" जब हमला हुआ उस वक्त हम पढ़ाई कर रहे थे। फायरिंग की आवाज सुनते ही हमारे शिक्षक ने कहा कि स्कूल के बाहर किसी तरह की ड्रिल हो रही है चिंता की जरूरत नहीं है लेकिन फायरिंग लगातार तेज होती गई। उसके बाद गोलीबारी की आवाज धीरे-धीरे हमारे करीब आती गई। तभी कुछ दोस्तों ने क्लास की खिड़की खोली और उसके बाद खौफनाक मंजर सामने आया। मैं रोने लगा क्योंकि फायरिंग के दौरान कुछ बच्चे क्लास के बाहर जमीन पर लेट गए थे। सभी दहशत में थे। हमारे दो सहपाठी दहशत में क्लास से बाहर निकले और हमारे सामने आतंकियों ने उनको गोली मार दी।शिक्षक ने छात्रों को स्कूल के पिछले गेट की ओर भागने को कहा। क्लास से गेट करीब 200 मीटर दूर था।बाहर निकल कर हम स्कूल वैन में बैठ गए और ड्राइवर ने बताया कि हमारे स्कूल के साथी मार दिए गए हैं और अब वे जन्नत चले गए "
यह दास्ताँ 10 वर्षीय इरफ़ान की है जो पेशावर के आर्मी स्कूल में पढाई करते थे और कल तालिबानी दहशतगर्दों के हमले के सीधे गवाह बने । हफ्ता भर पहले जिस मलाला को उसके जज्बे के लिए नोबल सरीखे पुरस्कार से नवाजा गया था किसी ने सोचा भी नहीं होगा उसी मलाला के देश पाकिस्तान में आतंक का ऐसा क्रूर चेहरा नजर आएगा जिसका मंजर पेशावर ने कभी नहीं देखा होगा । बच्चो पर हमला कितना भीषण जघन्य था इसका पता पाक के टी वी चैनलों में काम करने वाले एंकर से लेकर रिपोर्टर्स की आँखों से छलक रहे आंसू बयां थे । हर तरफ लाल रंग नजर आ रहा था । लाशो का ढेर और बिलखते परिजनों की आवाजें पेशावर के दिल को झकझोर रही थी । यह हमला कितना कातिलाना था और बच्चो पर किया गया यह सबसे भीषण हमला था जो पूरी दुनिया ने कभी टी वी चैनलों में एक्सक्लूसिव नहीं देखा । जिस पेशावर को उसके सतरंगी रंग के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता था पिछले 24 घंटे से वही पेशावर आतंकी हमले से ऐसा सहमा हुआ है कि हर तरफ बस्ती में सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा है ।
अपने बच्चो को खोने का क्या गम होता है यह उन माँ बाप की पथरायी हुई आँखें बता रही हैं जिन्होंने अपने बच्चों को बड़े दुलार के साथ तैयार कर सुबह स्कूल भेजा था । कुछ घंटों बाद उन्हीं की खून से सनी लाश देखकर वे अपने होश ही खो बैठे। पाकिस्तान के पेशावर के आर्मी स्कूल में पाक तालिबानी आतंकियों ने हैवानियत की सभी हदें पार करते हुए 132 बच्चों समेत 141 लोगों को मौत के घाट उतार कर ऐसा काम किया जिससे पूरी इंसानियत ही शर्मसार हो गयी है । पैरामिलिट्री फोर्स की वर्दी पहने 7 आतंकी स्कूल के पीछे की दीवार फांदकर अंदर घुसे और क्लास रूम के भीतर में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी । जब एक शिक्षिका ने बच्चों को बचाने की कोशिश की तो तालिबानी वहशियों ने उसे जिंदा ही जला दिया । इससे अनुमान लगाया पेशावर का यह हमला कितना कायराना और वीभत्स रहा होगा ।
तालिबानी हमले के बाद किसी तरह जिन्दा बचे लोगों ने तालिबानी दहशतगर्दों के आँखों देखा हाल बताया है उसकी यादों से शायद ही वह कभी बाहर आ पाएं । कल सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे रोज की तरह अपनी क्लास में अन्य बच्चों के साथ बैठे थे तभी तालिबान के बंदूकधारी आतंकियों ने स्कूल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी । पाकिस्तान के पेशावर में एक आर्मी पब्लिक स्कूल पर तालिबान के बर्बर हमले ने आतंक का सबसे खौफनाक चेहरा पूरी दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया है। तालिबान के चंद आतंकी एक स्कूल