – 6 तमाशे की कलंक कथा

6 बरस पहले ट्वेन्टी ट्वेन्टी विश्व कप के फाईनल मैच में पाक खिलाडी मिसबाह- उल –हक के शॉट पर श्रीसंत ने कैच पकड़कर न केवल भारत को टी २० का सरताज बनाया बल्कि १९८३ की सुनहरी यादो को भी पीछे छोड़ दिया जब पहली बार कपिल देव की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीतने का ककहरा सीखा था |  टी 20 विश्व कप जीतकर        पाकिस्तान सरीखे चिर प्रतिद्वंदी को हराने के बाद भारत ने टी ट्वेन्टी में  भी अपनी सफलता के नए झंडे गाड़ दिये जिसके बाद भारत में ट्वेन्टी ट्वेन्टी का बुखार  परवान चढ़ने लगा | कैरी पैकर की तर्ज पर जब सुभाष चंद्रा ने आई सी एल चलाई तो उसकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए ललित मोदी ने आई पी एल का दाव खेला | कॉर्पोरेट , मनोरंजन के तडके , बी सी सी आई ने जब उसे आई पी एल लीग में तब्दील कर दिया तो क्रिकेट की मंडी में खिलाडियों की बोलियां लगने लगी जिससे क्रिकेटरों की खूब कमाई हुई | साथ ही चीयर लीडरो के ग्लैमर और रेव पार्टियों ने पहली बार क्रिकेट को उस तमाशे में तब्दील कर मनोरंजन के तडके में परदे पर ऐसे पेश किया कि दर्शकों की भारी भीड़ अपने अपने सितारों को देखने उमड़ने लगी | लेकिन किसे पता था पाक के साथ खेले गए टी ट्वेन्टी फाईनल मैच में जों श्रीसंत हीरो बन गया वही हीरो एक दिन स्पॉट फिक्सिंग की जद में आ जायेगा | आई पी एल मुनाफे के बड़े बाजार , मनोरंजन के अलावे सट्टा बाजार में गोते लगाकर फिक्सिंग के साये में भी घिरते जा रहा है जिसमे हर दिन कोई न कोई नई कड़ी जुड़ते जा रही है जिसके तार बिंदु सिंह से लेकर श्रीनिवासन और उनके दामाद मयप्पन तक जुड रहे हैं | बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दर्जन भर से ज्यादे सट्टेबाजो और कई नामचीन हस्तियों का कच्चा चिटठा खोला है उससे पैसे का तमाशा बने इस फटाफट क्रिकेट का रंगीन सच सबके सामने आ गया है | अगर ऐसी घटनाओ के बाद लोगो का क्रिकेट से भरोसा उठ रहा है तो यह लाजमी ही है क्युकि इस दौर में आई पी एल भारतीय फिक्सिंग लीग का बदनुमा दाग ढो रहा है जहाँ सब पहले से ही तय माना जा रहा है और शायद यही वजह है क्रिकेट खिलाडियों से भी लोगो का भरोसा उठता ही जा रहा है और लोग यह मान रहे हैं इस बार का आई पी एल फिनल भी किन दो टीमों के बीच होगा यह सब फिक्स है | दिल्ली पुलिस और मुंबई पुलिस ने अपनी अपनी पड़ताल से फिक्सिंग के जो नए राज खोले हैं वह हर उस क्रिकेट प्रेमी को परेशान किये हुए है जो क्रिकेट को धर्म और खिलाडियों को देवता मानकर पूजते थे | कोच्ची एक्सप्रेस के नाम से मशहूर श्रीसंत अपनी गेदबाजी की धार से विरोधियो  पर टूट पड़ते थे और मैदान में अपने लटके झटको के लिए जाने जाते थे अब वही श्रीसंत एक्सप्रेस मैदान से बाहर है और पुलिसिया पूछताछ में उसके पसीने छूट रहे हैं | श्रीसंत जहाँ रोते हुए अपना जुर्म कबूल कर रहे हैं वहीँ अंकित चव्हाण भी कह रहे हैं उनसे बड़ा गुनाह हो गया है | कमोवेश यही हाल अजित चंदीला का भी है | मजेदार बात यह है सर्विलांस की बातचीत में चंदीला बुकी  से यह कहते हुए पाए गए जब पिछले सत्र में फिक्सिंग में दिक्कत नहीं आई तो इस बार क्या होगा ? अगर यह सच है तो अब यह शक भी गहरा गया है कहीं  पिछले सीजन में भी तो पूरा आई पी एल फिक्स नहीं था | पैसो की अधिकाधिक भूख में भी अब इन खिलाडियों का करियर ढलान पर बताया जा रहा है | दिल्ली पुलिस की माने तो आई पी एल के इस सीजन में एक मैच के एक ओवर के लिए श्रीसंत ने चालीस लाख, चंदीला को बीस लाख , अंकित के साथ साठ लाख की डील हुई | परत दर परत स्पॉट फिक्सिंग आई पी एल के मैचो में इस कदर हुई है कि सट्टेबाजी के तार अंडरवर्ल्ड  , बालीवुड और