अशोक श्रीवास्तव मीडिया जगत में एक जाना पहचाना नाम है बीते कुछ वर्षो में उन्होंने टीवी पत्रकारिता में खासा नाम कमा लिया है बेहद कम समय में उन्होंने सफलता की ऊँची बुलंदियों को छु लिया है आज वह किसी के परिचय के मोहताज नही है दूरदर्शन के 2 खास कार्यक्रम "चर्चा" और "समाचार प्लस" के जरिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बुलंदियों को छुआ इस दौर में धूमकेतु की तरह चमककर अपने को सफल टीवी पत्रकार के रूप में साबित कर दिखाया अपनी टीवी पत्रकारिता की उल्लेखनीय सेवाओ के लिए उनको 2005 में सूचना और प्रसारण मंतरालय भारत सरकार द्वारा "बेस्ट एंकर" के सम्मान से नवाजा जा चूका है।
क्रिकेट पर आधारित " बाउंड्री पार" जैसे कार्यक्रमों में दूरदर्शन न्यूज़ ने खासी टीआरपी बटोरी जिसकी सफलता में उनका खासा योगदान रहा जिसमे उन्होंने काफी नाम कमाया पिछले कुछ समय से वह तमाम नेशनल , इंटरनेशनल, पॉलिटिकल खबर कवर करते आ रहे है अभी वर्त्तमान में प्राइम टाइम पर दूरदर्शन न्यूज़ की स्क्रीन पर उनको देखा जा सकता है
अभी कुछ माह पहले मैं दिल्ली में था तो उनसे विभिन्न मसलो पर मैंने और मेरे साथी आकाश ने बात की प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश.........
(1) अशोक जी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा महत्वपूर्ण स्तम्भकहा गया है परन्तु हाल के कुछ समय में यह अपने चरित्र से भटक गया है इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- वर्त्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरीके से व्यव्हार कर रहा है , तो वह बड़े चिंता का विषय बन जाता है मीडिया अपने चरित्र से पूरे तरह से भटक गया है यह नही कहूँगा ,लेकिन हाँ यह जरूर है व्यवसायीकरण हो गया है आज भी हमारा मीडिया उन मुद्दों को उठाता है जो जनता से जुड़े हुए रहते है लेकिन मुख्य सवाल यह है उनको उठाया किस तरह से जाता है? आरुशी का ही मामला ले जिस तरह से इसको प्रोजेक्ट किया गया वहां पर भटकाव दिखाई देता है जेसिका जैसे कई मामले है जिन पर मीडिया के चलते दबाव बना ।
(२) ब्रोडकास्टिंग बिल लाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी लम्बे समय से हो रही है अगर यह हो जाता है तो क्या मीडिया की स्वतंत्रता तो बाधित नही हो जायेगी?
उत्तर- मीडिया में कोई भी व्यक्ती यह नही चाहता की बहार से आकर कोई भी चीजो को कण्ट्रोल करे मीडिया का स्वत्रंत रहना आवश्यक है लेकिन कई बार जब चैनल फिजूल की चीजे दिखाते है तो बहुत परेशानी होती है देश के कई बड़े बड़े मुद्दे हासिये पर कर दिए जाते है मीडिया के लोग ही एक लाइन खीचे यह एक आदर्श स्थिति होगी
(३) आज की हमारी पत्रकारिता व्यवसायीकरण से भी प्रभावित हुई है?
उत्तर- पत्रकारिता पहले एक मिशन थी जो उस समय की जरूरत थी अभी देश के भीतर रोज नए नए मुद्दे उठ ते रहते है जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है व्यवसाय बन गया है ठीक है लेकिन कुछ मुद्दों पर जनता की बात आगे आनी चाहिए जैसे महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, नेता आपस में ब्यान देते है जिसको चैनल दिखाते है जबकी होना यह चाहिए महंगाई को कैसे कम किया जा सकता है?