में घुसकर कई घंटे तक वहशियाना तरीके से बच्चों को निशाना बनाते रहे। तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इसे पाकिस्तानी फौज की उसके खिलाफ खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में की जा रही कार्रवाई का बदला बताया है लेकिन यह हमला साफ संकेत है कि पाक में तालिबान आतंकियों के हौसले अभी भी पस्त नहीं हुए हैं। जिस तरह आतंकियों ने स्कूल में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है । खुद ना खास्ता ऐसी बर्बरता दुनिया कहीं देखने को फिर कभी मिले ।
कहा जा रहा है नार्थ वजीरिस्तान में पाकिस्तानी फौज ने आतंकियों के खिलाफ जर्ब-ए-अर्ज जबसे चलाया था उससे तालिबान आतंकियों के छक्के छूट गए उसी की प्रतिक्रिया में यह हमला उसी पेशावर में हुआ जहाँ आर्मी में नौकरी करने वाले लोगों के बच्चे बड़ी तादात में पढ़ाई करते थे । यह पहला मौका नहीं है जब आतंकियों ने स्कूलों को निशाना बनाया है। बच्चों, महिलाओं की शिक्षा से तालिबान आतंकियों को नफरत है सो इन पर भी वह घात लगाकर कहीं भी हमले करने से बाज नहीं आते हैं । मलाला यूसुफजई ने जिस तालिबान को आईना दिखाने की कोशिश की उसी तालिबान के लड़ाकों ने एक बार फिर बच्चो को कहीं का नहीं छोड़ा । खैबर पख्तूनख्वा , स्वात घाटी और फाटा के इलाके में अक्सर स्कूलों पर तालिबान हमले करते रहे हैं । यह ताजा हमला तब हुआ है जब मलाला ने नोबल पुरस्कार ग्रहण कर वापस मुल्क लौटने और अपने इलाके में महिलाओं के लिए कई स्कूल खोलने की बात कही थी । नोबल मिलने के बाद से तालिबान के दहशतगर्द बौखलाए हुए हैं और शायद अब आने वाले दिनों में महिलाओ से लेकर बच्चो को निशाना बनाने में शायद ही पीछे रहे । मलाला को नोबल मिलने के बाद से ही पाक में तालिबान ने बड़ी धमकी हमलो को लेकर दी थी लेकिन ख़ुफ़िया एजेंसियां हाथ पर हाथ धरी रह गयी और पेशावर का आर्मी स्कूल निशाने पर आ गया ।
यह घटना पाकिस्तान की सेना और सरकार की नाकामी को भी उजागर करती है जिसने तालिबान को फलने-फूलने का पूरा मौका पिछले कई बरसो से दिया है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस हमले को राष्ट्रीय आपदा बताया है तो इमरान खान ने भी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं लेकिन सियासतदानों को यह समझना होगा कि अब समय आ गया है आतंक के खिलाफ सभी एकजुट होकर लड़ें । पेशावर में हुए हमले से पहले सिडनी में एक कैफे में कुछ लोगों को बंधक बनाने की घटना बताती है कि आज कैसे आतंकवाद एक वैश्विक खतरा बन गया है । इस वैश्विक खतरे का पूरी दुनिया को मुकाबला करना होगा । आतंक का कोई मजहब नहीं होता ना रंग होता है । पेशावर में मारे गए निरीह बच्चों की मौतें इस बात की तस्दीक कराती हैं ।
इस हमले के लिए मुख्य रूप से पाकिस्तान ही जिम्मेदार है। जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे । पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से त्रस्त कहता है लेकिन वहां सेना और सरकार ने हर आतंकी गुटों को पनाह दी है। मुंबई में 26/11 के हमलो में भी पाक की संलिप्तता पूरी दुनिया के सामने ना केवल उजागर हुई थी बल्कि पकडे गए आतंकी कसाब ने यह खुलासा भी किया हमलो की साजिश पाकिस्तान में रची गई जिसका मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद था । हमने मुंबई हमलो के पर्याप्त सबूत पाक को सौंपे भी लेकिन आज तक वह इनके दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया है । आतंक का सबसे बड़ा मास्टर माईंड हाफिज पाकिस्तान में खुला घूम रहा है और भारत केखिलाफ लोगो को जेहाद छेड़ने के लए उकसा भी रहा है लेकिन आज तक पाक हाफिज मसले पर ढील ही देता रहा है यही कारण है वहां की सरकार उसे पकड़ने में नाकामयाब रही है बल्कि आतंकवाद के खिलाफ कोई नीति ही तैयार नहीं कर सकी है । 