Tuesday, 28 December 2010

तो कलम सार्थक रही...

जयंत डागोर की जो कहानी "कलम बोलती है" ने आपको आज से पांच महीने पहले सुनाई थी, उसी को अब मेनस्ट्रीम मीडिया में भी लिया जा रहा है। संभव कोशिश यही है कि इसकी प्रेरणा आपका ये ब्लॉग ही बना। दैनिक जागरण के नई दिल्ली एडिशन में 22 दिसंबर 2010 को प्रकाशित हुई इस कहानी का स्कैन।
"कलम बोलती है" का लिंक, 18 जुलाई 2010 को लगाई गई स्टोरी का।
ऑस्ट्रेलिया में अभी भी जारी है नस्लवाद...
http://boltikalam.blogspot.com/2010/07/blog-post_18.html

10 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बधाई हो।

पी.एस .भाकुनी said...

.बधाई हो............
आप को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Unknown said...

हर्ष तुम्हारी प्रतिभा की मै कायल हूँ.............पूत के पाँव पालने में ही दिखते है..........लेखनी में जान है......
आगे उत्तराखंड का नाम रोशन करोगे ऐसी मेरी दुआ है........ नए नए लेख पढने को मिलते रहेंगे...........

Unknown said...

harsh ji , bdhai svikaar kare...... sach me aapki boltikalm ka kayal ho gaya hoo.........

संजय भास्‍कर said...

आप को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Alpana Verma said...

वाह! बहुत खुशी हुई !बधाईयाँ हर्ष!
आप के लेखन में प्रवाह और प्रभाव है ,आगे भी आप और ऊँची सफलताएँ हासिल किजीये.
ढेरों शुभकामनाएँ.नववर्ष २०११ आप के लिए मंगलमय हो .

केवल राम said...

आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें

केवल राम said...

आशा है नया साल आपके जीवन में बहुत सारी खुशियाँ लेकर आएगा ...हार्दिक शुभकामनायें

Unknown said...

हर्ष जी आपकी लेखनी की चमक बरक़रार रहे ऐसी मेरी दुआ है....

Unknown said...

हर्ष जी अभी बहुत आगे जाना है............. माइल्स टू गो.......
नए साल में नए जज्बे के साथ लेखन करिए...... नव वर्ष की मंगल कामनाए