(४) हाल के वर्षो से मीडिया उन पर बहुत फोकस कर रहा है जिसका सम्बन्ध समाज के उच्च वर्ग से है दिल्ली के अन्दर आए दिन कई मामले ऐसे है जो मीडिया के नज़र से गायब रहते है दिल्ली में कई आरुशियो को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता हैजिस पर मीडिया में कोई हलचल नही रहती आरुशी जैसे ३२४०० मामले साल भर में नेशनल कैपिटल रीजन में दर्ज होते है उन पर भी मीडिया का कोई धयान नही जाता ?
उत्तर -- अम्बानी का बंगला ख़बर है गाजियाबाद में ४५ मासूम बच्चे गायब हो जाते है यह ख़बर एक या दो न्यूज़ चैनल्स में आती है , जिसके फोल्लो तक नही होते ,वही अनंत का हर रोज फोल्लो उफ होता था क्युकी वह एक बड़े ceo का बेटा था ऐसा यदि इन ४५ के लिए भी होता तो ठीक था लेकिन यदि यही बच्चे गद्दों में गिर जाते तो दिखाया जाता कैसे उनको बहार लाया जा रहा है बेहतर होता बहस इस बात पर होती की क्या इसके पीछे कोई बड़ा गैंग तो नही काम कर रहा है इस पर मीडिया में कोई बहस नही दिखाए देती यह अब पूरे समाज में हो रहा है अमीरों की बात हो रही है गरीबो की कोई नही सुन रहा है
(५) देश के किसान आत्महत्या कर रहे है मीडिया के अन्दर कोई इस पर धयान नही दे रहा है ख़बर टेलिविज़न पर उस समय आती है जब प्रधान मंत्री विदर्भ की यात्रा करते है उनके साथ ५ पत्रकार वहां जाते है बाकि सभी दिल्ली में फैशन शो कवर करते है?
उत्तर- यह बड़ा सवाल है की आप अगर उनके समाचार दिखाते है तो कौन उनको देखता है? कितने लोग ऐसे है जो उसको देखना पसंद करेंगे? आज के दौर में चमक दमक की ख़बर चल रही और बिक रही है किसान की आत्महत्या वाली ख़बर बिकने वाली नही होगी प्रिंट मीडिया ने इस पर अच्छा काम किया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लोग उस फ़िल्म को नही देखना पसंद करेंगे जिसमे किसान की हड्डी दिख रही हो वह इसके बदले मॉडल को टेलिविज़न पर देखना पसंद करेगा
क्रिकेट पर आधारित " बाउंड्री पार" जैसे कार्यक्रमों में दूरदर्शन न्यूज़ ने खासी टीआरपी बटोरी जिसकी सफलता में उनका खासा योगदान रहा जिसमे उन्होंने काफी नाम कमाया पिछले कुछ समय से वह तमाम नेशनल , इंटरनेशनल, पॉलिटिकल खबर कवर करते आ रहे है अभी वर्त्तमान में प्राइम टाइम पर दूरदर्शन न्यूज़ की स्क्रीन पर उनको देखा जा सकता है
अभी कुछ माह पहले मैं दिल्ली में था तो उनसे विभिन्न मसलो पर मैंने और मेरे साथी आकाश ने बात की प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश.........
(1) अशोक जी मीडिया को लोकतंत्र का चौथा महत्वपूर्ण स्तम्भकहा गया है परन्तु हाल के कुछ समय में यह अपने चरित्र से भटक गया है इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- वर्त्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरीके से व्यव्हार कर रहा है , तो वह बड़े चिंता का विषय बन जाता है मीडिया अपने चरित्र से पूरे तरह से भटक गया है यह नही कहूँगा ,लेकिन हाँ यह जरूर है व्यवसायीकरण हो गया है आज भी हमारा मीडिया उन मुद्दों को उठाता है जो जनता से जुड़े हुए रहते है लेकिन मुख्य सवाल यह है उनको उठाया किस तरह से जाता है? आरुशी का ही मामला ले जिस तरह से इसको प्रोजेक्ट किया गया वहां पर भटकाव दिखाई देता है जेसिका जैसे कई मामले है जिन पर मीडिया के चलते दबाव बना ।
(२) ब्रोडकास्टिंग बिल लाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी लम्बे समय से हो रही है अगर यह हो जाता है तो क्या मीडिया की स्वतंत्रता तो बाधित नही हो जायेगी?