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हमले के बाद उसके जमात उद दावा ने कश्मीर के ट्रेंनिग कैम्पों में घुसकर युवको को जेहाद के लिए प्रेरित किया । अमेरिका द्वारा उसके संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने और उस पर करोडो डालर के इनाम रखे जाने के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने उसे कुछ दिन लाहौर की जेल में पकड़कर रखा और जमानत पर रिहा कर दिया । आज पाकिस्तान उसे पाक में होने को सिरे से नकारता रहा है जबकि असलियत यह है पुंछ में हाफिज की संलिप्तता कई बार उजागर भी हुई है । पाकिस्तान के कब्जे वाले पी ओ के में हाफिज का जबरदस्त प्रभाव है जो अभी पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के साथ भारत में घुसपैठ बढाने की कार्ययोजना को तैयार कर रहा है ।बीते बरस भारत दौरे पर आये रहमान मालिक से जब 26 /11 के बारे में हमने पूछा तो उन्होंने कहा इवाइडेंस और आरोपों में भेद होता है । अगर भारत सबूत पेश करता है तो पाक 26/11 के दोषियों को सजा देगा । लेकिन यह कैसा सफ़ेद झूठ है । भारत तो पहले ही पाक को सभी सबूत पेश कर चुका है लेकिन पाक उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं करता ? हर घटना में अपना हाथ होने से नकार करना पाक का शगल ही बन गया है लेकिन जब पेशावर में तालिबानी कार्यवाही हुई तब जाकर पाक को आतंकी रंग नजर आया ।
आज पाक का पूरा ध्यान अपने अंदरूनी झगडो और तालिबान में लगा है । उसे लगता है अगर ऐसा ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में कश्मीर उसके हाथ से निकल जायेगा । अतः ऐसे हालातो में वह अब लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन तालिबानी कठमुल्ला जैसे संगठनो को पी ओ के में भारत के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ने के लिए उकसा रहा है जिसमे कई कट्टरपंथी संगठन उसे मदद कर रहे हैं । पाक की राजनीती का असल सच किसी से छुपा नहीं है । वहां पर सेना कट्टरपंथियों का हाथ की कठपुतली ही रही है । नवाज सरकार तो नाम मात्र की लोकत्रांत्रिक है असल नियंत्रण तो सेना का हर जगह है । पाक इस बार यह महसूस करना ही होगा अगर समय रहते उसने तालिबान के खिलाफ अपनी जंग शुरू नहीं की तो पाकिस्तान में अंदरुनी हालत चिंताजनक हो सकते हैं और हालात ऐसे ही रहे तो पाकिस्तान एक बड़े विभाजन की तरफ भी बढ़ सकता है । ओसामा के एबटाबाद में मारे जाने की घटना के बाद पाकिस्तान में स्वात ,पेशावर सरीखे इलाको में तालिबानी लडाको ने अपने पैर मजबूती के साथ जमाने शुरू कर दिए जिनके खात्मे के लिए अमेरिका ने पाक की सरकार की मदद ली और आज तक वहां की तस्वीर लाल खून से लथपथ ही नजर आती है | आतंक के खात्मे के लिए अमेरिका ने पाक की सरकार की मदद ली और आज तक वहां की तस्वीर लाल खून से रंगी है |
