Wednesday 16 July 2014

जर्मनी ने मार लिया फुटबाल का मैदान

                  

अर्जेंटीना को 1-0 से शिकस्त देकर जर्मनी ने फीफा वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया क्युकि पहली बार लैटिन अमरीकी धरती ने चैम्पियन बनने का स्वाद न केवल चखा  बल्कि जर्मनी के एकीकरण के बाद यह पहला फुटबाल विश्वकप का  खिताब है जो उसने अपने नाम किया है | इससे पहले तीन बार जर्मनी की टीम विश्व कप के फाइनल को अपने नाम कर चुकी है  और  फाइनल अपने नाम कर वह चौथी बार खिताब पर कब्ज़ा करने में सफल रही | इस विश्व कप में जर्मनी की  अपने युवा खिलाडियों से सजी टीम ने  पूरी दुनिया को प्रभावित किया और हर मैच में अपने आकर्षक खेल से करोडो फ़ुटबाल प्रेमियों का दिल जीत लिया | 

सेमीफ़ाइनल में  ब्राजील पर  7 -1 की विजय के बाद न केवल जर्मन खिलाडियों के हौंसले बुलंद थे बल्कि इस जीत के बाद फ़ाइनल में वह अर्जन्टीना पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने में सफल हुई | जर्मनी और अर्जन्टीना के बीच खेले गए फ़ाइनल मैच का रोमांच अंतिम समय तक बना रहा क्युकि निर्धारित नब्बे मिनट के खेल में कोई भी टीम गोल करने में कामयाब नहीं हो सकी जिस कारण मैच  तीस मिनट के एक्स्ट्रा टाइम तक जा पंहुचा और  जर्मन खिलाडी मारियो गोएट्जे ने मैच के 113 वे मिनट में गोल दागकर मैच में जर्मनी को एकमात्र  गोल की  बढ़त दिलाने का काम किया जिसने  उसे जीत का करीब पहुचा दिया | जर्मनी के कोच जोकिम लोउ ने मिरास्लोव क्लोजा की जगह मारियो को जैसे ही मैदान में उतारा वैसे ही इस युवा खिलाडी ने फाइनल में अपने करिश्मे से सबका दिल जीत लिया |  इसमें कोई दो राय नहीं इस बार के फीफा विश्व कप के हर मैच में अर्जन्टीना की टीम ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया लेकिन फ़ाइनल में टीम बहुत ज्यादा डिफेंसिव हो गई जिसके चलते अंतिम समय में टीम की रक्षापंक्ति बिखरती नजर आई | 

जर्मनी की टीम इससे पहले  1954. 1974 और फिर 1990 में फीफा चैम्पियन रही है | 2014 के फाइनल मैच में भी मुकाबला बहुत रोमांचक रहा और अर्जन्टीना की टीम ने जर्मनी की टीम को कड़ी टक्कर दी शायद यही वजह रही जर्मनी गोल बनाने के कई मौको को गंवाती नजर आई  वहीँ अर्जन्टीना की टीम इस विश्व कप में लियोनल मैसी पर ज्यादा निर्भर रही जिसकी कीमत उसे फाइनल मैच में चुकानी  पड़ी | जर्मन रक्षा पंक्ति के निशाने पर  मैसी रहे जिनको कई मौको पर रोककर जर्मनी ने मैच में अपनी पकड़ मजबूत की वही जर्मनी की टीम ने अपने टिकी –टाका खेल से इस विश्व कप में नई इबारत गढ़ने का काम किया और यह बता दिया अगर छोटे छोटे पासो के साथ खेला जाए तो विपक्षियो को उनकी रक्षापंक्ति के साथ भेदा जा सकता है | 

इस विश्व कप में अर्जन्टीना की टीम मैसी पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गयी जिसके चलते फाइनल में भी मैसी पर दबावों का ऐसा पहाड़ खड़ा हो गया जिसके बोझ तले वह अपना वास्तविक खेल खेलने में नाकाम रहे | फ़ाइनल मैच देखने ब्राजील पहुचे अर्जन्टीना  के करोडो समर्थको को यकीन ही नहीं हो रहा था क्या यह वही मैसी हैं जो अपने लाजवाब खेल के लिए जाने जाते रहे हैं | फाइनल मैच के अंतिम समय में गोएट्ज के एक गोल दागने के बाद मैसी को एक सुनहरा मौका बराबरी पर आने के लिए मिला लेकिन वह मौका चूक गए शायद इसकी बड़ी वजह यह रही खेल में किसी भी खिलाडी का दिन होता है और फ़ाइनल मैसी का दिन नहीं था और उनके करोडो समर्थक उनके प्रदर्शन से निराश हो गए | फ़ाइनल मैच में अपने स्टार खिलाडी के न चलने का गम क्या होता है यह अर्जन्टीना के समर्थको के हाव भावो को देखकर समझा जा सकता है जिनकी आँखों में मायूसी के  आंसू नजर आ रहे थे | 

