उत्तराँचल से नाता रखने वाले सिने स्टार "हेमंत पाण्डेय" आज फिल्म जगत में किसी के परिचय के मोहताज नही हैं। बचपन मैं अपने पडोसियों की मिमिक्री से हास्य अभिनय की शुरूवात करने वाले हेमंत के लिए अभिनय एक बड़ी सहज प्रक्रिया है। उनकी मानेतो दिल से किया गया अभिनय दूसरो के दिलो को छु लेता है। यू तो वह अपने उपर हास्य अभिनेता का लेवल नही चास्पना चाहते थे लेकिन उनको कोई भी सीरियस ढंग से नही लेता था। धीरे धीरे मन कॉमेडी में ही रम गया ।
एक दशक से ज्यादा समय के अपने सफर में वह अब तक सेकडो विज्ञापन फिल्मो समेत कई धारावाहिकों में काम कर अपने सफलता के झंडे गाड चुके है। "दिल का डॉक्टर" टेलीफिल्म उनके फिल्मी करियर का पहला पड़ाव थी। सब टीवी पर प्रसारित होने वाले "ऑफिस ऑफिस " कार्यक्रम में उनके "जेक पाण्डेय" के किरदार के कई लोग खास मुरीद हुए ऋतिक रोशन के साथ "कृष" फ़िल्म के उनके छोटे से किरदार को भी कई लोगो ने खासा सराहा।
अभी कुछ समय पहले मेरे उनसे विभिन्न विषय पर बात हुए प्रस्तुत है इस बात के चुनिन्दा अंश.......
(1) हेमंत जी बड़े परदे के सफर के बारे में प्रकाश डाले उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले से आपका नाता रहा है जो मेरा भी शहर रहा है उत्तराखंड के इस सीमान्त जनपद से निकलकर आपने मुंबई तक की यात्रा को पूर्ण किया है इस लम्बी यात्रा को किस रूप में देखते है आप?
उत्तर- मुझे घर में रामलीला के दौरान अभिनय का खासा रोमांच रहा इसे मेरा रंगमंच का सफर शुरू हुआ। जिसके बाद स्थानीय लेवल पर रोल मिलने लगे स्कूल में कई बड़ी भूमिका निभायी जिससे बड़े परदे की अउर मेरे दिलचस्पी बादने लगी। 1988-89 में दिल्ली की और रुख किया कई संस्था में रोल मिलने लगे। इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा "नयी दिल्ली" में काम करने का अवसर मिला। यह इक बड़ा प्लेटफोर्म था। मेरे लिए फिर यही से आगे मुंबई एक बड़ा पड़ाव आया। जहा पर मैंने कई बड़ी फिल्म की। वर्त्तमान में भी लगा हुआ हूँ ।
(२) हाल के वर्षो में हेमंत जी हमारे सिनेमा में कई तरह के बदलाव आए है ऐक कलाकार के तौर पर आप इसको कैसे देखते है?
उत्तर --बदलाव तो आए है जैसे जहाँ नए तकनीक का विकास हुआ है, वही फिल्मो के कहानी भी बुरी तरह से पीती है आज बन रही हमारे फिल्मो का कोई सरोकार नही है ऐसे फ़िल्म बहुत कम बन रही है जिनको आप अपने परिवार के साथ बैटकर देख सकते है साथ में सिनेमा भी आम आदमी से दूर हुआ है।
(३) इक कलाकार के तौर पर आपको फिल्मर ज्यादा आकर्षित करती है या सीरियल अथवा थिएटर ?
उत्तर- मैं ऐसा व्यक्ती हूँ जो कभी कहीं भी खप जाता हूँ हालांकी आजकल फिल्म करना कम कर दिया हैक्युकी इसमे मेहनत ज्यादा लगती है ।
(४) आजकल उत्तराखंड में विडियो फ़िल्म का नया ट्रेंड सा चल गया है इन विडियो में हमारी संस्कृति की झलक दूर दूर तक नज़र नही आते है मुझको आप मेरे इस कथन से कहाँ तक सहमत है?
