Monday, 24 November 2008

राजस्थान का दंगल .......


आज अपनी बात राजस्थान को लेकर शुरू करते है...... राजस्थान का पारा भी आजकल सातवे आसमान पर है.... जगह जगह शोरगुल ..... सभी दल लगे है....... अपने हिसाब से चुनाव ....में मतदाताओ को..... लुभाने में........ सभी अपने को आगे बता रहे है...... चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस सभी अपनी सरकार बनने की बात कर रहे है...जहाँ तक बीजेपी का सवाल है.... वह तो महारानी की सरकार दुबारा बन्ने की बात कर रही है.....विकास के मुद्दे पर वह जनता को लुभाना चाहती है,......वही कांग्रेस उसको घेरने की पूरी तयारी कर रही है.... उसका मानना है वसुंधरा के शाशन में आम आदमी बुनियादी सुविधाऊ से महरूम रहा है............ इसे कारन से बीजेपी को दुबारा सत्ता में आने का कोई हक़ नही है... ।

वादे तो होते ही रहते है...... सरकार बन्ने के बाद कितने पूरे हो पाते है यह सभी जानते है... आज का अपना वोटर बड़ा शातिर हो गया .... है..... वह अब पहले जैसा नही रहा ...... बोलता ही नही किसको वोट देगा... हालाँकि चुनाव होने में अभी मुस्किल से २ हफ्ते बाकी है लेकिन राजस्थान का आम मतदाता चुप्पी साधे है...... वह यह नही बता ... रहा अपना ... वोट किसको पड़ने जा रहा है..... फेसला तो ८ दिसम्बर को होगा जब सभी राज्यू के प्रत्यासियों के भाग्य का पिटारा खुलेगा...... ।

खैर हम विषय पर आते है...... राजस्थान में इस बार मुकाबला रोचक है... बीजेपी .... एक और है ... तो दूसरे और है... कांग्रेस ..... दोनों के वोट काटने ... के लिए उत्तर प्रदेश से हाथी बुलाया गया है........ जिस रफ़्तार से यह चडाई कर रहा है... सभी की मुस्किल बड़ा रहा है.... अन्य जगह भले ही यह नही चढ़ पाया हो ... लेकिन राजस्थान में यह अपना प्रभाव छोड़ सकता है....स्थितियों से दोनों पार्टिया अच्छी तरह से वाकिफ ही है..... हिमांचल, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों में हाथी ने कांग्रेस की मुसीबते बड़ा दी थी , इसे कारन से दोनों दल अभी से अपने और वोटरों को लुभाने की तयारी कर रहे है.......... ।

अगर राजस्थान की बात करे तो पिचले कुछ दिनों से यहाँ पर बीजेपी और कांग्रेस के हाल इक जैसे ही रहे है.... दोनों में कोई अन्तर नज़र नही आता .... सभी के साथ एक बीमारी लगी है.... बागी .... हर तरफ़ बागियों... का जलवा....... टिकेट न मिल पाने के कारन यह सभी बागी अलग खड़े हो गए है....... अभी टिकेट आवंटन को लेकर दोनों दल के कार्यालयों में ... जमका मार पीट ... हुई..... सब तमाशा देखते रही.... बीजेपी तो अपने साथ वालू की पहली सूची तक डिक्लेयर नही कर पाई.... यही हाल कांग्रेस का भी रहा है....बागियों के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प होने के आसार नज़र आ रहे है... ... ।

कांग्रेस में "मार्गेट आंटी" के टिकेट बेचे जाने का विवाद अभी शांत भी नही हुआ था की अचानक बीजेपी से भी टिकेट बिकने की नौबत आ गयी.......भरतपुर के अपने "विस्वेंद्र " ने कह डाला "वसुंधरा " सरकार के शासन में भे टिकेट बिक रहे है...... जो बीजेपी कल तक अल्वा के बयानों के आधार पर अपने विज्ञापन जोर शोर से प्रसारित कर रही थी वह आज "बेक फ़ुट " ड्राइव पर आ गयी.... उसके कार्यकर्ताओ ने कैसे तैसे इस बात से अपना पल्ला झाडा ... ।