जर्मनी की टीम ने 24 बरस के लम्बे इन्तजार के बाद इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया | इस विश्व कप में जर्मनी के पास मूलर, क्लोजा , ओजिल सरीखे खिलाडियों की तिकड़ी थी जो किसी भी पल मैच का रुख अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रही थी लेकिन फाइनल में सारे सूरमा विपक्षियो के आगे फीके पड़ गए | वैसे भी जर्मनी की टीम का दुर्भाग्य यह रहा कई मौको पर जर्मनी की टीम वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेलती आई थी लेकिन फाइनल में या तो वह बाहर हो जाती थी या फ़ाइनल में वह रनर अप  टीम रहती थी लेकिन इस बार भाग्य ने जर्मनी के खिलाडियों का साथ बखूबी दिया और फ़ाइनल में खिलाडियों की टीम स्प्रिट ने एक नया जज्बा जगाया जिसको अर्जन्टीना की टीम सही से हैंडल करने में कामयाब नहीं हुई | हार के बाद मायूसी मैसी के चेहरे पर साफ़ झलक रही थी | भले ही मैसी गोल्डन बाल का अवार्ड जीतने में कामयाब रहे लेकिन पेले और मेराडोना के सपने को साकार नहीं कर सके यह सवाल उन्हें अब बार बार कचोटता रहेगा जब जब वह मैदान में फ़ुटबाल लेकर जायेंगे |

    यह फीफा विश्वकप कई मायनों में इस बार खास रहा | मैचो में रोमांच बना रहा और कई मजबूत समझे जाने वाली पिछली विश्व कप विजेता स्पेन सरीखी  टीम की  लीग मैच में ही विदाई हो गयी | वहीँ कोस्टारिका सरीखी टीम ने इंग्लैंड ,इटली का बोरिया बिस्तरा बाध दिया और अपनी ख़ास छाप छोड़ी  |  फ्रांस , हालैंड , ब्राजील और कोलंबिया अंतिम आठ में जगह बनाने में सफल जरुर हुई लेकिन इसके बाद उनकी आगे की डगर कठिन हो गयी | कोलंबिया के रोड्रिगेज  ने 6 गोल बनाकर गोल्डन बूट भले ही अपने नाम कर लिया लेकिन ब्राजील से हारकर  वह कोई बड़ा उलटफेर करने में कामयाब नहीं रही | 

स बार कई सितारे जहाँ बुलंदियों के शिखर पर जा पहुचे वहीँ कई ऐसे भी रहे जिनका जादू फीका रहा | क्लोजा , मूलर, रोबेन ,मैसी  , स्नाइडर ने जहाँ प्रशंसको के दिलो में अपनी जगह बनाई वहीँ क्रिस्टियानो रोनाल्डो,  पिक , कैसिलास , बालोटेली, स्टीवन सरीखे खिलाडियों की चमक फीफा में फीकी पड़ी | वहीँ जर्मनी के खिलाडी क्लोजा के लिए यह साल ऐतिहासिक रहा जब उन्होंने रोनाल्डो द्वारा विश्व कप में बनाये गए 15 गोलों का रिकॉर्ड तोड़ दिया | एक महीने से ज्यादा समय से चला यह  फीफा विश्व कप कई सुनहरी यादो के साथ कडवी यादें भी छोड़ गया | 


ब्राजील की  अपने घर में जर्मनी के हाथो  करारी हार से शायद ही  उसके प्रशंसक आने वाले दिनों में उबरे जिसने फ़ाइनल में पहुचने से उसे रोक  दिया |  यही नहीं उसके स्टार खिलाडी नेमार की रीड की हड्डी में फेक्चर ने भी करोडो प्रशंसको का दिल तोड़ दिया जो ब्राजील को इस विश्व कप में प्रबल दावेदार बता रहे थे |  वहीँ सुआरेज चिलिनी को काटने के विवाद ने फ़ुटबाल की खेल भावना को ही इस बार  तार तार कर दिया | यह फीफा पर एक बड़ा कलंक हैं जिससे शायद ही वह कभी उतर पाए | वहीँ भ्रष्टाचार और फिक्सिंग के साए में फीफा के डूबे रहने की खबरों ने खेल भावना पर न केवल सवाल उठाये बल्कि फ़ुटबाल की सबसे बड़ी संस्था को अपने गिरेबान में झांकने को मजबूर कर दिया | 


जो भी हो विश्व कप आयोजन से पूर्व ब्राजील में खेल की तैयारियों को लेकर कई तरह के सवाल जरुर उठाये गए लेकिन ब्राजील ने अपने शानदार आयोजन से इस विश्व कप को यादगार बना दिया | ब्राजील में विश्व कप के दौरान खास तरह का चकाचौंध देखने को मिला | पूरा शहर रात में रौशनी से नहाया लग रहा था |  टिकट को लेकर मारामारी भी खूब मची और फाइनल में तो टिकटों की कालाबाजारी
भी चरम पर पहुच गयी जहाँ टिकट पाने के लिए लोगो को अपनी जेबें भी गरम करनी पड़ी |  एशिया में भी फीफा का जलवा देखने को मिला | लोगो ने जमकर देर रात तक जागकर  टी वी स्क्रीनों में  मैच का लुफ्त उठाया | 

भारत में भी करोडो लोगो ने इस बार फीफा के मैचो का आनंद अपने घर में लिया और बता दिया क्रिकेट के अलावे  फ़ुटबाल  की दीवानगी भी यहाँ सर चढ़कर  बोल रही है | ‘क्रिकेट चालीसा’ टी वी में अब तक चलाते रहे भारतीय समाचार चैनलों ने भी पहली बार फुटबाल विश्व कप के मैचो को लेकर अपने विशेष प्रोग्राम चलाये जिस कारण लोगो में फुटबाल के मैचो को लेकर विशेष उत्सुकता देखने को मिली |  भारतीय टी वी चैनलों का यह संकेत खेलो की सेहत के लिए कम से कम बहुत अच्छा  कहा जा सकता है |  अगर क्रिकेट से इतर अन्य खेलो के लिए मीडिया इसी तरह की कवरेज को प्रमुखता दे तो सभी खेलो के ‘अच्छे दिन `’ जल्द  आ सकते हैं |  

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