उत्तर--- जिस प्रकार से हिन्दी में गन्दी फिल्म बन रही है उसी प्रकार से उत्तराखंड में भी ऐसे विडियो की भरमार आ गयी है , जिनका हमारी संस्कृति से कोई वास्ता नही रह गया हैपहाड़ की परम्पराए समाप्त हो रही है, जिस तरह नाच गाना हो रहा है फिल्म अगर सामाजिक दशा में बने साथ ही उनको देखने से यदि संस्कृति का विकास हो तो उसको मैं सिनेमा मानूगा लेकिन अगर गंदे सीन डालकर फिल्मो से पैसा कमाया जा रहा है तो यह अच्छी बात नही है ।
(५) फिल्मो के निर्माण की दिशा में आप किस तरह की संभावना देखते है आप ?
उत्तर--- संभावना तो अपार है यहाँ पर सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा की किस प्रकार से यहाँ की वादियों में फिल्मकारों को लुभाया जाए ।
(६) युवाओ के लिए हमारे माध्यम से क्या संदेश देना चाहेंगे आप?
उत्तर-- युवाओ से यही कहूँगा अधिक से अहिक महेनत करे समय की कीमत को पहचाने चुनोतियों से कभी नही घबराए इक दिन सफलता उनके कदम जरूर चूमेगी ।
(७) हेमंत पाण्डेय के लिए सफलता के क्या मायने है?
उत्तर-- सफलता का मतलब है इमानदारी और सच्चाई छोटे लालच में कभी नही फसना है साथ में असफल रास्तो से भी बचना है इसके आलावा अगर अपने संस्कारो को भी धयान में रखें तो निश्चित ही ग़लत काम नही कर सकते ।
(८) भविष्य की आपने क्या योजना है? कुछ हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे?
उत्तर-- भविष्य की योजना कल पर निर्भर है सिनेमा ही एक मात्र मकसद नही है जीवन बहुत महत्वपूर्ण है अभी कई पड़ाव से गुजरना है जिन पर मैं आगे काम करना चाहूँगा ।
(९)अन्तिम प्रश्न हेमंत जी यह की कौन कौन सी नयी फिल्मो में काम कर रहे है इसमे क्या किरदार निभा रहे है आप?
उत्तर---- "मिलेंगे मिलेंगे" , "जबसे हुआ है प्यार", "सिर्फ़ रोमांस लव् बे चांस ", "क्या कहना आपका" यह फिल्म है जिन पर मैं काम कर रहा हूँ ।
एक दशक से ज्यादा समय के अपने सफर में वह अब तक सेकडो विज्ञापन फिल्मो समेत कई धारावाहिकों में काम कर अपने सफलता के झंडे गाड चुके है। "दिल का डॉक्टर" टेलीफिल्म उनके फिल्मी करियर का पहला पड़ाव थी। सब टीवी पर प्रसारित होने वाले "ऑफिस ऑफिस " कार्यक्रम में उनके "जेक पाण्डेय" के किरदार के कई लोग खास मुरीद हुए ऋतिक रोशन के साथ "कृष" फ़िल्म के उनके छोटे से किरदार को भी कई लोगो ने खासा सराहा।
अभी कुछ समय पहले मेरे उनसे विभिन्न विषय पर बात हुए प्रस्तुत है इस बात के चुनिन्दा अंश.......
(1) हेमंत जी बड़े परदे के सफर के बारे में प्रकाश डाले उत्तराखंड के पिथोरागढ़ जिले से आपका नाता रहा है जो मेरा भी शहर रहा है उत्तराखंड के इस सीमान्त जनपद से निकलकर आपने मुंबई तक की यात्रा को पूर्ण किया है इस लम्बी यात्रा को किस रूप में देखते है आप?
उत्तर- मुझे घर में रामलीला के दौरान अभिनय का खासा रोमांच रहा इसे मेरा रंगमंच का सफर शुरू हुआ। जिसके बाद स्थानीय लेवल पर रोल मिलने लगे स्कूल में कई बड़ी भूमिका निभायी जिससे बड़े परदे की अउर मेरे दिलचस्पी बादने लगी। 1988-89 में दिल्ली की और रुख किया कई संस्था में रोल मिलने लगे। इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा "नयी दिल्ली" में काम करने का अवसर मिला। यह इक बड़ा प्लेटफोर्म था। मेरे लिए फिर यही से आगे मुंबई एक बड़ा पड़ाव आया। जहा पर मैंने कई बड़ी फिल्म की। वर्त्तमान में भी लगा हुआ हूँ ।
(२) हाल के वर्षो में हेमंत जी हमारे सिनेमा में कई तरह के बदलाव आए है ऐक कलाकार के तौर पर आप इसको कैसे देखते है?