असल में तालिबानी लडाको और दहशतगर्दो को यह रास नही आ रहा अमेरिका की फौज पाक की सीमा मे घुसकर उनको अपने निशाने पर ले शायद यही वजह है कि पाक सरकार का अमरीका की तरफ झुकाव उसको नही सुहा रहा है और ईट का जवाब पत्थर से दिए जाने की कोशिशो में पाक मे आए दिन बम विस्फोट हो रहे है | मुशर्रफ़ के जाने के बाद डेरा इस्माईल खान और आयुध कारखाने मे बड़े विस्फोट जहाँ हुए वहीँ मिया नवाज के आने के बाद भी मस्जिदों से लेकर सेना के आयुध कारखानो को निशाने पर लिया गया है | खैबर से लेकर क्वेटा वजीरिस्तान से लेकर कराची , स्वात घाटी और रावलपिंडी सब जगह तालिबानी आतंकियों ने लोगो को अपने निशाने पर लिया है | इन विस्फोटों में सबसे ज्यादा तहरीके तालिबान सामने आया है जो तालिबानी लडाको को लेकर पाक में अपना कहर बरपाते रहता है | अफगानिस्तान में रहने वाले तालिबानी लडाको का यह संगठन है जिसकी उत्तरी कबीलाई इलाको पर मजबूत पकड़ है । 2013 में हकिमुल्ला मसूद की हत्या के बाद से ही इसकी कमान मौलाना फजउल्लाह को सौंपी गई जिसने अफगानिस्तान से सटी पाकिस्तानी सेना की जवाबी कार्यवाहियों के जवाब में पाकिस्तान के भीतर दहशत का वातावरण बनाने में देरी नहीं लगाई| आज आलम यह है सेना के पूरे दखल के बावजूद भी तालिबानी आतंक पाक को अन्दर से खोखला करने पर तुला हुआ है और अब खुद ही नासूर बन गया है | अमेरिका के कई मानवरहित विमान आज पाक मे डेरा डाले हैंजो कट्टरपंथियों को सीमा पर जाकर सबक सिखा रहे हैं इसके जवाब में तालिबानी पाक में कहर बनकर टूट रहे हैं जिसमे पाक के बेगुनाह नागरिक हलाक हो रहे हैं | यही नहीं कट्टर पंथियों के हाथ पाक में दिनों दिन मजबूत होते जा रहे है | यह नवाज शरीफ के लिए भी सियासत का एक गंभीर संकट बन चुका है | अभी कई बरस पहले पाक का आलीसान मेरियट होटल तालिबानियों के निशाने पर रहा | इस हमले मे भी कई लोग हलाक हुए | इसके बाद लाल मस्जिद से लेकर खैबर , फाटा , क्वेटा, वजीरिस्तान कराची , स्वात घाटी और रावलपिंडी सरीखे शहर तालिबानियों के निशाने पर रहा । सद्दाम हुसैन को फासी होने और फिर इराक पर कब्जा ज़माने के बाद से ही पाक , कट्टरपंथियों और तालिबानियों
की आँखों में खटक रहा है यही कारण है वहा पर कई भीषण हमले हो चुके है | आज पाक मे कानून नाम कीकोई चीज नही रह गयी है | कोई भी कभी वहां पर दहशतगर्दों की भेट चढ़ सकता है | सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात होने के बावजूद वहा कोई भी घुसपैठ कर सकता है | यह पाक के भविष्य के लिए अशुभ संकेत है | सरकार होने के बाद भी वहा पर सेना की राह आज भी अलग दिख रही है | वह यह नही चाहते किसी सूरत पर पाक के अन्दर अमेरिका की सेनाये जाए जहाँ पर कट्टर पंथी लोग छिपे है लेकिन ओबामा का फरमान मानने को सेना को मजबूर होना पड़ रहा है | सरकार और पाक के सेना दोनों अभी तक यह तय नही कर पा रहे हैं आतंक के खिलाफ जंग में किसका साथ दिया जाए? पाक मे ओबामा ने सेना को ड्रोन हमले करने की अनुमती दे डाली है फिर इसके लिए चाहे उनको पाक के सीमा के अन्दर ही क्यों न घुसना पड़े | यही चीज तालिबानियों के गले की फाँस बन चुकी है | जब भी पाक की तरफ से कठोर कार्यवाही तालिबानियों के खिलाफ की जाती है उसकी प्रतिक्रिया में भी तालिबानी लडाके बम विस्फोट से अपना जवाब देते नजर आते हैं और हमलो के बाद जिम्मेदारी लेने से भी पीछे नहीं हटते | कल के इस हमले ने फिर इस बात की तस्दीक सही मायनों में कर डाली है | तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने मंगलवार को पेशावर में किए गए हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए इसे सही ठहराने की कोशिश की है । पाकिस्तानी फौज के नए मुखिया राहिल शरीफ ने पद संभालते समय साफ कहा था कि पाकिस्तान को खतरा बाहर से नहीं बल्कि मुल्क के भीतर से है। पेशावर के हमले पर उनकी कही बातें सोलह आने सच साबित हो रही है ।
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