उत्तर- मीडिया में कोई भी व्यक्ती यह नही चाहता की बहार से आकर कोई भी चीजो को कण्ट्रोल करे मीडिया का स्वत्रंत रहना आवश्यक है लेकिन कई बार जब चैनल फिजूल की चीजे दिखाते है तो बहुत परेशानी होती है देश के कई बड़े बड़े मुद्दे हासिये पर कर दिए जाते है मीडिया के लोग ही एक लाइन खीचे यह एक आदर्श स्थिति होगी
(३) आज की हमारी पत्रकारिता व्यवसायीकरण से भी प्रभावित हुई है?
उत्तर- पत्रकारिता पहले एक मिशन थी जो उस समय की जरूरत थी अभी देश के भीतर रोज नए नए मुद्दे उठ ते रहते है जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है व्यवसाय बन गया है ठीक है लेकिन कुछ मुद्दों पर जनता की बात आगे आनी चाहिए जैसे महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, नेता आपस में ब्यान देते है जिसको चैनल दिखाते है जबकी होना यह चाहिए महंगाई को कैसे कम किया जा सकता है?
(४) हाल के वर्षो से मीडिया उन पर बहुत फोकस कर रहा है जिसका सम्बन्ध समाज के उच्च वर्ग से है दिल्ली के अन्दर आए दिन कई मामले ऐसे है जो मीडिया के नज़र से गायब रहते है दिल्ली में कई आरुशियो को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता हैजिस पर मीडिया में कोई हलचल नही रहती आरुशी जैसे ३२४०० मामले साल भर में नेशनल कैपिटल रीजन में दर्ज होते है उन पर भी मीडिया का कोई धयान नही जाता ?
उत्तर -- अम्बानी का बंगला ख़बर है गाजियाबाद में ४५ मासूम बच्चे गायब हो जाते है यह ख़बर एक या दो न्यूज़ चैनल्स में आती है , जिसके फोल्लो तक नही होते ,वही अनंत का हर रोज फोल्लो उफ होता था क्युकी वह एक बड़े ceo का बेटा था ऐसा यदि इन ४५ के लिए भी होता तो ठीक था लेकिन यदि यही बच्चे गद्दों में गिर जाते तो दिखाया जाता कैसे उनको बहार लाया जा रहा है बेहतर होता बहस इस बात पर होती की क्या इसके पीछे कोई बड़ा गैंग तो नही काम कर रहा है इस पर मीडिया में कोई बहस नही दिखाए देती यह अब पूरे समाज में हो रहा है अमीरों की बात हो रही है गरीबो की कोई नही सुन रहा है
(५) देश के किसान आत्महत्या कर रहे है मीडिया के अन्दर कोई इस पर धयान नही दे रहा है ख़बर टेलिविज़न पर उस समय आती है जब प्रधान मंत्री विदर्भ की यात्रा करते है उनके साथ ५ पत्रकार वहां जाते है बाकि सभी दिल्ली में फैशन शो कवर करते है?
उत्तर- यह बड़ा सवाल है की आप अगर उनके समाचार दिखाते है तो कौन उनको देखता है? कितने लोग ऐसे है जो उसको देखना पसंद करेंगे? आज के दौर में चमक दमक की ख़बर चल रही और बिक रही है किसान की आत्महत्या वाली ख़बर बिकने वाली नही होगी प्रिंट मीडिया ने इस पर अच्छा काम किया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लोग उस फ़िल्म को नही देखना पसंद करेंगे जिसमे किसान की हड्डी दिख रही हो वह इसके बदले मॉडल को टेलिविज़न पर देखना पसंद करेगा
(६) मुझको याद है अशोक जी आपके दूरदर्शन न्यूज़ ने इस दिशा में अच्छे प्रयास किए है जो सराहनीय है?
