Friday 30 October 2015

युवा दिलों की धड़कन बनता ऍफ़ एम




यह नजारा मेट्रो से लगी दिल्ली की एक झुग्गी झोपड़ी का है जहाँ पर कई कामगार मजदूरों की टोली मेट्रो ट्रैक बिछाने के काम में सवेरे से आ जाती है और दिन की शुरुवात से पहले मामू के खोमचे के पास चाय और नाश्ते को लेकर भीड़ लगाए रहती है | अब यह भीड़ उस समय अधिक बढ़ जाती है जब क्रिकेट मैच चल रहा होता है | भारत और अफ्रीका के बीच चौथे वन डे मैच शुरू हो गया है | विराट कोहली मैच के तीसरे ओवर में सिक्स लगा देते हैं | रोमांच पैदा होता है | आस पास इंडिया जीतेगा के नारे चल निकलते हैं और विराट और रैना के चौक्कों और छक्कों के बीच भारत तेजी से 100 रन बना लेता है तो मामू की दुकान पर पहली बार देश प्रेम दिखता है जहाँ पूरे मजदूरों की टोली जश्न से सरोबार हो उठती है और यह वाकया यह भी बताता है क्यों क्रिकेट गली गली में खेला जाता है और क्यों देवताओं की भांति क्रिकेटरों को हमारे देश की जनता पूजती है ? उनके अच्छे खेल के लिए जनता न केवल हवन करती है बल्कि हर पल सिर्फ भारत की जीत की ही दुआ करती दिखाई देती है |

 शाम ढलते ढलते जब भारत मैच पर पकड़ आना लेता है और अफ्रीका की टीम हार की तरफ बढती है तो फिर यह मजदूरों की टोली मामू की दुकान में कमेन्टरी सुनने एकत्रित हो जाती है और भारत के जीतने पर नाच गाकर जश्न मनाती है |  यह तो महज एक बानगी भर है | आज आपको ऐसे लोग हर इलाके में मिल जायेंगे जिनके दिन की शुरुवात ऍफ़ एम से होती है |

 दीपा कॉल सेण्टर में काम करती है | नोएडा सुबह 5 बजे जाना है लेकिन इतने सुबह मेट्रो नहीं मिल पाती सो उसके दफ्तर से कैब लेने आ जाती है | झटपट उठकर वह कैब पकड़ने निकल पड़ती है | खाना पीना तो छोड़ो , अपना पिंक कलर का पर्स और हाथो में आई फ़ोन और कान में हैडफ़ोन लगाकर वह अपनी मंजिल को चल निकलती है | नोएडा अभी बहुत दूर है लेकिन उसके साथी ऍफ़ एम ने सुबह सुबह भजन और पुराने गाने बजाकर उसका मनोरंजन बखूबी कर दिया | हर दिन वह सफ़र में बोर नहीं होती  और तो और खाली समय में आते जाते समय वह कान में हैडफ़ोन ही लगाये रखती है | ऐसा मेट्रो शहर में ही संभव है जहाँ लोग एक दूजे से बात करना पसंद नहीं करते हैं लेकिन बसों और मेट्रो में ऍफ़ एम की बातें बड़ी  आत्मीयता से सुनते देखे जा सकते हैं |   
    
अनिमेष  काफी व्यस्त  इंसान है | वह सोते समय जागता है , जागते समय सोता है | कब पढता है ? कब खाता है ? दिन भर क्या करता है इसका कुछ भी आता पता नहीं | दिन भर के काम काज निपटाने के बाद जब वह रात को 8 से 10 के बीच राजीव चौक मेट्रो स्टेशन से नोएडा के लिए निकलता है तो उसे भी मनोरंजन के लिए कुछ चाहिए | ऐसे में मेट्रो की भीडभाड के बीच उसका जीवनसाथी  ऍफ़ एम बन जाता है | वह चाहे मेट्रो के दरवाजे में खड़ा हो या सीट के पास बैठकर डेली टाइम्स पढ़े ,गर्मी के दौरान उमस में कहीं भी फंसा रहे या डी टी सी के स्टॉप पर खड़ा होकर बाहरी मुद्रिका की प्रतीक्षा करे हर जगह उसका साथी मोबाइल और ऍफ़ एम बन जाता है |  पता नहीं दिन भर अनिमेष के कान से हैडफ़ोन बाहर क्यों नहीं निकलता ? 