अपने राजस्थान की महारानी की इस चुनाव में प्रतिस्ता दाव पर लगी है.... पार्टी को आस है वह अपने "नरेन्द्र भाई जैसा करिश्मा कर बीजेपी की फिर से वापसी कराने जा रही है.... इस दफा मैडम महारानी जी ने बिल्कुल मोदी वाला फार्मूला लगाया है.... टिकेट आवंटन में "माथुर " को पीछे छोड़ दिया है.... सारे टिकेट देने में उनकी ... चली है॥ इस बार.....रानी का कांग्रेस पर पहला वार यह हो गया है उन्होंने बड़े पैमाने पर महिलाऊ को टिकेट दे दिए है......... कांग्रेस भले ही आपने को महिलाऊ का बड़ा बड़ा सुपोटर बताये लेकिन टिकेट ... मिले है... कम .... महिलाऊ को ... ज्यादा तरजीह ... न ... बाबा ..न॥

कांग्रेस की मुश्किल स्थिते हो गयी है..... वैसे ही संप्रग की नोटंकी जारी रही है... महिला के मसले पर...... हम आपको याद दिलाते है..... संसद में जब महिलाऊ के लिए ३३% का बिल लाया जाता है...... तो अपने मुलायम ... लालू.... विरोध में खड़े हो जाते है..... अबू आज़मी तो बिल फाड़ देते है.... संसद में अगर यह पारित नही हो पा रहा तो दोष तो कांग्रेस और उसके साथियों का है.... लेकिन बार बार उसके द्वारा अपने को महिलाऊ का सच्चा हितेषी कहना हमारे तो गले नही उतरता ....नही तो राजेस्थान में जमकर... टिकेट दिए जाते कांग्रेस ..... की तरफ़ से..... ।

यह सब कर वसुंधरा ने दिखा दिया है उसकी कथनी और करनी इक है" लेकिन परेशानी अभी कम नही हुई है.... बड़े पैमाने पर पार्टी के समर्पित सिपाहियों को टिकेट नही दिया गया है..... उनको मिला है जो जमीन से नही जुड़े है..... लिहाजा महारानी की परेशानी... कम नही हुई है॥ खतरा तो उपर आ रहा था की अचानक किरोडी लाल नाराज हो गए... अलग राह पकड़ ली है... मीना परेशानी में है.... वैसे भी गुज़र आन्दोलन शबाव पर रहा था ..... ।

वसुंधरा को राज्नीते की अच्छी समझ है...... घनशयाम तिवारी, गुलाब चाँद कटारिया, रघुवीर जैसे लोग उनके विरोधी रहे है.....साथ में जसवंत भी कब क्या कर जायें इसका कोई भरोसा नही है.... पहले भी उनका जसवंत के साथ ३६ का आंकडा जगजाहिर ही रहा है....... सो एस बार महारानी ने सभे को चुनाव की समीति में जगह दी.... शेखावत को भी अपने पास लामबंद कर वसुंधरा ने अपना जलवा पहले ही दिखा दिया है.... मसलन गाड़ी ट्रैक पर है बीजेपी की.... पूरी एकजुटता है...... बीजेपी में... कही कोई विरोध होता है... तो शांत कर लिया जाता है.... गुजरात का मोदी का विकास वाला फार्मूला यहाँ पर फिर से महारानी की रह आसान बना रहा है...... गुज्जर मीना ... मसले पर राजस्थान आग में ... जल रहा था लेकिन महारानी ने बाल को केन्द्र के पाले में फैक दिया ...यह गूगली कांग्रेस पर भारी पड़ गयी है.......। कांग्रेस को कोई तौड़ नही मिल पा रहा है राजस्थान में .... ५ साल में राजस्थान में महारानी के द्वारा काफी विकास किया गया है.... जनता फिर से उसकी राह को आसान कर सकती है...... लास्ट चुनाव में सरकारी कर्मचारियों के वोट ने महारानी की राह को आसान बनाया था .... इस बार भी रानी ने उनको निराश नही किया है.... ६ वेतन आयोग ....को लागू करवाकर..... फिजा को अपनी और मोड़ने की तयारी पहले ही कर ली है... ।

