भारत ने पीएसएलवी –सी23 रॉकेट के जरिये चार देशो के पांच उपग्रहों का सफलता
पूर्वक परीक्षण कर ना केवल बड़ी उपलब्धि हासिल की है बल्कि अन्तरिक्ष विज्ञान की
दिशा में यह कदम इसरो के लिए मील का पत्थर
साबित हुआ है | प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना जायज है इस सफलता से भारतीय वैज्ञानिको ने अपनी प्रतिभा
का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया है और इससे
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को पूरी दुनिया में मान्यता मिली है | मोदी ने भारत
के चन्द्र अभियान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का नाम गिनाते हुए उनके मंगल
मिशन का जिक्र किया | उन्होंने इस खास
मौके पर यह कहा भारत के वैज्ञानिको ने पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा
मनवाया है और अब हम मंगल मिशन की तरफ मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं |
इतिहास के पुराने पन्नो की
तरफ झांकें तो भारत ने 1975 में रूसी यान के माध्यम से आर्य भट्ट का सफल परीक्षण
कर अपने कदम अन्तरिक्ष में बढाये तब से इसरो ने इस दिशा में काफी प्रगति कर ली है |
चार विकसित देशो के उपग्रह आज अन्तरिक्ष में भेजने का काम अपने दम पर कर इसरो ने अपनी कामयाबी के झंडे पूरी दुनिया के सामने गाढ़
दिए हैं | हाल के वर्षो में भारत का नाम अगर पूरी दुनिया में बन रहा है तो इसका
बड़ा कारण यहाँ की प्रतिभा और मेधा है | हमारे वैज्ञानिको की लगन और मेहनत का फल है
आज अंतरिक्ष की इस ऊँची उड़ान में भारत सरीखा विकासशील देश उन विकसित देशो की जमात
में खड़ा हो गया है जो हमसे बहुत आगे खड़े थे | यह पल इस मायने में भी ख़ास है क्युकि
कम लागत में उपग्रह प्रक्षेपण की इतनी सस्ती सेवाएं अन्य देशो में उपलब्ध नहीं है
जितनी भारत में हैं | एक अनुमान के मुताबिक भारत के मंगल अभियान में साढे चार सौ
करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जो काफी कम है वहीँ यह उपलब्धि इस बात को भी
बतलाती है अगर भारतीय प्रतिभाओ को सुविधाएं और प्रोत्साहन दिया जाये तो अन्तरिक्ष
में वह सिरमौर बनने का माद्दा रखते हैं | इसरो
की कामयाबी का परिणाम है आज भारत ने इस अन्तरिक्ष अभियान से न केवल आर्थिक लाभ
कमाया है बल्कि अमरीका और रूस के साथ ही यूरोपीय देशो को कड़ी टक्कर दी है |
अन्तरिक्ष कार्यक्रम में भारत का यह बढ़ते कदम निश्चित ही अब मौसम में होने वाले बदलाव से पूरी दुनिया को वाकिफ करा सकेंगे जिससे अन्तरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को भी समझने में मदद मिल सकेगी , साथ ही मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में यह मददगार हो सकेंगे | तकनीक और विज्ञान के आसरे ही कोई भी देश उन्नति कर सकता है इसका ध्यान रखना जरुरी है | आज सरकार की कोशिश शोध को बढ़ावा देने और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की होनी चाहिए | आज बड़े पैमाने पर हमारे यहाँ की प्रतिभा का ब्रेन ड्रेंन हो रहा है जो हमारे लिए चिंता की बात है | इस समय प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए कुछ कदम सरकार को उठाने होंगे |
विज्ञान और तकनीक को लोकप्रिय बनाकर उसे प्रोत्साहित कर ही हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है | यह बात प्रधानमंत्री मोदी भी बखूबी महसूस कर रहे हैं शायद तभी मोदी ने ‘ये दिल मांगे मोर’ का नारा दिया और वैज्ञानिको से ऐसा दक्षेस उपग्रह विकसित करने को कहा जिसे अपने पडोसी देशो को उपहार के तौर पर समर्पित किया जा सके | जो भी हो अन्तरिक्ष के बड़े बाजार में इस उपलब्धि ने भारत का मान बढाने का काम तो किया है साथ ही सेटेलाईट और प्रक्षेपण में भी भारत की धाक जमा दी है |
अन्तरिक्ष कार्यक्रम में भारत का यह बढ़ते कदम निश्चित ही अब मौसम में होने वाले बदलाव से पूरी दुनिया को वाकिफ करा सकेंगे जिससे अन्तरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को भी समझने में मदद मिल सकेगी , साथ ही मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में यह मददगार हो सकेंगे | तकनीक और विज्ञान के आसरे ही कोई भी देश उन्नति कर सकता है इसका ध्यान रखना जरुरी है | आज सरकार की कोशिश शोध को बढ़ावा देने और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की होनी चाहिए | आज बड़े पैमाने पर हमारे यहाँ की प्रतिभा का ब्रेन ड्रेंन हो रहा है जो हमारे लिए चिंता की बात है | इस समय प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए कुछ कदम सरकार को उठाने होंगे |
विज्ञान और तकनीक को लोकप्रिय बनाकर उसे प्रोत्साहित कर ही हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है | यह बात प्रधानमंत्री मोदी भी बखूबी महसूस कर रहे हैं शायद तभी मोदी ने ‘ये दिल मांगे मोर’ का नारा दिया और वैज्ञानिको से ऐसा दक्षेस उपग्रह विकसित करने को कहा जिसे अपने पडोसी देशो को उपहार के तौर पर समर्पित किया जा सके | जो भी हो अन्तरिक्ष के बड़े बाजार में इस उपलब्धि ने भारत का मान बढाने का काम तो किया है साथ ही सेटेलाईट और प्रक्षेपण में भी भारत की धाक जमा दी है |
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