उत्तर- हाँ दूरदर्शन ने इस पर अच्छा काम किया है हमने अपने चैनल में बराबर न्यूज़ को कवरेज दी होना तो यह चाहिए इस किसान के मसले पर सभी टेलिविज़न चैनल्स को प्रोग्राम दिखाने चाहिए भले ही आपको टी आर पी नही मिले लेकिन १ या आधा घंटा कवरेज मिलना चाहिए किसानो को
(७) पत्रकारों पर आए दिन हमले बढ़ रहे है इस बाबत आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर-हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए राजनीतिक दल को भी इसमे धयान देना चहिये ताकीफिर से इसको नही दोहराया जा सके
(८) क्या कारन है टी आर पी के मामले में आपका दूरदर्शन न्यूज़ अन्य चैनल्स से पीछे चला गया है?
उत्तर- पूरे देश में जितना दूरदर्शन न्यूज़ चैनल देखा जाता है उसका कोई मुकाबला ही नही कर सकता टी आर पी एक बोगस चीज है महानगरो के कुछ घरो में मीटर लगा कर आप यह तय नही कर सकते की कौन सा चैनल सबसे अधिक देखा जा रहा है ७-८ महानगर हमारे लिए अभी बड़ी चुनोती बने है जिस पर हमको धयान देने की जरूरत है लेकिन अब यहाँ पर भी ऐसे रिजल्ट सामने आए है जो बताते है की वह के लोगो का अन्य चैनल की खबरों से मोहभंग हो गया है जिस कारन से वह फिर वापस हमारे चैनल के और लौट रहा है
(९) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में "स्टिंग ओपरेशन " कितना जायज मानते है आप?
उत्तर- स्टिंग में कोई हर्ज नही है हर खेल के नियम कायदे होने आवश्यक
है हवालदार थानेदार को रिश्वत देता है तो यह कोई बड़ी बात नही है सभी जानते है ओपरेशन यदि समाज के हित में हो तो यह अच्छी बात है चोटी मछली को तो सभी पकड़ लेते है बड़े को पकडो तो तब बात होगी
(१०) दूरदर्शन में आप अपने ५-६ साल के सफर का आंकलन किस रूप में करना चाहेंगे?
उत्तर-सबसे पहले तो आप के पास ज्ञान होना चाहिएसमाचारों की समझ का होना भी आवश्यक है अगर आप एक अच्छे पत्रकार है तो आप अच्छे एंकर भी बन सकते है यदि आप अपने इस कौशल को कैमरे के सामने भी बेहतर ढंग से प्रर्दशित कर सके
(९) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में "स्टिंग ओपरेशन " कितना जायज मानते है आप?
उत्तर- स्टिंग में कोई हर्ज नही है हर खेल के नियम कायदे होने आवश्यक
है हवालदार थानेदार को रिश्वत देता है तो यह कोई बड़ी बात नही है सभी जानते है ओपरेशन यदि समाज के हित में हो तो यह अच्छी बात है चोटी मछली को तो सभी पकड़ लेते है बड़े को पकडो तो तब बात होगी
(१०) दूरदर्शन में आप अपने ५-६ साल के सफर का आंकलन किस रूप में करना चाहेंगे?
उत्तर-सबसे पहले तो आप के पास ज्ञान होना चाहिएसमाचारों की समझ का होना भी आवश्यक है अगर आप एक अच्छे पत्रकार है तो आप अच्छे एंकर भी बन सकते है यदि आप अपने इस कौशल को कैमरे के सामने भी बेहतर ढंग से प्रर्दशित कर सके
2 comments:
Harsh.
ashok srivastav ka interview achcha laga.aksar dekha jata hai ki DD NEWS ke journalist interview nahi dete.
aapne le liya.
god bless.
gajendra singh bhati
ashok ji ne sahi kaha hai trp ek bogus cheej hai
chand mahanagaro me kuch machine lagakar aap yah nahi kah sakte hai ki kaun sa channel sabse jyada dekha ja raha hai....
ashok ji ka interview bahut shandar laga
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