वही अन्य राज्यू की तरह कांग्रेस भी यहाँ पर गुटबाजी से परेशां है..... सभी की राह अलग अलग नज़र आ रही है....मुख्य मंत्री कौन होगा यह तय नही है? सूबे में सत्ता वापसी के सपने देख रही कांग्रेस का अगर यही हाल रहा तो वह राजस्थान में भी हार का मुह देख सकती है..... टिकेट देने के मसले पर ..... ओफ्फिसो में जमकर ... हाथापाई की नौबत आ गयी है .... बगावातियो ने भी मुस्किल बड़ा दी है... ।

असंतोष दिनों दिन बढता जा रहा है... कोई भी इसको दूर करने में नाकाम है..... उसके अपने नेताओ को यह रास नही आ रहा की पुर्व मुख्यमंत्री रहे "अशोक गहलोत" को आगे करें..... "न सूत न कपास जुलाहों में लाथाम्म लात्ता " यह हाल है कांग्रेस का का यहाँ पर.... वैसे बताया जाता है गहलोत की १० जनपथ में अच्छी पकड़ है लेकिन पिचले कुछ समय से सोनिया गाँधी उनको चारा नही दाल रही है....कारन यह है पार्टी एकजुट होकर मुकाबला करे तभी पार्टी को जीताया जा सकता है...लेकिन राजस्थान कांग्रेस का आपसी प्रेम स्नेह देखिये, परसराम मदेरणा ने गहलोत पर वार कर दिया है... सब्द बाण ... बहुत ही तीखे... चले है... इस चुनाव... में... इसकी गूंज १० जनपथ तक जा पहुची है... तभे तो मुकुल वासनिक और दिग्गी राजा ने दस्तक दी ॥

पिछले दिनों राजस्थान में... मदेरणा ने चुनाव सूची पर सवाल खड़े कर दिए है.... धनबल का गंभीर आरोप लगा दिया ..... कांग्रेस फिर परेशान ..... है॥ नेताओ को यह पता नही ... की महारानी के किले में कैसे सेंध लगाई जाए कांग्रेसी बिखरते नज़र आ रहे है यहाँ पर... बीते ५ वर्षो में उसने सकारात्मक विपक्ष की भूमिका नही निभायी.... कई मुद्दे थे उसके पास महारानी को घेरने के लिए लेकिन क्या करे नही कर पाई .....? राजस्थान के हमारे कुछ सूत्र बताते है की राज्य कांग्रेस के कई लोग गहलोत को सीएम के पड़ पर देखना पसंद नही कर रहे लेकिन हाई कमान अंदरखाने उनका सुप्पोर्ट करता नज़र आ रहा है...गहलोत पर पिचले सरकार में किसान विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा है... हाँ यह अलग बात है गहलोत इस को सिरे से नकार रहे है.... ।

वैसे इस बात की भी पिचले दिनों हवा उडी की "कांग्रेस के यूवराज " ने पिचले दिनों अपने साथी "सचिन पायलट"को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने की जबरदस्त ढंग से पैरवी की कारन यह है उनका "दौसा " संसदीय सीट रिज़र्व हो गया है और उनको पहले हुए संप्रग के मंत्री मंडल फेरबदल में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा के साथ जगह नही मिल पाई जिस कारनअपने को अलग थलग महसूस कर रहे है... ऐसे सूरत में सचिन कार्ड को खेलना राजस्थान में कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदे का सौदा होगा ऐसा राहुल गाँधी का मानना है... अभी इस बात की दिल्ली में १० जनपथ के अन्दर चर्चा भी हुई थी लेकिन बताया जाता है कई कांग्रेस के नेताओ को यह नही भाया अभी सचिन को कमान सोपने का सही समय आ गया है... उनकी तर्क यह है की अभी वह ज्यादा परिपक्व नही हो पाए है लिहाजा उनको आगे करना सही फेसला नही होगा... वैसे भी सभी जानते है कांग्रेस के ज्यादातर युवा नेताओ को परिवारवाद के चलते पार्टी में जगह दी गए है... वंशवाद की अमर बेल यहाँ देखी जा सकती है.....
कांग्रेस के पास बीजेपी को घेरने के कोई तर्क नही हैसंप्रग के मंत्री भी राजस्थान पर अलग अलग भासा बोलते है॥

