खासी गहमागहमी के बाद बंगलादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग पार्टी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज कर ली है |बंगलादेश में संपन्न हलिया चुनावो ने दिखा दिया है की हार और जीत तो चुनावो के साथ लगे रहती है लेकिन असली किंग वही बन पता है जिसको जनता जनार्दन का प्यार मिलता है|इस चुनाव में जहाँ शेख हसीना की आवामी पार्टी को २२५ सीटे मिली है वही खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनल पार्टी मात्र २६ सीटो पर सिमट गई| इस लिहाज से देखे तो खालिदा की पार्टी की यह अब तक की सबसे करारी हार है| हसीना की इस जीत के कई एतिहासिक मायने है| बांग्लादेश में यह पहला अवसर है जब किसी पार्टी को इतने भारी बहुमत से जीत मिली है| इस बार के चुनाव में मतदान का परसेंट भी ज्यादा देखा गया जिस कारन लोग यह मानकर चल रहे थे की दोनों पार्टियों के बीच कडी टक्कर देखने को मिलेगी लेकिन जब चुनाव परिणाम सामने आए तो राजनीती के पंडितो के होश उड़ गए | सारे अनुमानों को धता बताकर हसीना की आवामी पार्टी बदलाव की बयार पर सवार हुई वह भी पूरे दो तिहाई बहुमत से |
बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षो से भारी अस्थिरता का माहौल रहा | इस दरमियान वहां पर सेन्य सरकार का भी नियंत्रण रहा जिससे दोनों प्रधानमंत्री भी अछूती नही रही | आपातकाल के दौर में दोनों को सलाखों के पीछे रहना पड़ा लेकिन जनता के भारी दबाव के चलते सेन्य सरकार को चुनाव करवाने को विवस होना पड़ा जिसका परिणाम आज हम लोकतंत्र की परिणति के रूप में देख रहे है| बीता साल पड़ोस में लोकतंत्र के लिहाज से भारत के लिए शुभ रहा है| इस दौरान पाकिस्तान, नेपाल , भूटान , मालदीव में लोकतंत्र स्थापित हुआ| अब नव वर्ष की इस कड़ी में हमारे लिए बांग्लादेश लोकतंत्र की नई सौगात लेकर आया है|
भारत ने १९७१ में बांग्लादेश के मुक्ति आन्दोलन में उसको सहयोग दिया जिसकी आवश्यकता वहां की स्थानीय जनता को थी | भारत शुरू से बांग्लादेश से दोस्ती का हिमायती रहा है | बांग्लादेश के पितामह शेख मुजी बुर रहमान के रहते दोनों देशो के बीच सामान्य सम्बन्ध रहे परन्तु उसके बाद पाकिस्तान पोषित आई एसआई ने दोनों मुल्को के बीच के संबंधो में तल्खियों को बढाना शुरू कर दिया |इस मिशन को पूरा करने में खालिदा जिया ने बड़ा योगदान दिया जो पाक के कट्टरपंथियों की हम दम साथी बने रही| नए युवको को आई एस आई आतंकवाद फेलाने के लिए तैयार करने में लगी रही| यही वह दौर था जब बांग्लादेश आतंकवाद की नर्सरी के रूप में जाना जाने लगा | भारत में आतंकी घटनाओ को बढावा देने के लिए भरती किए जाने वालो नौजवानों को उकसाया जाने लगा |इस दौरान भारत बांग्लादेश की खुली सीमा घुसपैठियों की पनाहगाह बनी रही जिस कारन लाखो की संख्या में लोग भारत में घुस गए | आज यही घुसपैठिये भारत के लिए बड़ी चुनोती बन गए है क्युकिइन्होने भारत की नागरिकता और राशन कार्ड प्राप्त कर लिए है | बंगलादेश सरकार इस घुसपैट की समस्या को शुरू से नकारती रही है| शेख हसीना का पिछला कार्यकाल बताता है उनका झुकाव भारत की तरफ़ ज्यादा रहा है |अब उनके प्रधानमंत्री बननेके बाद उम्मीद है वह भारत दोनों देशो के बीच सम्बन्ध सुधारने की दिशा में अपना अहम् रोल निभाएंगी| साथ ही वह बांग्लादेश में चल रही आतंकवादी गतिविधियों और आई एस आई की अति सक्रियता पर अंकुश लगाएंगी |आने वाले दिनों में कई चुनोतियों से पार पाना हसीना के लिए आसान नही रहेगा | देखना होगा वह इन सबका मुकाबला कैसे करती है ??
चुनाव में जीत के बाद हसीना ने कहा है वह बांग्लादेश की धरती को आतंकवाद की नर्सरी बन्नेपर रोक लगाएंगी|इसको भारत के लिए शुभ संकेत मान सकते है| पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में हुजी ने दिनों दिन अपना प्रभाव बढाया है | यही नही उल्फा ने भी बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया | मुंबई के घावो पर अभी मरहम भी नही लगा था की अचानक आसाम में बम धमाके हो गए|इसमे भी ऐसे कयास लगाये जा रहे है की घटना की रणनीति बांग्लादेश में बनी थी| अभी तक बांग्लादेश की सरकार कट्टरपंथियों के इसारू पर नाचती रही है| बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को पाक का बड़ा समर्थक माना जाता रहा है जिस कारन भारत के साथ उसकी गाडी पटरी पर कम बैटीइस चुनाव में जिया को आशा थी की वह फिर से वापसी कर प्रधानमंत्री बनेंगी लेकिन मतदाताओ की गुगली ने " जिया को " बेक फ़ुट " ड्राइव पर ला दिया है | अभी तक यह सवाल जिया के मन को कचोट रहा है आख़िर उनकी पार्टी से कहाँ चूक हो गई जो उनकी पार्टी २६ पर सिमट गई| पर यह तो जनादेश है जनता का फेसला तो सभी को मान्य होना चाहिए|
इस चुनाव में हसीना ने जिस तरह से कट्टरपंथियों को आडेहाथो चुनाव प्रचार के दौरान लिया वह दिखाता है हसीना के पास इस बार बांग्लादेश के विकास का नया विजन है जिसके लिए उन्होंने इक बड़ी कार्ययोजना तैयार की है | जिसको अमल में लाने की तैयारी वह करने जा रही है| हसीना को यह समजना होगा मतदाताओ ने जिस विस्वास के साथ उन पर भरोसा व्यक्त किया है उन पर वह पूरा खरा उतरने की कोसिस करेंगी| मुंबई पर हमले के बाद भारत ने बांग्लादेश से आतंकियों की माग की है जिस पर बांग्लादेश की नई सरकार के रुख का सभी को इंतजार है| देखना होगा इस मसले पर ऊट कौन सी करवट बैठता है???
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