Tuesday 18 November 2008

लुप्त होते प्रकृति के सफाई कर्मी गिद्ध

......... अब बात करे प्रकृति के सफाई कर्मी पख्ची गिद्ध की ......| पृथिवी का प्राकृतिक सफाई कर्मी गिद्ध आज लुप्त होने के कगार पर है| पिचले कुछ दसक से पूरे देश में इसके दर्शन दुर्लभ हो गए है| मानव सभ्यता में अपना महत्तवपूर्ण स्थान रखने वाले इस पख्ची के लुप्त होने से पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन हो गया है| आज स्थिती यह है के आकाश में इनका मदरना तो दूर सड़को के किनारे , गावो में मृत पशु सड़ते रहते है| लेकिन गिद्ध दूर दूर तक नज़र नही आते है| देश में इसकी संख्या में चिंताजनक गिरावट रही है जिससे पर्यावरण , पशु विज्ञानी तक चिंतित है| विश्व के अंतरास्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कांसेर्वेशन द्वारा गिद्धों के प्रजाति पर खतरे के मद्देनज़र चिंता व्यक्त की गयी है| भारतीय समाज में इसका कितना महत्वपोरण एस्थान है इसका अंदाजा इसे बात से लगाया जा सकता है की हिंदू धर्मं के प्राचीन ग्रन्थ रामायण, महाभारत, में तक इसका उल्लेख मिलता है| इसके लुप्त होने का संकेत यह बताता है की पर्यावरण का यह पख्ची या तो किसी गंभीर बीमारी का शिकार होता जा रहा है या फिर पर्यावरण असंतुलन के साथ सामंजस्य कायम नही कर प् रहा है| आज इसकी भारत के कई प्रजाति संकट में है| वर्त्तमान में यह अरुणांचल, असम, तमिलनाडु तक ही सीमित रह गयी है| विज्ञानियों का कहना है के पशुओ की खाल उतारने वाले तस्कर भी इसका अस्तित्व मिटाने में मुख्य भूमिका निभा रहे है| इस कार्य के लिए यह पसूओको जहर खिलाकर मार देते है और तत्पश्चात यह जहर उनकी जीवन लीला को समाप्त कर देता है| अतः वर्त्तमान में इसके अस्तित्व को बचाना बहुत जरूर हो गया है अन्यथा प्रकृती का यह सफाए कर्मी भी जीवो के संरक्चित सूची में सामिल हो जाएगा और प्राकृतिक संतुलन का चक्रगडबडा जाएगा अतः इसके अस्तित्व को बचाने की हमारे सामने एक बड़ी चुनोती hai

2 comments:

फिलम सिनेमा said...

are bhai itna speedly bhi koi likhta hai.

tum insan ho ya janwar .


mar dala yaar.

gajendra singh bhati

Unknown said...

g8 start buddy