राजनेताओ के इर्द गिर्द तक जाते दिखाई दे रहे हैं |पूरे मामले का मास्टर माईंड दाउद है जो अपने भाई अनीश इब्राहीम की छत्रछाया में  सुनील सरीखे गुर्गो के साथ मिलकर दुबई और कराची से सट्टेबाजो के जरिये खिलाडियों तक अपनी पहुँच बनाने में कामयाब हुआ | शुरुवाती जांच के संकेत बहुत कुछ कहानी  को बयान करते हैं | बताया जाता है दाउद ने सुनील को साथ लेकर फिक्सरो का एक बड़ा नेटवर्क बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से तैयार किया हुआ है और इस बार आई पी एल ६ के महाकुम्भ में उसने जीजू, जुपिटर, राकी सरीखे सट्टेबाजी के आकाओ के जरिये स्पॉट फिक्सिंग को अंजाम दिया जिसमे कई  खूबसूरत हसीनाओ  की डीलिंग भी खिलाडियों से करवाई और उनको ब्लेकमेल एम एम एस के जरिये करने की वारदात को अमली जामा पहनने की कोशिशे लगातार की | खिलाडियों के लैपटॉप में मिली कई लड़कियों की फोटो और मोबाइल नंबर इस बात की तस्दीक करते हैं कि किस तरह आई पी एल के जरिये स्पॉट फिक्सिंग के अलावा अय्याशी का खुला खेल खेला जा रहा था | स्पॉट फिक्सिंग का यह खुलासा क्रिकेट के नाम पर कलंक तो है ही साथ ही आई पी एल के आयोजन पर भी सवालिया निशान भी लगाता है क्युकि आई पी एल में काले धन का खुला खेल भी बड़े पैमाने पर हुआ है जिसमे खुले तौर पर करोडो के वारे न्यारे किये जा रहे थे | मजेदार बात तो यह है कि आये दिन नए नए खुलासे जहाँ नया इशारा कर रहे है वहीँ पहली बार बी सी सी आई अध्यक्ष एम श्रीनिवासन की कुर्सी खतरे में पड रही है क्युकि उनके दामाद  गुरुनाथ मयप्पन का नाम भी सीधे तौर पर इससे जुड रहा है | उनकी बिंदु दारा सिंह से हुई तकरीबन ढाई सौ से ज्यादा की फोन काल ने आई पी एल जांच में नया मोड दे दिया है | बताया जाता है कि मयप्पन  ने अपने ससुर की रसूख का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर खिलाडियों और सटोरियों के बीच कड़ी का काम किया | अब इसके बाद बड़े पैमाने पर बी सी सी आई की सियासत एक सौ अस्सी डिग्री पर झुक आई है क्युकि श्रीनिवासन को लेकर पहली बार मुम्बई में शरद पवार ने अपनी बिसात सहारा सुप्रीमो सुब्रतो राय को आगे कर बिछा दी  है जिसमे साफ़ तौर पर उन्होंने कहा कि अगर श्रीनिवासन अपनी कुर्सी पर बैठे रहते है तो सहारा टीम इंडिया को सहारा नहीं दे पायेगा | वहीँ अरुण जेटली से लेकर  राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर अगर इस पूरे प्रकरण का फैसला जांच से करने और मिले सुर मेरा तुम्हारा  का भरोसा दे रहे हैं तो यह भी राजनीती और क्रिकेट  के नए मिजाज को बतला रही  है जहां  हर कोई अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक दूसरे को साध रहा है और एक की कमीज दूसरे की कमीज से मैली बताने पर  तुला है | मुंबई पुलिस और दिल्ली पुलिस इस मामले पर अपने अपने अनुरूप बिसात बिछाने में लगी हुई है | अहमदाबाद से ही बीते दिनों हुई विनोद मूलचंदानी नाम के सटोरिये की गिरफ्तारी से अब यह शक भी गहरा गया है कि आई पी एल में किस तरह एक के बाद एक बड़े बड़े नामो ने करोडो के वारे न्यारे इस खेल में किये हैं | आई पी एल के पूरे सीजन में सवा अरब की आबादी के मनोरंजन के नाम पर एक तरह से खिलवाड ही किया जा रहा था क्युकि स्पॉट फिक्सिंग की परतों के खुलने के बाद लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं यह खेल नहीं तमाशा  है शायद तभी २०१० में संसद में ६० से ज्यादा सांसदों ने इस तमाशे को लेकर सवाल उठाये और इसे बंद करने की मांग कर डाली थी क्युकि खेल भावना को दरकिनार करते हुए इसमें थप्पड़ बाजी , हवाला , फ्रेंचायजी विवाद , रेव पार्टी और महिलाओ के साथ हो रही अश्लीलता आम बात बन गई थी लेकिन आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई क्युकि खेल के मैदान पर भी राजनेताओ की बिसात इस कदर बिछी है कि हर कोई एक दूसरे के लिए इसमें लंगडी मार  अपने अपने खेल संघों के आसरे खेल रहा है |