एक बानगी देखिये सोनिया कहती है वसुंधरा की सरकार ने केन्द्र कई पैसे का सही सदपयोग नही किया वही संप्रग के कई कैबिनेट मंत्रियो की नज़र में बीजेपी साषित राज्यों में जमकर विकास कार्य हुए है... एक योजना की बात करते है... अभी रोजगार गारंटी की ही बात कर ले रागुवंश प्रसाद वसुंधरा के काम के ढंग से खुश नज़र आए॥ उन्होंने कहा राजस्थान में सची से इसको लागू करवाया गया है... यही नही बीजेपी ने आपनेराज्यों में अच्छी से काम करवाया है॥ अब इसको आप क्या कहोगे॥ सोनिया के स्टेटमेंट की तो धज्जिया ही उड़ गयी ।

इस चुनाव में कांग्रेस के लिए राजस्थान में बसपा बड़ा सिरदर्द बन गयी है॥ हिमांचल और उत्तराँचल की तरह से यहाँ पर भी हाथी हाथ का खेल ख़राब कर सकता है बड़े पैमाने पर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक को नुकसान पहुच सकता है२८% दलित वोट पासा पलट सकती है साथ में हार जीत की संभावना पर भी असर दाल सकते है माया बहनजी तो प्रधान मंत्री बन्ने के सपने देखने लगी है ॥ अभी से नब्ज को टटोल रही है बसपा का वोट परसेंट हर बार बाद रहा हैजो इक खतरनाक संकेत है२८% मतलब हर ४ घर में हाथी इक जगह अपना आशियाना तलाश कर सकता है कही ऐसा न हो जाए बीजेपी का रास्ता हाथी आसन कर दे और वसुंधरा महारानी फिर से इतिहास बना दे अभी बीजेपी यहाँ पर १९२सीटो पर लड़ रही है ।

हत्थी की थोडी मुस्किल इस बार अपने नटवर और जगत ने बड़ा दी है दोनों पिता पुत्र बसपा को टाटा बोल चुके हैबताया जाता है नटवर चाहते थे उनको उत्तर प्रदेश से राज्य सभा में बसपा द्वारा भेजा जाना चाहिए था लेकिन बहनजी ने उनकी एक भी नही सूनी और विवस होकर नटवर को बसपा छोडनी पडी बेटे के साथ पहले भे यही हो चुका है जिस सीट से वह टिकेट मांग रहे थे वहां से उनको टिकेट नही दिया गया लचर होकर जगत को बीजेपी के पास जन पड़ा अब अपने नटवर अंकल भी पुत्र की राह को पकड़ सकते हैउनकी नज़र ८ दिसम्बर तक टिके रहेंगी जब वसुंधरा के भाग्य का फेसला होगा अगर महारानी फिर से जीत जाती है तोवह बीजेपी को जों कर लेंगे इसके बाद शायद वह अपना संसद का रास्ता तैयार कर सकते है फिर चाहे उनको राज्य सभा या फिर लोक सभा से उम्मीदवार बनाया जा सकता है उनके जाने के बाद बसपा का खेल थोड़ा सा बिगड़ गया है क्युकी कई सीटो पर उनका अच्छा प्रभाव था जिसको इस्तेमाल कर हाथी को रेगिस्तान में आसानी से चदाया जा सकता था लेकिन अब ऐसा सम्भव नही दीखता ।

खैर ,हमारे नज़र में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैबसपा कांग्रेस की मुसीबत बड़ा रही है अब तक के प्रचार में बीजेपी आगे नज़र आपने रही है कांग्रेस गुटबाजी में फस गयी हैआपस में खीचतान.... जारी .... है... ऐसे में ८ दिसम्बर को रेगिस्तान में ऊट क्या करवट लेता है यह कह पाना बहुत मुस्किल नज़र आ रहा है खुदा ना खास्ता , यह हमारा चुनावी विश्लेषण है...... आगे आगे देखते है क्या होता है?

2 comments:

गजेन्द्र सिंह भाटी said...

yaar harsh tum ko akhbar me likhna chahiye....ya phir kisi magzine me..

gajendra singh bhati

Anonymous said...

bahut sundar visleshan kiya hai tumne
vasundhara ke chance lag rahe hai ees bar
dekho aage kya hota hai
likhte rahoo
kya speed se likhe ja rahe ho?