उत्तर --बदलाव तो आए है जैसे जहाँ नए तकनीक का विकास हुआ है, वही फिल्मो के कहानी भी बुरी तरह से पीती है आज बन रही हमारे फिल्मो का कोई सरोकार नही है ऐसे फ़िल्म बहुत कम बन रही है जिनको आप अपने परिवार के साथ बैटकर देख सकते है साथ में सिनेमा भी आम आदमी से दूर हुआ है।
(३) इक कलाकार के तौर पर आपको फिल्मर ज्यादा आकर्षित करती है या सीरियल अथवा थिएटर ?
उत्तर- मैं ऐसा व्यक्ती हूँ जो कभी कहीं भी खप जाता हूँ हालांकी आजकल फिल्म करना कम कर दिया हैक्युकी इसमे मेहनत ज्यादा लगती है ।
(४) आजकल उत्तराखंड में विडियो फ़िल्म का नया ट्रेंड सा चल गया है इन विडियो में हमारी संस्कृति की झलक दूर दूर तक नज़र नही आते है मुझको आप मेरे इस कथन से कहाँ तक सहमत है?
उत्तर--- जिस प्रकार से हिन्दी में गन्दी फिल्म बन रही है उसी प्रकार से उत्तराखंड में भी ऐसे विडियो की भरमार आ गयी है , जिनका हमारी संस्कृति से कोई वास्ता नही रह गया हैपहाड़ की परम्पराए समाप्त हो रही है, जिस तरह नाच गाना हो रहा है फिल्म अगर सामाजिक दशा में बने साथ ही उनको देखने से यदि संस्कृति का विकास हो तो उसको मैं सिनेमा मानूगा लेकिन अगर गंदे सीन डालकर फिल्मो से पैसा कमाया जा रहा है तो यह अच्छी बात नही है ।
(५) फिल्मो के निर्माण की दिशा में आप किस तरह की संभावना देखते है आप ?
उत्तर--- संभावना तो अपार है यहाँ पर सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा की किस प्रकार से यहाँ की वादियों में फिल्मकारों को लुभाया जाए ।
(६) युवाओ के लिए हमारे माध्यम से क्या संदेश देना चाहेंगे आप?
उत्तर-- युवाओ से यही कहूँगा अधिक से अहिक महेनत करे समय की कीमत को पहचाने चुनोतियों से कभी नही घबराए इक दिन सफलता उनके कदम जरूर चूमेगी ।
(७) हेमंत पाण्डेय के लिए सफलता के क्या मायने है?
उत्तर-- सफलता का मतलब है इमानदारी और सच्चाई छोटे लालच में कभी नही फसना है साथ में असफल रास्तो से भी बचना है इसके आलावा अगर अपने संस्कारो को भी धयान में रखें तो निश्चित ही ग़लत काम नही कर सकते ।
(८) भविष्य की आपने क्या योजना है? कुछ हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे?
उत्तर-- भविष्य की योजना कल पर निर्भर है सिनेमा ही एक मात्र मकसद नही है जीवन बहुत महत्वपूर्ण है अभी कई पड़ाव से गुजरना है जिन पर मैं आगे काम करना चाहूँगा ।
(९)अन्तिम प्रश्न हेमंत जी यह की कौन कौन सी नयी फिल्मो में काम कर रहे है इसमे क्या किरदार निभा रहे है आप?
उत्तर---- "मिलेंगे मिलेंगे" , "जबसे हुआ है प्यार", "सिर्फ़ रोमांस लव् बे चांस ", "क्या कहना आपका" यह फिल्म है जिन पर मैं काम कर रहा हूँ ।
1 comment:
pandey ji aapne to bahut achha interview kiya hai.yeh kaafi professionally likha gaya hai . hemant pandey ki tarah aap bhi aane bale kal ke sitaren hai aur aap bhi apne pradesh ka naam roshan karne ka maada rakhte hai. all the best!!
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