क्रिकेट में फिक्सिंग का यह पहला कोई मामला सामने नहीं आया है | २००० में हेन्सी क्रोनिए और गिब्ब्स वाला दौर भी जेहन में बना है जब अजहर, प्रभाकर, जडेजा, मोगिया का नाम फिक्सिंग के दलदल में सीधे उछला था जिसके बाद इन सभी पर प्रतिबन्ध लगाए गए | शारजाह उस दौर में सटोरियों की शरणस्थली  बन गया जिसके बाद वहाँ  पर मैच खेलने प्रतिबंधित कर दिये गए | पिछली बार लन्दन में पाक खिलाडियों का नाम भी फिक्सिंग के चलते बदनाम हुआ जिसके बाद उनकी टीम से छुट्टी कर दी गई लेकिन उसके बाद भी फिक्सिंग का दौर थमा नही | आई पी एल के पिछले सीजन में भी मोहनीश मिश्रा , टी पी ,अमित यादव , शलभ, अभिनव बाली को एक स्टिंग में पकड़ा गया जिसके बाद उन पर आई पीएल में एक साल का प्रतिबन्ध लगा दिया गया था | उसके बाद बी सी सी आई ने काह भविष्य में आई पी एल मैचो में अब फिक्सिंग नहीं हो पाएगी क्युकि अब बी सी सी आई ने एंटी करप्शन विंग बना दी है जो यह  सारे मामले पकड़ लेगी लेकिन हैरत की बात तो यह है इस बार आई पी एल के मैचो में क्या इस कमेटी को सांप सूंघ गया था ?  तीन खिलाडियों ने तो बकायदा नए नवेले तरीको से स्पॉट फिक्सिंग का ताना बाना बुना जिसमे तोलिये, लाकेट और कलाई की घडी से मुनाफे का भारी खेल चंद ओवेरो में खेला |



दरअसल इस देश में क्रिकेट एक बड़े बजार का रूप ले चुका है | इसे बाजार का रूप देने में मीडिया की भी बड़ी भूमिका रही है | क्रिकेट खिलाडियों की छवि विज्ञापन जगत में ऐसे ब्रांड का रूप ले चुकी है जिसमे दिखने वाले ग्लैमर के बाद आम आदमी उस प्रोडक्ट की और खिंचा चला आता है | वहीँ इन क्रिकेट के खिलाडियों को क्रिकेट के अलावा विज्ञापनों से और आई पी एल से करोडो की कमाई साल दर साल हो रही है साथ ही अब तो बी सी सी आई ने खिलाडियों के कई ग्रेड भी निर्धारित किये हैं जिनके अनुरूप उनको रिटायरमेंट के बाद भी पैसो की बारिश हो रही है | शायद यही वजह है इस दौर में कॉर्परेट भी अब आई पी एल के तमाशे में अपना भविष्य सुनहरा देख रहा है जहाँ अम्बानी से लेकर नाईट राईडर्स शाहरुख  सभी अपने अपने हित साधने में लगे हुए हैं | अकूत धन सम्पदा के चलते क्रिकेट अब सट्टेबाजी के लिए सबसे माकूल है | भारत में तो अब छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरो तक क्रिकेट की आड में बड़े बड़े सट्टे नुक्कड़ चौराहों में खेले  जा रहे हैं लेकिन यह पहला मौका है जब आई  पी एल के उस आयोजन में जिसमे कारपोरेट ने अपना सब दाव पर लगाया है जहाँ  दाऊद   सीधे दुबई और कराची सरीखे शहरों में बैठकर अपना हित  सट्टेबाजो  के आसरे साध रहा है  वहीँ फटाफट क्रिकेट का यह आई पी एल संस्करण ज्यादा दर्शक वर्ग को जहां खीच रहा है वहीँ क्रिकेटर भी यह जान रहा है टीम इंडिया में जगह बनाना इस दौर में कितना मुश्किल है और सेलेक्टर किस तरह अपने अपने राज्यों के खिलाडियों को टीम में जगह देते हैं यह किसी से इस दौर में  छुपा नहीं है | ऐसे में खिलाडी कम समय में आई पी एल के जरिये पैसा कमाना चाहते हैं जहां वह दर्शकों से खिलवाड कर पैसे के तमाशे के नाम पर कुछ भी करने को तैयार खड़े दिखते हैं और आई पी एल की यह गाथा किसी कलंक कथा से कम तो इस समय नजर नहीं आती क्युकि कई सफेदपोश लोगो के नाम से पर्दा हटना अभी बाकी है जिसमे राजनेताओ के साथ कई क्रिकेटरों और हसीनाओ के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं |                       

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

क्या थे, क्या हो गये और क्या होंगे अभी..