यही हाल आई आई टी की कोचिंग लेने जा रहे  संदीप का है जो आर के पुरम से बस में चढ़ता है | तभी कान में ऍफ़ एम से सूचना मिलती है आज मुनिरका वाले रूट पर बड़ा जाम लगा है अब वह मेट्रो की राह जाम से बचने के लिए पकड़ता है | ऐसा करके उसने अपने समय की बचत कर ली | अगर वह बस में बैठकर जिया सराय जाता तो शायद उसकी कोचिंग के महत्वपूर्ण टापिक क्लीयर नहीं हो पाते और बहुत कुछ छूट जाता |  मोबाइल में ऍफ़ एम की सुविधा ने निश्चित ही रेडियो में नई जान फूंकने का काम किया है | पहले रेडियो के दर्शन बहुत कम मोबाइल में हो पाते थे लेकिन आज बड़े बाजार में हर कंपनी ऍफ़ एम की सुविधा लोगों को दे रही है जिसके चलते महानगरों में रेड ऍफ़ एम से लेकर रेडियो मिर्ची , रेडियो वन और मेट्रो फीवर की धूम मची हुई है | महानगरों में ऍफ़ एम चैनलों की बाढ़ आई हुई है | हर कोई चैनल लोगों को पुराने और नए नगमे ना केवल सुना रहा है बल्कि हर समस्या और खबर से लोगों को सीधे रूबरू करवा रहा है |  इस प्रकार ऍफ़ एम युवाओं की आज पहली पसंद न केवल बन गया है बल्कि हर कोई मोबाइल में ऍफ़ एम संगीत का लुफ्त उठाने में पीछे नहीं है | सही मायनों में मेट्रो शहर में नई धड़कन ऍफ़ एम बन गया है जिसे किसी भी कोने में अपनी सुविधा और समय के अनुसार सुना जा सकता है |

आने वाले दिनों में ऍफ़ एम सेक्टर में बूम आने जा रहा है | सरकार ने तीसरे चरण की ऍफ़ एम नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर ली है | अब ऍफ़ एम के दायरे को मेट्रो महानगरों से निकालकर शहर तक ले जाने की कोशिश की जा रही है | अगर ऐसा होता है तो ऍफ़ एम सेक्टर युवाओं के लिए नए रोजगार के द्वार निश्चित ही खोलेगा | ऍफ़ एम ने युवाओं को हाल के वर्षो में बहुत प्रभावित किया है और युवा भी दिल लगाकर इसके प्रसारणों का लाभ लेने में पीछे नहीं हैं | फास्ट फ़ूड संस्कृति की तरह ऍफ़ एम ने युवाओं के बीच उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यक्रम बनाने शुरू कर दिए हैं | ऍफ़ एम चैनलों के जॉकी युवा वर्ग की तमाम समस्याओं से अपने प्रोग्रामो में सीधे रूबरू हुआ करते हैं जिसे देखकर कई बार ऐसा लगा प्राइवेट चैनल से युवा वर्ग सीधा जुड़ाव महसूस करते हैं | 
 प्रधानमंत्री के मन की बात संबोधन को रेडियो पर सुनने के लिए समाज के हर तबके ने जिस तरह रेडियो का सहारा लिया उसने इस माध्यम में नए प्राण फूंकने का काम किया है | जब से आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री ने मन की बात  शुरू की है उनकी बात ऍफ़ एम चैनलों के जरिये एक बार फिर घर घर पहुंच रही है। देश का कोई ऐसा कस्‍बा ऐसा नहीं बचा है जहां से प्रधानमंत्री की  मन की बात पर  रविवार को चर्चा नहीं हो रही हो | दिल्ली  स्थित  आकाशवाणी भवन  में  हर दिन मन की बात के लिए पहुंच  रहे पत्र इस बात की गवाही दे रहे हैं लोगों को  हमारे प्रधानमन्त्री का यह  नया तरीका बेहद पसंद आ रहा है देशवासी प्रधानमंत्री की इस पहल से खासे खुश हैं और संडे की सुबह से गाँवों , कस्बों में सजने वाली महफिलों में  चर्चा के केंद्र में मन की बात ही होती है | यानी साफ़ है प्रधानमंत्री की इस नई पहल से रेडियो अपने नए रूप में एक बार फिर हमारे देश में  लोकप्रियता के शिखर पर जा रहा है और लोग आकाशवाणी और प्राइवेट ऍफ़ एम चैनलों के जरिये मन की बात का लुफ्त उठाने से पीछे नहीं हैं |

साफ़ है आज ऍफ़ एम न केवल लोगों का मनोरंजन कर रहा है बल्कि श्रोताओं के साथ सीधा जुड़ाव होने से दोनों के बीच दोस्ताना सम्बन्ध हो गए हैं | आने वाले दिनों में ऍफ़ एम की  यह नई क्रांति भारत में नया इतिहास लिखेगी इस संभावना से अब तो कम से कम हम इनकार नहीं कर सकते | सरकार की भी कोशिश है जल्द ही समाचारों की दुनिया के लिए भी प्राइवेट ऍफ़ एम चैनलों को खोल दिया जाए जिससे कि 24 घंटे के खबरिया चैनलों की तरह वहां भी लोग देश और दुनिया की बदलती तस्वीर को शब्दों के बिम्ब के आसरे महसूस कर सकें | देखना होगा इस दिशा में क्या कोई नई कामयाबी ऍफ़ एम को मिल पाती है ?      

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