
उत्तराखंड प्राचीन काल से धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल रहा है | कई ऋषि मुनियों ने जप त़प कर यहाँ की धरा को सुशोभित किया है जिसका वर्णन धर्मं ग्रंथो में भी मिलता है| यहाँ की रमणीय भूमि को भक्तजन तीर्थ मानकर चलते है और बार बार यहाँ आने की कामना करते है|यहाँ की रमणीयता , पवित्रता को वर्णित कर पाना संसार के किसी भी प्राणी के लिये सम्भव नही है | यह स्थान पूरे देश में अपनी उदारता और विशालता के लिए जाना जाता है | यही कारण है कि यहाँ कि भूमि का सपर्श पाकर भक्तजनों को आनंद मौक्तिक की प्राप्ति होती है | उत्तराखंड अपने चमत्कारों से अनादी काल से प्रसिद्ध रहा है | वेदों और पुराणों की रचना इसी इलाके में होने के कारण यह विशेष महत्व का है|महाकाव्यों और पुराणों में इसकी पवित्रता का वर्णन मिलता है | कुमाओं गडवाल मंडल की नदियों , पर्वत मालाओ, झरनों को देखने से पता चलता है की मानो पृथिवी पर कही स्वर्ग का निवास है तो वह स्थान उत्तराखंड ही है |देव भूमि की इसी महानता के चलते आज यहाँ आने वाले भक्तो की तादात साल दर साल बदती जा रही है |
उत्तराखंड का सीमान्त जनपद पिथोरागढ़कई पौराणिक स्थानों की दृष्टी से बहुत संपन्न है| यहाँ पर गंगोलीहाट महाकाली दरबार, पाताल अलोकिक गुफा , चंडिका मन्दिर, कपिलेस्वर, थल केदार जैसे कई मन्दिर मौजूद है जो इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है |यहाँ आकर एक बार विनती करने वाला भक्त जनपद में फिर से आने की कामना कर जीवन को सुखी बनाता है|
जनपद मुख्यालय से १० किलो मीटर की दूरी पर मुख्य सड़क मार्ग में माता का दरबार पड़ता है|वैसे अगर आप काठगोदाम , बरेली के रास्ते अगर पिथोरागढ़ सिटी में आ रहे है तो यह स्थान गुरना के बाद पड़ता है जहाँ पर गुरना माता का एक मन्दिर और है |इग्यार देवी माता का मन्दिर भी कई किन्दवंतियो और चमक्तारो से भरा पड़ा है |स्थानीय लोग बताते है की मन्दिर के पास के ११ गावो के पड़ने के कारण इसका नाम इग्यार देवी पड़ा |प्राचीन समय से इन गावो के प्रति माता की अनुपम कृपा दृष्टी बनी है | स्थानीय लोगो का कहना है कि प्राचीन "चन्द" वंश शासन काल में मन्दिर का निर्माण किया गया |उस समय मन्दिर का स्वरूप बहत छोटा था जिसका निर्माण गाव के लोगो द्वारा छोटे छोटे पत्थर द्वारा किया गया |प्राचीन समय से यहाँ पर पाए जाने वाले पीपल के पेड का खासा महत्त्व है |वर्त्तमान में इसी पीपल के पेड का स्पर्श पाकर अनुष्ठान करने वाले भक्त अपने को धन्य समझते है|नवरात्री के अवसरों पर और अन्य धार्मिक आयोजनों पर भक्तो की आवाजाही का सिलसिला अनरवत रूप से चलता रहता है|इससे दौरान मन्दिर में धूम धाम के साथ पूजा पाठ का आयोजन होता है जिसमे भक्त विनय पूर्वक माता कास्तुति गान करते है | जो सच्चे मन से माता का ध्यान करते है उनको अतुल्य ऐश्वर्य , धन कि प्राप्ति होती है |
तोली बांस के समीप के एक युवक"राजेंद्र भट्ट " बताते है कि यह माता का मन्दिर कई चमक्तारो से भरा पड़ा है|एक बार नवरात्री के अवसर पर मन्दिर में पूजा के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमे लोगो ने बाद चदकर भागीदारी की | पूजा खत्म होने के बाद उस दिन पुजारी के द्वारा सभी को प्रसाद दिया गया | सभी प्रसाद लेकर अपने घर कि और लौटे |तभी जब भीड़ कम हो गई तो रात में एक बाघ ने मन्दिर के भीतर प्रवेश किया | अन्दर परिक्रमा पूरी कर उसने प्रसाद ग्रहण किया और फिर वापस चले गया |तभी से मदिर के प्रति लोगो कि आस्था दूनी हो गई | इसतरह के कई चमत्कार मन्दिर के बारे में है|एक अन्य चमत्कार के अनुसार जब भक्तो पर कोई संकट आता है तो माता उस समय ग्रामीणों का पथ आलोकित कर उनको अंधकार से ज्ञान के प्रकाश के और ले जातीहै | ऐसे अनेकानेक चमत्कारों कि साक्षी इग्यार देवी माता रही है|
बहरहाल , इग्यार देवी का यह मन्दिर आज भक्तो कि अटूट आस्था का केन्द्र बनता जा रहा है |यदि राज्य की भाजपा सरकार इसकी महत्ता को ध्यान में रखकर इसकी सुविधाओ का विस्तार करे तो यह उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में अपना स्थान बना सकता है | मन्दिर के पास रहने वाले ग्रामीणों को अब राज्य के पर्यटन मंत्री "प्रकाश पन्त" से इस दिशा में आशाएं है परन्तु दुर्भाग्य यह है अभी तक अपने विधान सभा में पड़ने वाले इस इलाके की तरफ़ उनका ध्यान नही जा सका है जिस कारण इग्यार देवी सरीखे स्थल आज उपेक्षा की वीणा बजा रहे है | अब देखना है , पर्यटन मंत्री के कदम कब इस इलाके में बढते है????
5 comments:
अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद!
बहुत जानकारी मिली इग्यार देवी की मंदिर के बारे में...........गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
आभार जानकारी देने का.
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Achhi jankari di hai apne.....
शुक्रिया देवी माँ के दर्शन के लिए. अगले पोस्ट के इंतज़ार में.
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